जमशेदपुर | झारखण्ड
सेवा में,
श्री चंपाई सोरेन,
माननीय मुख्यमंत्री, झारखंड।
विषय: झारखंड सरकार को बीमार बना रहे स्वास्थ्य विभाग में हुए और हो रहे भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं के विरूद्ध कार्रवाई करने के संबंध में।
महाशय,
निवर्तमान मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन को मैंने कई बार लिखित एवं मौखिक रूप से आगाह किया था कि आपकी सरकार के स्वास्थ्य विभाग में बड़े पैमाने पर अनियमितता और भ्रष्टाचार हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अवैध क्रिया-कलाप, वस्तुतः आपकी सरकार को बीमार बना रहे हैं। तमाम सबूतों के साथ मैंने तत्कालीन मुख्यमंत्री जी के सामने यह विषय लिखित एवं मौखिक रूप में रखा था, ताकि सदन रहे। परंतु पता नहीं उनकी क्या मजबूरी थी कि जान-बूझ लेने के बाद भी उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की अनियमितताओं के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं की और अंततः ऐसे ही भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं के भंवर में उलझकर उन्हें मुख्यमंत्री पद से त्याग-पत्र देना पड़ा।
फिलहाल झारखण्ड सरकार में संसदीय कार्य विभाग को छोड़कर सभी विभागों के मंत्री आप स्वयं हैं, इसलिए स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्टाचार और अनियमितता के कतिपय निम्नांकित मामले आपके समक्ष रख रहा हूँ, ताकि इनके विरूद्ध आपके द्वारा आवश्यक कारवाई की जा सके:-
1. गत 5 फरवरी 2024 को जिस दिन आपकी सरकार विधानसभा में विश्वास मत प्राप्त कर रही थी, उसी दिन 24 डॉक्टरों की प्रतिनियुक्ति करने के आदेश की अधिसूचना (ज्ञाप संख्या-101(3), दिनांक 05.02.2024) स्वास्थ्य विभाग ने निकाला। इस अधिसूचना पर 2 फरवरी, 2024 की तिथि में निवर्तमान स्वास्थ्य मंत्री के प्रियपात्र एक अवर सचिव का हस्ताक्षर था। ज्ञातव्य है कि 31 जनवरी, 2024 को तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा त्यागपत्र दे दिए जाने के कारण राज्य में न कोई सरकार थी और न कोई मंत्री था। फिर किसके आदेश से यह अधिसूचना निकली ? क्या तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ने बैक डेट में फाईल पर दस्तखत किया और उनके चहेते अधिकारी ने 2 फरवरी 2024 के डेट में अधिसूचना पर दस्तखत कर 5 फरवरी को अधिसूचना निर्गत कर दिया। आपकी सरकार के शपथ लेने के दिन ही स्वास्थ्य विभाग ने यह जालसाजी किया। सवाल है कि क्या आप यह अधिसूचना निरस्त करेंगे और इसके लिए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे ?
2. आप कृपया पता करना चाहेंगे कि ऐसी परिस्थिति उत्पन्न होने पर यानी राज्य में सरकार नहीं रहने या कार्यकारी सरकार रहने की स्थिति में पदस्थापन, स्थानांतरण, प्रतिनियुक्ति के बारे में नियम, कानून, परम्परा क्या है? जहां तक मेरी जानकारी है, मुख्यमंत्री के त्यागपत्र देने के बाद मंत्री अपने पद से स्वतः हट जाते हैं। इस कालखंड में यदि उन्होंने संचिका पर कोई आदेश किया है तो वह निष्प्रभावी हो जाता है और उसकी अधिसूचना नहीं निकाली जाती है। नया मंत्रिपरिषद गठित होने पर नए विभागीय मंत्री, मुख्यमंत्री से आदेश लेकर ऐसे चिकित्सकों की सूची को या इस सूची में नए नाम जोड़कर नए सिरे से स्थानांतरण, पदस्थापन कर सकते हैं, इतनी बड़ी संख्या में प्रतिनियुक्ति वे भी नहीं कर सकते हैं। स्पष्ट है कि तत्कालीन/निवर्तमान मंत्री द्वारा बैकडेटिंग कर नई सरकार में अधिसूचना निकलवाना उनके भ्रष्ट आचरण का द्योतक है।
3. इस तरह का भ्रष्ट आचरण तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ने गत चार वर्षों में कई बार किया है। एक खास वेतनमान से उपर के चिकित्सकों का स्थानांतरण, पदस्थापन, प्रतिनियुक्ति का जो अधिकार मुख्यमंत्री को है, उसकी संचिका मुख्यमंत्री के पास भेजे बगैर अपने स्तर से ही निर्णय करके साल में कई बार गैरकानूनी अधिसूचना स्वास्थ्य मंत्री के आदेश पर पर उनके चहेते अधिकारियों ने निकाला है। डॉक्टरों, सिविल सर्जनों एवं अन्य के थोक भाव से ऐसे अवैध स्थानांतरण, पदस्थापन, प्रतिनियुक्ति के मामले में मंत्री पर घोटाला का प्रमाण सहित आरोप मैंने तत्कालीन मुख्यमंत्री के सामने लगाया, लिखित सबूत दिया, पर कोई कारवाई नहीं हुई। यहाँ तक कि माननीय विधानसभा अध्यक्ष ने विधानसभा में नियमन दिया कि ‘‘ऐसी संचिकाएँ मुख्यमंत्री के पास भेजी जाएँ’’ परन्तु नियमन का भी अनुपालन नहीं हुआ।
4. स्वास्थ्य विभाग में काफी उँची दर पर दवाओं की खरीद घोटाला का सबूत मैंने तत्कालीन सम्प्रति निवर्तमान माननीय मुख्यमंत्री को दिया था। निविदा दर से काफी ऊँची दर पर दवाओं की खरीद स्वास्थ्य विभाग ने भारत सरकार के कंपनियों से किया। जबकि निविदा में इन्हीं दवाओं की दर तुलनात्मक रूप से काफी कम आई थी। यह मामला मैंने विधानसभा में उठाया। जाँच के लिए 3 सदस्यीय जाँच कमिटी सरकार द्वारा बनाई गई। एक महीना में जाँच प्रतिवेदन आना था, परंतु दो वर्ष बीत गए आज तक जाँच पूरी नहीं हुई। जाँच रिपोर्ट अबतक नहीं आई। क्या आप इस मामले की जाँच कराएँगे ?
