केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी | नई दिल्ली
मुख्य बिंदु :
डॉ. जितेंद्र सिंह ने जी20 युवा उद्यमी गठबंधन शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए जी20 देशों के युवा वैज्ञानिकों और युवाओं से अंतरिक्ष उद्यमिता के लिए एक नए युग की शुरुआत करने के उद्देश्य से एक संयुक्त मिशन मोड में आकर्षक स्टार्ट-अप उद्यमों के माध्यम से अंतरिक्ष क्षेत्र की संभावनाओं का पता लगाने का आह्वान किया।
केंद्रीय मंत्री ने अंतरिक्ष और इससे संबद्ध अन्य क्षेत्रों में व्यवसायिक गतिविधियों को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विशेष रूप से जी20 देशों के बीच सार्वजनिक-निजी भागीदारी की आवश्यकता के महत्व को उजागर किया।
चूंकि हम सभी जानते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण मानवता और विश्व खतरे में है, इसलिए यदि कोई आपसी मतभेद हो तो हमें अपने उससे ऊपर उठना चाहिए और केवल मानवता की दिशा में कार्य करना चाहिए। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं: डॉ. जितेंद्र सिंह
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण से अंतरिक्ष स्टार्टअप और अंतरिक्ष उद्यमियों को बढ़ावा मिलेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह आज जी20 युवा उद्यमी गठबंधन शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा साल 2020 में निजी भागीदारी के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोले जाने के बाद, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पिछले साल नवंबर में भारत के पहले निजी सबऑर्बिटल (वीकेएस) रॉकेट विक्रम को सफलतापूर्वक लॉन्च करके इतिहास रचा था। डॉ. जितेंद्र सिंह ने जी20 देशों के युवा वैज्ञानिकों और युवाओं से अंतरिक्ष उद्यमिता के लिए एक नए युग की शुरुआत करने के उद्देश्य से एक संयुक्त मिशन मोड में आकर्षक स्टार्ट-अप उद्यमों के माध्यम से अंतरिक्ष क्षेत्र की संभावनाओं का पता लगाने का आह्वान किया।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत द्वारा अब तक प्रक्षेपित किए गए 424 विदेशी उपग्रहों में से 389 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के पिछले नौ वर्षों के कार्यकाल में लॉन्च किए गए थे। उन्होंने यह भी कहा कि जनवरी 2018 से अब तक, इसरो ने वाणिज्यिक समझौते के तहत ऑन-बोर्ड पीएसएलवी और जीएसएलवी-एमके III लॉन्चर से कोलंबिया फ़िनलैंड, इज़राइल, लिथुआनिया, लक्ज़मबर्ग, मलेशिया, नीदरलैंड, सिंगापुर, स्पेन तथा स्विट्जरलैंड के उपग्रहों के अलावा अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, जापान व कोरिया गणराज्य सहित प्रमुख जी20 देशों से संबंधित 200 से अधिक विदेशी उपग्रहों को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है।
केंद्रीय मंत्री ने अंतरिक्ष और इससे संबद्ध अन्य क्षेत्रों में व्यवसायिक गतिविधियों को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विशेष रूप से जी20 देशों के बीच सार्वजनिक-निजी भागीदारी का आह्वान किया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हालिया अमरीका यात्रा के दौरान यह स्पष्ट हो गया कि अमेरिका अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत को एक समान भागीदार व सहयोगी के रूप में मानता है। उन्होंने कहा कि नासा आज भारत के अंतरिक्ष यात्रियों से आग्रह कर रहा है और आर्टेमिस समझौता जिसमें भारत भी हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक है, वह भी भारत के महान अंतरिक्ष कार्यक्रम का प्रमाण भी है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कल फ्रांस की अपनी यात्रा समाप्त की है। उन्होंने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के साथ इस साझेदारी के प्रमुख स्तंभों के तहत सहयोग पर चर्चा की, जिसमें अंतरिक्ष, सुरक्षा, नागरिक परमाणु प्रौद्योगिकी, आतंकवाद का मुकाबला, साइबर सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और आपूर्ति श्रृंखलाओं का एकीकरण शामिल हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने सम्मेलन की विषयवस्तु पर कहा कि ऐसे समय में जब भारत और प्रधानमंत्री की भूमिका तथा महत्व दिन-ब-दिन बढ़ रहा है, तो यह उचित ही है कि इस वर्ष जी20 की अध्यक्षता भारत के पास है। उन्होंने इस तथ्य पर संतोष व्यक्त किया कि भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अगले 10-15 वर्षों में इसके तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है।
