सांस्कृतिक कार्यक्रम में समाज के कलाकारों व मुंडा मानकी को सम्मानित किया गया। केंद्र सरकार हो भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करे- सुखराम उरांव।
बंदगांव (जय कुमार) : पश्चिमी सिंहभूम जिले के बंदगांव प्रखंड के नकटी पंचायत भवन परिसर में बुधवार को आदिवासी हो समाज युवा महासभा व बारंग क्षिति लिपि के छात्रों ने कोल लाको बोदरा की 105वीं जयंती धूमधाम व उत्साह के साथ मनाई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विधायक सुखराम उरांव व विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व विधायक शशि भूषण सामड, समाजसेवी डॉ. विजय सिंह गागराई, विधायक प्रतिनिधि मिथुन गागराई व भाजपा अनुसूचित जनजाति जिला अध्यक्ष तीरथ जामुदा मौजूद थे।
कार्यक्रम का उद्घाटन दिउरी बुद्धदेव गागराई के नेतृत्व में सामूहिक उपवास रखकर व पूजा-अर्चना कर व कोलगुरु लाको बोदरा की तस्वीर पर माल्यार्पण कर किया गया। समिति के लोगों ने मुख्य अतिथि सुखराम उरांव व मानकी मुंडा तथा समाज के कलाकार को सामाजिक परंपरा के अनुसार पगड़ी पहनाकर व गुलदस्ता भेंट कर सम्मानित किया।
इस अवसर पर विधायक सुखराम उरांव ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कोल गुरु लाको बोदरा हो भाषा व व्रंगचिटी लिपि के जनक थे। उन्हीं की देन है कि आज आदिवासियों के पास भाषा व लिपि है। वर्तमान सरकार भी भाषा को प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने कहा कि लोगों की पहचान उनकी भाषा व संस्कृति से होती है। हमें अपनी भाषा व संस्कृति को बचाए रखने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि अपनी भाषा को जीवित रखने के लिए हमें स्थानीय भाषा में ही बोलना व सारे कार्यक्रम करने होंगे। उन्होंने कहा कि अपने बच्चों को इतना शिक्षित करें कि वे समाज के साथ-साथ दूसरों का भी भला कर सकें। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को संविधान की आठवीं अनुसूची में भाषा को जरूर शामिल करना चाहिए। ताकि आदिवासियों को सम्मान व उनका अधिकार मिल सके। पूर्व विधायक शशि भूषण सामड ने कहा कि हमें अपने बच्चों को शिक्षित कर उन्हें डॉक्टर, इंजीनियर, डीसी, बीडीओ, सीओ बनाना है। ताकि हमारे समाज का विकास हो सके।
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उन्होंने लोगों से मोबाइल का उपयोग पढ़ाई में करने की अपील की। ताकि हमारा भविष्य बन सके। उन्होंने लोगों से कोल गुरु लाको बोदरा के बताए मार्ग पर चलने को कहा। ताकि हमारा समाज विकसित और समृद्ध हो सके। समाजसेवी डॉ विजय सिंह गागराई ने कहा कि आदिवासियों की भाषा को सरकारी मान्यता मिलनी चाहिए। इसके लिए हम सभी को प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति की पहचान उसकी भाषा और संस्कृति से होती है।
उन्होंने कहा कि आदिवासी बहुल गांव के स्कूलों में भाषा की पढ़ाई होनी चाहिए। ताकि हमारी भाषा बच सके। उन्होंने कहा कि सभी लोगों को अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए। मिथुन गागराई ने लोको बोदरा की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें उनके बताए मार्ग पर चलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भाषा और संस्कृति को बचाने के लिए सभी को एकजुट होने की जरूरत है। जिसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
जिसमें समाज के कलाकारों और छात्र-छात्राओं द्वारा समूह नृत्य, एकल गान, समूह गान आदि प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विधायक सुखराम उरांव ने आदिवासी समाज के कलाकारों और गणमान्य लोगों को सम्मानित कर स्वागत किया।
कार्यक्रम का संचालन बुद्धदेव गागराई एवं मंगता गागराई ने किया। इस अवसर पर 20 सूत्री अध्यक्ष ताराकांत सिजुई, कालिया जामुदा, बुद्धदेव गागराई, मंगता गागराई, मनिहंस मुंडा, राजेश गागराई, केदार बानरा, विजय समद, बहाराम हेम्ब्रम, नरेश बानरा, जंगल गागराई, राम बोदरा, बीरसिंह सिजुई, दिउरी गागराई, गोंडो पूर्ति, डेविड गागराई, सालुका गागराई, माजुरा गागराई, बेहरा गागराई, कुश पूर्ति सहित समाज के सैकड़ों लोग उपस्थित थे।