ज्योतिषीय गणना के आधार पर वर्ष 2021 फरवरी माह में सप्त ग्रहों का भयंकर संयोग बनने जा रहा है। जिसके प्रभाव से पूरे विश्व की दशा ही बदल जाएगी। 9 फरवरी को रात 8 बजकर 31 मिनट पर चंद्रमा मकर राशि में प्रवेश करने जा रहा है। मकर राशि में सूर्य, गुरु, शुक्र, शनि, बुध और यम पहले से उपस्थित हैं । ऐसे में चंद्रमा के प्रवेश के बाद सात ग्रहों का मिलन हो जाएगा। विख्यात सभी ज्योतिषियों का मानना है कि इस खगोलीय घटना का प्रभाव भारत समेत पूरी दुनिया पर होगा।
इस घटना पर ज्योतिषाचार्य डॉ. मिश्र का कहना है कि ये सप्तग्रही योग दुनियाभर पर अपना प्रभाव छोड़ेगा। सभी देशों के बीच आपसी तनाव की स्थिति बन सकती है। प्राकृतिक आपदाओं के भी आने की स्थिति बनेगी। हो सकता है विश्वयुद्ध के हालात भी बन जाएं। साथ ही कोरोना महामारी अन्य रूपों में बदलकर भयावह हो जाये। और भी के तरह की विषाणु जनित बीमारियां विश्व में आ सकती हैं। महामारी का रूप भी सामने आ सकता हैं।
ज्योतिषाचार्य डॉ. मिश्र का कहना है कि भारत देश पर इस संयोग का विशेष प्रभाव पड़ेगा । जिसका सबसे बड़ा कारण भारत की वृष लग्न की कुंडली का होना हैं। इस कुंडली के तीसरे भाव में अर्थात कर्क राशि पूर्व से ही पांच ग्रह सूर्य, बुध, शुक्र, शनि और चंद्र बैठे हुए हैं। और अब ये योग मकर राशि में बनेगा। परिणाम स्वरूप इनका आपस में दृष्टि संबन्ध होगा और इनपर राहु की नजर पड़ेगी । जिस कारण यह योग भारत के लिए नुकसान देह हो सकता है।
इस संयोग से भारत में क्या बदलाव होंगे ?
आइये जानते है।
इस संयोग के कारण भारतीय लोगों की मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहेगी । लोग तनाव महसूस करेंगे। राजनैतिक दुर्घटनाएँ बढ़ सकती हैं। महंगाई और बढ़ेगी। लेकिन अच्छी बात यह है कि भारत का वर्चस्व और पराक्रम भी दुनियाभर में बढ़ेगा। आंतरिक समस्याएं बढ़ेंगी, सांप्रदायिक उपद्रव के कारण अशांति फैल सकती है।
ज्योतिषाचार्य प्रज्ञा वशिष्ठ का कहना है कि जब भी पांच या उससे अधिक ग्रह एक साथ एक ही राशि में होते हैं, तब देश दुनिया में बड़े सामाजिक और राजनीतिक बदलाव देखने को मिलते हैं । कभी बड़े युद्ध की स्थिति भी बन जाती है । ऐसा फरवरी 1962 में हुआ था और भारत, चीन के बीच युद्ध छिड़ गया था । उस समय विश्व दो गुटों में बंट गया था ।
विश्व में क्या बदलाव आ सकते हैं ?
इस गणना का प्रभाव विश्व में अशांति दर्शा रहा है। अमेरिका के वर्चस्व में कमी हो जाएगी। वहीं रूस, जापान, कोरिया और यूरोपीय देशों का प्रभुत्व बढ़ने लगेगा। भारत के पड़ोसी देश जैसे – चीन, नेपाल, पाकिस्तान के साथ शीत युद्ध की स्थिति बनेगी।