तालिबान अफगानिस्तान में अमेरिका को वैधता देना चाहता था। इस पर अमेरिका ने कहा कि वैधता और समर्थन कमाना पड़ता है। अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकेन ने साफतौर पर कहा की – “हम जो भी कदम उठाएंगे, वह तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार के कहने पर नहीं बल्कि अपनी प्रतिबद्धताओं पर खरा उतरने के लिए उठायेगे। तालिबान अंतरराष्ट्रीय वैधता और समर्थन चाहता है। हमारा संदेश है कोई भी वैधता और किसी भी समर्थन को कमाया जाता है।”
काबुल : मंगलवार 31 अगस्त, 2021
आतंकवादियों का देश अफगानिस्तान। जहां मुस्लिमों का रहना भी मुश्किल है, वहां गैर मुस्लिमों का क्या हर्ष होगा आप अनुमान लगा सकते हैं। लेकिन 57 मुस्लिम राष्ट्र की चुप्पी इस बात की ओर इशारा करती है कि वे ISIS और तालिबान जैसी आतंकवादी संस्थाओं के पक्ष में हैं। मजे की बात देखिये अब इस पक्ष में चीन और पाकिस्तान भी शामिल है। हो सकता है आने वाले दिनों में विश्व के अन्य देश भी इनका समर्थन करने लगे। लेकिन क्या बंदूक की नोक पर मुल्क में अमन और चैन लाया जा सकता है। यह एक शोचनीय विषय है?
अफगानिस्तान में हो रहे तालिबानी हरकत ने दुनियाँ में यह बता दिया है कि आतंकवादी अपने देश का निर्माण किस आधार पर करेंगे।
बता दें कि अफगानिस्तान में 20 साल तक चले लंबे अमेरिकी – तालिबानी संघर्ष के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान से पूरी तरह से जाने का फैसला कर लिया था और उसने अपनी आखिरी सैन्य शक्ति से भरी हवाई जहाज का उड़ान भी पूरा कर लिया है।
अमेरिकी रक्षा विभाग ने अपने ऑफिशियल ट्विटर से ट्वीट कर इसकी जानकारी साझा करते हुए एक तस्वीर दिखाई गई है जिसमें एक सैनिक सैन्य विमान पर सवार होता दिख रहा है। इस तस्वीर को साझा करते हुए लिखा कि – “मेजर जनरल क्रिस डोनह्यू अफगानिस्तान छोड़ने वाला आखिरी अमेरिकी सैनिक है। क्रिस 30 अगस्त को विशेष विमान C-17 में सवार हो गए जो काबुल में अमेरिकी मिशन के अंत का प्रतीक है।”
अमेरिका 31 अगस्त तक अपनी सारी सेना अफगानिस्तान से हटाने वाला था लेकिन उसने डेडलाइन से पहले ही एक दिन पहले ही अपनी सैन्य शक्ति वहां से हटा दी। विमान C-17 ने 30 अगस्त की दोपहर को ही काबुल के हामिद करजई एयरपोर्ट से अपनी उड़ान भरी। अमेरिका ने जाने से पहले इस बात की घोषणा कर जानकारी दी और कहा कि – “अमेरिका अपनी पूरी वापसी और सैन्य मिशन की समाप्ति की घोषणा करता है।”
अफगानिस्तान से अंतिम विमान के उड़ जाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि – “अफगानिस्तान में 20 साल से मौजूद उनकी सैन्य उपस्थिति अब खत्म हो गई है।” इसके साथ ही उन्होंने अपने कमांडरों को धन्यवाद देते हुए कहा कि – “कमांडरों ने बिना किसी और अमेरिकी की जान गंवाए अफगानिस्तान से अपनी निकासी पूरी की कर ली है।”
अमेरिकी सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल केनेथ मैकेंजी ने सोमवार दोपहर में कहा, “मैं यहां अफगानिस्तान से अपनी वापसी के पूरा होने और अमेरिकी नागरिकों, कमजोर अफगानों को निकालने के लिए सैन्य मिशन की समाप्ति की घोषणा करता हूं। अमेरिका आखिरी मानवयुक्त विमान अब अफगानिस्तान से निकल रहा है।”
अफगानिस्तान में एक नए युग की शुरुवात हो चुकी है। जिसमें अशांति और अत्याचार का बोलबाला रहेगा और हर अच्छे और बुरे कर्म की सजा केवल दर्दनाक मौत होगी। महिलाएं जानवरों की तरह इस्तेमाल की जाएंगी। उन्हें सेक्स स्लेव बना कर रखा जाएगा। यह इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि तालिबान का संविधान इसी पर टिका हुआ है और वह यही करता आया है।
बात अमेरिका की करें तो उसने दोहरी चाल चल कर कई देशों को चित कर दिया है। अमेरिका की अफगान से वापसी कुछ नया करने की सोची समझी साजिश भी हो सकती है, यह कहना शायद अभी सही नहीं रहेगा। अमेरिका ने 14 अगस्त के बाद से ही अफगानिस्तान से अपने लोगों को निकालना स्टार्ट कर दिया था अबतक उसने कुल 123,000 लोगों को निकाला है। जिनमें अमेरिकी नागरिक और अफगानी सहयोगी भी शामिल थे। फिलहाल अमेरिका पूरी तरह से अफगानिस्तान से सारे रिश्ते खत्म कर चुका है। सैन्य हटाने के साथ-साथ उसने राजनयिक सम्बन्ध को भी खत्म करते हुए अमेरिकी दूतावास को कतर में शिफ्ट कर दिया है। बाइडेन प्रशासन के सचिव एंटनी ब्लिकेंन ने कहा कि – “30 अगस्त 2021 से काबुल में अमेरिका की राजनयिक उपस्थिति नहीं होगी। हम कतर की राजधानी दोहा से अपने सभी राजनयिक कार्य करेंगे।”
इस सम्बंध में CNN और ANI ने भी ट्विटर पर ट्वीट करते हुए जानकारी दी गई।
स्टीफन कोलिन्सन (Stephen Collinson) जो CNN न्यूज़ चैनल के सीनियर राजनीतिक रिपोर्टर (Senior Reporter CNN Politics) है ने ट्विटर पर आज अमेरिकी सैनिकों का अफगान में अंतिम दिन और 20 वर्षों का अमेरिका-अफगान सम्बन्ध पर विश्लेषण करते हुए असंख्य शब्दों को चंद शब्द में बदलकर ट्विटर पर लिखते है कि “अमेरिका का अफगान युद्ध खत्म हो गया है लेकिन बिडेन की विरासत के लिए लड़ाई केवल शुरुआत है।”
“America’s Afghan war is over but the battle for Biden’s legacy is only just beginning.” | Analysis by @StCollinson https://t.co/pbY83r9mkR pic.twitter.com/hzh9yjTvcT
— CNN (@CNN) August 31, 2021
Abdulhaq Sodais fled to Germany in 2017. He says his family in Afghanistan is hiding from the Taliban.
“Taliban are killing people who work for NATO or the US government forces… They are looking door to door,” he said. “I don’t want to lose my family.” https://t.co/DMRRrLzV7K pic.twitter.com/hdJVc11ORw
— CNN (@CNN) August 31, 2021
We lost 2,461 troops in that war (in Afghanistan), & tens of thousands of others suffered wounds, seen & unseen… We will work hard to defend our citizens from terrorist threats emanating from anywhere around the globe: US Secretary of Defence Lloyd Austin
— ANI (@ANI) August 31, 2021