जमशेदपुर | झारखण्ड
केबुल बस्ती एवं केबुल टाऊन, जमशेदपुर में सभी घरों में बिजली का अलग कनेक्शन देने के संबंध में विधायक सरयू राय ने टाटा स्टील युटिलिटीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेस लिमिटेड को लिखा पत्र।
जमशेदपुर, दिनांक 25.06.2023
प्रबंध निदेशक,
टाटा स्टील युटिलिटीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेस लिमिटेड,
जमशेदपुर।
विषयः केबुल बस्ती एवं केबुल टाऊन, जमशेदपुर में सभी घरों में बिजली का अलग कनेक्शन देने के संबंध में।
महाशय,
उपर्युक्त विषय में विगत 2 वर्षों से मैं सतत प्रयास कर रहा हूँ, परन्तु अभी तक सफलता नहीं मिली। दो दिन पूर्व इस बारे में आपसे दूरभाष पर हुई वार्ता का कृपया स्मरण करेंगे। करीब चार महीना पहले आपने मुझे जानकारी दिया था कि इंकैब इंडस्ट्री के आर॰पी॰ (Resolution Professional) से इसे बारे में अनापत्ति प्रमाण पत्र (एन॰ओ॰सी॰) मांगा गया है। फिर सूचित किया गया कि आर॰पी॰ ने एन॰ओ॰सी॰ देने से इंकार कर दिया गया है। मैंने एन॰ओ॰सी॰ के लिए टाटा स्टील युटिलिटीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेस लिमिटेड द्वारा आर॰पी॰ को भेजा गया अनुरोध पत्र, इसके साथ संलग्न एन॰ओ॰सी॰ का ड्राफ्ट तथा आर॰पी॰ द्वारा सहमति नहीं देने संबंधी भेजे गये पत्र को देखने का अवसर मुझे मिला है। इस संदर्भ में निम्नांकित बिन्दुओं पर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ:-
1. आर॰पी॰ ने टाटा स्टील युटिलिटीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेस लिमिटेड को केबुल टाऊन/बस्ती में घर-घर बिजली देने पर सहमति नहीं देने का जो कारण बताया है वह कारण अस्पष्ट है और वस्तुस्थिति से संबंध नहीं रखता है।
2. NCLAT द्वारा नियुक्त आर॰पी॰ की अपनी सीमा है। उसके अधिकारों की व्याख्या में जनसुविधाओं के विषय में कही कोई उल्लेख नहीं है। टाटा स्टील युटिलिटीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेस लिमिटेड के आग्रह पत्र पर सहमति देना या नहीं देना उसके विवेक पर निर्भर है। उदाहरण के लिए पूर्व के आर॰पी॰ ने केबुल टाऊन/बस्ती ने घर-घर में पेयजल आपूर्ति के बारे में अपनी सहमति दे दिया जबकि वर्तमान आर॰पी॰ ने घर-घर बिजली देने पर सहमति नहीं दिया।
3. मेरी अधिकतम जानकारी और समझदारी के अनुसार इंकैब इंडस्ट्री के इलाके में घर-घर बिजली देने के बारे में नये आर॰पी॰ से सहमति लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। पूर्व में यदि आर॰पी॰ की सहमति की जरूरत है तो घर-घर पेयजल आपूर्ति के लिए आर॰पी॰ की सहमति को ही घर-घर बिजली देने की सहमति मानकर घर-घर बिजली का कनेक्शन दिया जा सकता है। ऐसा करने पर इसको रोकने का अधिकार आर॰पी॰ को नहीं है। यदि आर॰पी॰ इसका विरोध करते हैं तब इससे निपटने का वैधानिक तरीका अपनाया जा सकता है। क्योंकि पानी की तरह की बिजली भी आजकल जीवन की आवश्यक आवश्यकताओं में से एक बन गई है।
4. आपको स्मरण होगा कि इंकैब की जमीन एवं परिसम्पतियों के संबंध में पूर्ववर्ती टिस्को और इंकैब इंडस्ट्री के बीच में दीर्घकालीन समझौता हुआ था जिसके अनुसार इंकैब को जमीन लीज पर दी गई थी। इस लीज की अवधि वर्ष 2019 में ही समाप्त हो चुकी है। प्रासंगिक लीज समझौता में जिक्र है कि यदि इंकैब इंडस्ट्री बंद हो जाती है, अथवा दिवालिया हो जाती है अथवा लीज की अवधि समाप्त हो जाती है तो लीज की भूमि का कोई भी उपयोग राज्य सरकार की सहमति से ही किया जा सकता है। यानी लीज अवधि समाप्त हो जोने के बाद इंकैब की जमीन का मालिक राज्य सरकार है। ऐसी स्थिति में इस इलाके में घर-घर बिजली का कनेक्शन देने के लिए दिवालिया घोषित हो चुके इंकैब के आर॰पी॰ से एन॰ओ॰सी॰ मांगना आवश्यक नहीं है और एन॰ओ॰सी॰ देने से आर॰पी॰ का इंकार बाध्यकारी नहीं है।
5. जब इंकैब इंडस्ट्री बंद हो गई और बिजली का भुगतान टिस्को को नहीं होने लगा तब टिस्कों ने इंकैब इंडस्ट्री की बिजली काट दी। बाद में नागरिकों के आग्रह पर टिस्कों ने 9 स्थानों पर नागरिकों की समितियों को बिजली कनेक्शन दिया ताकि वे घर-घर से बिजली खपत का शुल्क एकत्र कर एकमुश्त टिस्को/टाटा स्टील को भुगतान करंे। यह व्यवस्था JSRC के नियमों के कितना अनुकूल है इस विषय में आप बेहतर जानकारी रखते हैं। यदि आपके संस्थान द्वारा इस क्षेत्र में 9 स्थानों पर बिजली दी जा सकती है और इसके लिए आर॰पी॰ की सहमति की आवश्यकता नहीं है तो 9 के स्थान पर 90 या इससे अधिक घरों को इसी भांति बिजली का कनेक्शन दिया जा सकता है।
उपर्युक्त विवरण के आलोक में आपसे अनुरोध है कि घर-घर बिजली देने के लिए आर॰पी॰ की सहमति देने अथवा न देने की उपेक्षा कर टाटा स्टील युटिलिटीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेस लिमिटेड घर-घर बिजली कनेक्शन देने का काम आरंभ करे। मुझे लगता है कि ऐसा करने में कोई वैधानिक बाधा उत्पन्न नहीं होगी। आप कृपया इस बारे में अपने विधिक सलाहकारों से स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहें और जितना जल्दी हो केबुल टाऊन/बस्ती के घरों में अलग-अलग बिजली का कनेक्शन देने की कार्रवाई आंरभ करें। मुझे उम्मीद है कि ऐसा करने के लिए 15 दिनों का समय पर्याप्त होगा। अतः 15 दिनों के भीतर इस बारे में ठोस निर्णय लेकर आवश्यक कार्रवाई करना चाहेंगे।
सधन्यवाद,
भवदीय
सरयू राय