कल्पना करिये की धरती पर कभी रात ही ना हो। या यूँ कहें की हर देश अपने लिए एक अलग ही सूरज बना ले। धरती पर जहाँ छह महीने रात ही रहती है वहां भी चमचमाती धुप सालों भर हो।
जी हाँ, अब यह एक सपना नहीं बल्कि एक हकीकत बनने जा रहा है। और इस कल्पना को जीवंत करने में अग्रणी देश कोई है तो वह चीन है। परमाणु ऊर्जा का भरपूर प्रयोग कर इसे सम्भव बनाया जा सकता है।
दुनिया भर के कई देश और शोधकर्ता दशकों से इस लक्ष्य को पाने की कोशिश कर रहे हैं।
चीन ने पहली बार अपने “कृत्रिम सूरज” परमाणु संलयन रिएक्टर को सफलतापूर्वक संचालित कर दिया है। और वह उपकरण है – HL-2M टोकामक रिएक्टर।
HL-2M टोकामक रिएक्टर चीन का सबसे बड़ा और सबसे उन्नत परमाणु संलयन प्रायोगिक अनुसंधान उपकरण है, और वैज्ञानिकों ने यह उम्मीद जताई है की यह उपकरण एक शक्तिशाली स्वच्छ ऊर्जा स्रोत के रूप में उपलब्ध हो सकेगा। यह उपकरण सिचुआन प्रांत में स्थित है और पिछले साल 2019 के अंत में पूरा हुआ है।इस रिएक्टर से सूर्य जैसी प्रचंड गर्मी और उससे पैदा होने वाली बिजली के कारण ही इसे “कृत्रिम सूर्य” कहा जाता है।
यह परियोजना 2006 से चल रही है। अंतरराष्ट्रीय फ्यूजन अनुसंधान समुदाय के हिस्से के रूप में HL-2M को स्थापित किया गया है। दक्षिण-पश्चिम भौतिकी संस्थान के प्रमुख दुआन ज़ुरु ने कहा कि नया उपकरण 200 मिलियन डिग्री सेल्सियस (360 मिलियन डिग्री फ़ारेनहाइट) से अधिक तापमान तक पहुंच जाएगा।
सूर्य में जिस प्रकार परमाणु संलयन की क्रिया होती है उसी क्रम को यहाँ दोहराया गया है। चीन जल्द अपने “कृत्रिम सूरज” का संचालन शुरू कर देगा।
HL-2M टोकामक रिएक्टर उपकरण गर्म प्लाज्मा को फ्यूज करने के लिए एक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण करता है।
अगर सब कुछ योजना के अनुसार होता है, तो यह प्रयोग पृथ्वी पर ऊर्जा का प्रमुख विकल्प बन सकता है। और परमाणु संलयन के माध्यम से उत्पादित शक्ति का उपयोग करके लगभग असीम स्वच्छ ऊर्जा में बदला जा सकता है। लेकिन हमें अपनी पृथ्वी की पर्यावरण संबंधी चिंताओं को भी ध्यान में रखने की सख्त आवश्यकता है।
यह सूर्य की कोर से लगभग 13 गुना अधिक गर्म है।
अब देखना यह है की आने वाले दिनों में इस रिसर्च के क्या लाभ और हानि होने जा रहें है।
acchi khabar hai.