गोरखपुर : शनिवार 28 अगस्त, 2021
भारत और भारतीय सभ्यता संस्कृति विश्व में सबसे श्रेष्ठ है। यहां की कुशल शिक्षा व्यवस्था अति प्राचीन है। जो कि विश्व का मार्गदर्शन आज तक करती आ रही है। यहां का गणित, ज्ञान-विज्ञान और साहित्य से सम्बंधित अनेकों ग्रथ की चोरी पिछले हजारों वर्षों से होती आ रही है। विदेशी यहां का ज्ञान चुरा कर अपना स्टाम्प लगाते हुए विश्व पटल पर अपना कॉलर टाइट करते रहे हैं।
भारत का अतुलनीय और अद्भुत ज्ञान यहां के शिक्षण संस्थान को अनेकों बार यूँ कहें कि बारम्बार लुटा गया, इतने से भी मन न भरा तो शिक्षण संस्थानों को ही बर्बाद कर दिया। उनमें आग लगाकर अद्भुत ज्ञान को ही नष्ट कर दिया और जबरन मिलावटी शिक्षा को हमपर लाद दिया गया। हमारी बराबरी करने की हिम्मत विश्व में भला आजतक किसके पास हुई है। हमने अपने ज्ञान से दुनियाँ का मार्ग प्रसस्त किया है। जब भी दुनियाँ को मुसीबत हुई है तब हमने नई राह दिखाई है।
वर्तमान सरकार ने इसे समझते हुए इस दिशा में बेहतरीन कार्य करना आरम्भ कर दिया है। नई शिक्षा नीति इसका बेहतरीन उदाहरण है। अब फिर से दुनियाँ भारत और भारतीय ज्ञान को जानेगी। हमें यह पूर्ण विश्वास और आशा है कि पुनः भारत दुनियाँ का मार्गदर्शक बनेगा। ‘महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय’ और ‘महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद’ के तौर पर इस दिशा में भारत सरकार की उपलब्धि उत्तर प्रदेश में देखने को मिलती है। इस उपलब्धि के लिए उत्तर प्रदेश के सबसे सक्रिय और युवा मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने भारतीय राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को बधाई दी है। और सोशल मीडिया पर इसका जिक्र करते हुए कई बार ट्वीट किया है। उन्होंने अपने ट्वीट कर लिखा है –
आपकी शुभेच्छाओं व मंगलकामनाओं के लिए हृदयतल से धन्यवाद आदरणीय राष्ट्रपति जी। निःसंदेह यह विश्वविद्यालय समूचे पूर्वांचल को अपने उत्कृष्ट शिक्षा आलोक से आलोकित कर आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा। कोटिशः आभार!
गोरक्षपीठ गोरखनाथ मंदिर ट्रस्ट के तत्वावधान में संचालित संस्थानों के माध्यम से ‘नई शिक्षा नीति’ की संकल्पना को साकार कर रहे हैं। ट्रस्ट से जुड़े हुए सभी पदाधिकारियों को हृदय से धन्यवाद!
महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय ऋग्वेद के मंत्र ‘स्वस्ति पंथा मनुचरेम’ को आत्मसात करते हुए लोक-मंगल हेतु समर्पित भाव से संचालित होगा।
हम सूर्य और चंद्र की भांति लोक-कल्याण के पथ के अनुगामी बनें। इस भाव को आत्मसात कर ‘महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद’ और ‘महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय’ लोक-कल्याण हेतु स्वयं को समर्पित करते हुए कार्य कर रहे हैं।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जागरण के साथ ही सेवा, शिक्षा और चिकित्सा क्षेत्र में लोक-कल्याण को आगे बढ़ाने के अभियान में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद केंद्र बिंदु बना है। पूर्वी उ.प्र. में महिला शिक्षा के लिए पहला महाविद्यालय भी इसके अंतर्गत ही स्थापित हुआ।
महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् द्वारा 04 दर्जन शिक्षण, प्रशिक्षण, चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े संस्थाओं के संचालन के साथ ही नवसृजित ‘महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय’ का उद्घाटन मा. राष्ट्रपति जी के उद्घोषणा का ही एक हिस्सा है।
देश में परतंत्रता के कालखंड में वर्ष 1932 में गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज ने जनपद गोरखपुर में ‘महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद’ की स्थापना करके शैक्षिक व आर्थिक रूप से पिछड़े पूर्वांचल में शिक्षा की अलख जगाने का एक महत्वपूर्ण कार्य किया था। उन्होंने वर्ष 2018 में शिक्षा परिषद के शताब्दी महोत्सव के पूर्व गोरखपुर को सिटी ऑफ नॉलेज बनाने का एक संकल्प जनपदवासियों को दिया था। उसी आह्वान की शृंखला है – ‘महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय’
उन्होंने वर्ष 2018 में शिक्षा परिषद के शताब्दी महोत्सव के पूर्व गोरखपुर को सिटी ऑफ नॉलेज बनाने का एक संकल्प जनपदवासियों को दिया था।
उसी आह्वान की शृंखला है – ‘महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय’
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) August 28, 2021
आपकी शुभेच्छाओं व मंगलकामनाओं के लिए हृदयतल से धन्यवाद आदरणीय राष्ट्रपति जी।
निःसंदेह यह विश्वविद्यालय समूचे पूर्वांचल को अपने उत्कृष्ट शिक्षा आलोक से आलोकित कर आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा।
कोटिशः आभार! pic.twitter.com/ENdHNzk81s
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) August 28, 2021
उन्होंने वर्ष 2018 में शिक्षा परिषद के शताब्दी महोत्सव के पूर्व गोरखपुर को सिटी ऑफ नॉलेज बनाने का एक संकल्प जनपदवासियों को दिया था।
उसी आह्वान की शृंखला है – ‘महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय’
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) August 28, 2021
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