Jamshedpur : शुक्रवार 09 सितंबर, 2022
अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के सदस्य से लेकर प्रदेश महासचिव के भूमिका में सबसे सक्रिय होने के बावजूद कुछ पद लोभी और निजी स्वार्थों के हित को पूरा करने के लिए विगत 14 वर्षों से अपनी सेवा दे रहे महानुभव का इस तरह से अपमान करना सैन्य परिवार सहित देश के लिए भी दुर्भाग्यपूर्ण है।
केवल पद की लालसा रखते हुए उनलोगों ने बिना जांच परख के ही निर्णय पर मुहर लगा दिया इसे दुर्भाग्यपूर्ण न कहें तो क्या कहें।
हम बात कर रहें हैं समाजिक कार्यों में सक्रिय रहने वाले एवं सैनिकों के सम्मान की लड़ाई लड़ने वाले सुशील सिंह जी की, जिन्हें अकारण ही बिना नोटिस के अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद, झारखंड के प्रदेश महासचिव पद से मुक्त किया गया है। बता दें कि इनके साथ ही प्रदेश उपाध्यक्ष श्री दिनेश्वर सिंह जी को भी पड़ से मुक्त कर दिया गया है।
संगठन के केंद्रीय कार्यकारिणी द्वारा, यह आरोप लगाया गया है कि विगत कई महीनों से दोनों पदाधिकारियों का अपेक्षित सहयोग प्रदेश नेतृत्व को प्राप्त नहीं हो रहा था, जिसके बाद प्रदेश स्तर पर यह निर्णय लिया गया।
हालांकि अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के एक अन्य सदस्य का मानना है कि कागज पर काम करने वाले सदस्यों की वजह से केंद्रीय समिति गुमराह होकर झारखंड प्रदेश में सबसे अधिक राष्ट्रीय बैठकों में शामिल होने वाले सदस्यों का यह अपमान है। उनका यह भी कहना है कि पूरे राज्य के हर जिलों में सैनिक कार्यक्रमों में शामिल होना, हर सैनिकों की समस्या में यथासंभव सहयोग करना, 20 घंटे संगठन के लिए सेवा देने एवं वीर-नारियों, शहीद परिवार एवं सैनिक विधवाओं का निरंतर ख्याल रखने वाले, सेना, प्रशासन, सामाजिक संगठनों एवं मीडिया के साथ तालमेल रखते हुए सैनिकों के सम्मान की लड़ाई लड़ने वाले सुशील सिंह जी को पद से मुक्त किया जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण नहीं तो और क्या है।
इस फैसले से पूर्वी सिंहभूम के सैनिक सदस्यों में इस बात का आक्रोश साफ देखा जा सकता है। सुशील जी के समर्थन में आये सैनिकों का मानना है कि संगठन पद से नहीं बल्कि सेवा और समय देने से चलता है। परंतु कुछ सदस्य केवल कानाफूसी करके बदले की भावना से अपनी सक्रियता जताने में लगे हुए हैं। वही संगठन से हटकर काम करने वालों को मान्यता देकर अपनी मजबूती का प्रमाण दे रहे हैं।
वहीं सुशील जी ने इस सम्बंध में कहा कि सैनिक पड़ की लालसा में देश और समाज का कार्य नहीं करता बल्कि उसे अपने घर की जितनी चिंता रहती है उतनी ही देश की भी होती है। आने वाले समय में सैनिकों के हित में निरंतर कार्य सेवा जारी रहेगा। जिनको पद की राजनीति करनी है, उन्हें राजनीतिक संगठन ज्वाइन कर लेना चाहिए। इसके साथ ही केंद्रीय नेतृत्व से आग्रह है कि अपने वर्तमान प्रदेश समिति के अलावा शहर के विभिन्न संगठनों से संपर्क कर जिले में लोगों की सक्रियता जानने का प्रयास करें, क्योंकि जो काम करते हैं वह रिपोर्ट कम करते हैं और जो रिपोर्ट करते हैं वह कभी काम नहीं करते।
उन्होंने आगे बताया संगठन के हित में अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है जिससे आम सदस्यों में संगठन के प्रति सकारात्मक मानसिकता बनी रहे। बदले की भावना से संगठन कमजोर पड़ेगा। अतः अपने – अपने क्षेत्र में निरंतर सहयोग की भावना से काम करने की आवश्यकता है।