5. स्वास्थ्य विभाग के कोविड कर्मियों की प्रोत्साहन राशि को स्वयं स्वास्थ्य मंत्री द्वारा भी लेने, उनके मंत्री कोषांग में कार्यरत कर्मियो को भी कोविड प्रोत्साहन राशि दिलवाने और मंत्री कोषांग के बहाने अन्य अयोग्य 59 लोगों को यह राशि दिलवाने का आदेश देकर मंत्री द्वारा वित्तीय अनियमितता करने का विषय मैंने दिनांक 13.04.2022 को अपने कार्यालय के पत्रांक आ.का.(मु.मं.)/02/80; दिनांक 16.04.2022, पत्रांक आ.का.(मु.मं.)/02/87; दिनांक 18.04.2022, पत्रांक आ.का.(मु.मं.)/02/94 एवं दिनांक 22.04.2022, पत्रांक आ.का.(मु.मं.) /02/97 द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री को प्रमाण सहित अवगत कराया था, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
6. कोविड प्रोत्साहन राशि के भुगतान में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री द्वारा भ्रष्ट आचरण करने और अनियमितता बरतने का मामला दुबारा मैंने तत्कालीन माननीय मुख्यमंत्री के सामने उठाया तो तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ने मेरे विरूद्ध मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया। वस्तुस्थिति है कि सक्षम न्यायालय ने मानहानि का मुकदमा खारिज कर दिया तो उन्होंने उपर की अदालत में अपील किया। उपरी अदालत तत्कालीन मंत्री जी को गवाही देने के लिए बुला रही है पर विगत दो तारीखों से वे मानहानि मुकदमे में गवाही दर्ज कराने के लिए कोर्ट के सामने उपस्थित नहीं हो रहे हैं। अपने ही द्वारा दायर मुकदमें में वे विलंब कर रहे हैं।
7. इसी मामले में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री के आदेश से डोरंडा थाना में एक प्राथमिकी भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा गोपनीय कागजात निकालने के आरोप में मेरे विरूद्ध दायर की गई है। इसी मामले में एक अन्य प्राथमिकी भी मेरे उपर उन्होंने दायर किया है। पुलिस पर दबाव डालकर इन्होंने मुझपर कारवाई कराने का तिकड़म करना चाह रहे हैं, पर यह हो नहीं पाया। अब डोरंडा थाना स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों को प्रताड़ित कर रहा है, कई विभागीय कर्मियों का मोबाइल जब्त कर डोरंडा थाना में रख लिया है ताकि पता करें कि किसने मुझे स्वास्थ्य विभाग के घोटालों का दस्तावेज व्वाट्सएप पर भेजा है। जबकि हटिया डीएसपी ने पहले ही डायरी में लिख दिया है कि इनमें से किसी का भी मोबाइल पर मुझसे कभी कोई संपर्क होने का पता जाँच में नहीं चला है।
8. इसी प्रकार मेनहर्ट घोटाला, टॉफी-टी-शर्ट घोटाला, कंबल घोटाला, खान घोटाला, शराब घोटाला, बालू घोटाला, कोयला चोरी घोटाला, जमीन घोटाला आदि अनेक घोटाले जो हेमंत सरकार पार्ट-1 में हुए वे आपको पार्ट-2 विरासत में मिले हैं। कुछ में मेरे आरोपों की जाँच भ्रष्टचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने किया। दोषी चिन्हित हो गए पर स्वास्थ्य विभाग के घोटालों की तरह इनमें भी दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई।
उम्मीद है श्री हेमंत सोरेन सरकार पार्ट-1 के समय से पेंडिंग पड़े इन मामलों की जाँच के नतीजों को आपकी सरकार अंजाम तक ले जायेगी। ईडी जो कर रही है वह तो इडी करेगी ही। आप भी अपने स्तर पर सरकार बनाने से लेकर सरकार चलाने तक में उपर्युक्त का ध्यान रखेंगे और पार्ट-1 सरकार में हुई गलतियों से बचेंगे। दोषियों पर कार्रवाई करेंगे।
शुभकामना सहित,
भवदीय
(सरयू राय)