आदित्यपुर, झारखण्ड: आज नारायण आईटीआई लुपुंगडीह चांडिल में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
डॉ. जटाशंकर पांडेय ने डॉ. मुखर्जी की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को कलकत्ता के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। उन्होंने जन-जागरण के उद्देश्य से राजनीति में प्रवेश किया और मानवता के सच्चे उपासक और सिद्धांतवादी के रूप में जाने गए। उन्होंने कृषक प्रजा पार्टी के साथ गठबंधन कर बंगाल में वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया और हिंदू महासभा में शामिल हो गए।
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डॉ. मुखर्जी सांप्रदायिक विभाजन के प्रबल विरोधी थे और उन्होंने बंगाल के हिंदुओं के हितों की रक्षा के लिए मुस्लिम लीग के प्रयासों को विफल किया। 1942 में जब ब्रिटिश सरकार ने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को जेल में डाल दिया, तब भी डॉ. मुखर्जी ने अपने सांस्कृतिक एकता के विचार को मजबूती से कायम रखा। उन्होंने विभाजन के विरोध में अपनी आवाज बुलंद की और कहा कि हम सब एक हैं, हमारे बीच कोई भेद नहीं है।
अगस्त 1946 में जब मुस्लिम लीग ने कलकत्ता में भीषण और क्रूर नरसंहार किया, तब कांग्रेस का नेतृत्व भयभीत था। इस अवसर पर प्रोफेसर स्वदीश कुमार, वकील निखिल कुमार, जियादीप पांडेय, देव कृष्ण महतो, पवन महतो, कृष्णपद महतो, अरुण पांडेय, गौरव महतो आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम के अंत में सभी ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के आदर्शों को अपनाने और उनके योगदान को स्मरण करने का संकल्प लिया।