डॉ. जितेंद्र सिंह को इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि भारत के पास विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थानों तथा प्रशिक्षित लोगों का एक सशक्त नेटवर्क है। भारत के पास दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वैज्ञानिक और तकनीकी श्रमशक्ति है। भारत में 1000 से अधिक विश्वविद्यालय हैं। सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में भारत का जीईआरडी लगभग 0.65 प्रतिशत था।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि हाल ही में, भारत सरकार ने भारत के विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएमएम) प्रवासियों को सहयोगात्मक अनुसंधान गतिविधि के लिए भारतीय शैक्षणिक तथा अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के साथ जोड़ने के उद्देश्य से एक नई फेलोशिप योजना शुरू की है, जिससे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अग्रणी क्षेत्रों में सूचना, ज्ञान व सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को साझा करने तथा सहयोगात्मक अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय (डीएसटी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक (वैभव) फेलोशिप कार्यक्रम लागू करेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक हालिया वैश्विक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने पिछले 15 वर्षों में लगभग 415 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है और संयुक्त राष्ट्र के अलावा किसी अन्य देश ने इसकी सराहना नहीं की है। उन्होंने कहा कि इसका बड़ा श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके प्रधानमंत्रित्व काल में पिछले दस वर्षों में सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न योजनाओं को जाता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रश्नोत्तरी सत्र के दौरान कहा कि दुनिया को भारत से उम्मीदें होने लगी हैं और यह बहुत तेजी से हो रहा है। उन्होंने कोविड महामारी का उदाहरण देते हुए कहा कि यह भारत ही था, जिसने दुनिया का पहला डीएनए वैक्सीन बनाया और दुनिया को दिया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत ने टीकाकरण के लिए कोविन प्लेटफॉर्म भी साझा किया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ने न केवल हाइड्रोजन मिशन शुरू किया है, बल्कि भारत सौर गठबंधन के प्रमुख देशों में से एक है। उन्होंने कहा कि हाल ही में कैबिनेट द्वारा अनुमोदित राष्ट्रीय क्वांटम मिशन भी भारत की महान वैज्ञानिक प्रगति का सूचक है।
इस सम्मेलन की विषयवस्तु- एक सतत विश्व: 2047-विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका पर बोलते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एक वैश्विक समुदाय के रूप में सीओपी-26 के नेट-शून्य उद्देश्य और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के प्रति हमारी व्यक्तिगत तथा सामूहिक जिम्मेदारियां हैं। इनके लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एक प्रमुख चालक हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने समापन भाषण में कहा कि इस शिखर सम्मेलन का विषय ‘हम’ है, जो हिंदी में एकजुटता को दर्शाता है। सचमुच, हम एक पृथ्वी, एक परिवार हैं और इस भावना के साथ, भारत अपनी जी20 अध्यक्षता में अपने ज्ञान, सिद्धांत तथा प्रक्रियाओं को ग्लोबल साउथ के अन्य देशों के साथ साझा करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, चूंकि हम सभी जानते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण मानवता और विश्व खतरे में है, इसलिए यदि कोई आपसी मतभेद हो तो हमें अपने उससे ऊपर उठना चाहिए और केवल मानवता की दिशा में कार्य करना चाहिए। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।