Education : झारखंड राज्य की शिक्षा व्यवस्था पहले से ही खराब है। शिक्षक-लैब-पुस्तकालय-भवन आदि आधारभूत सरंचनाओं की भारी कमी है। जरूरत है केंद्र तथा राज्य शिक्षा बजट में बढ़ोतरी करना, ताकि झारखण्ड राज्य शिक्षा व्यवस्था में सुधार किया जा सके। तब विभिन्न अखबारों के माध्यम से यह ज्ञात हुआ कि केंद्र सरकार ने झारखंड राज्य के समग्र शिक्षा बजट में 1299 करोड़ की कटौती कर दी है,व कहा है कि राज्य काम करे तब शेष बजट जारी होगी।राज्य सचिव समर महतो ने कहा कि शिक्षा समवर्ती सूची के अंतर्गत आती है,वैसे में राज्य व केंद्र दोनों की जिम्मेदारी बनती है,कि एक सही शिक्षा व्यवस्था राज्य व देश मे बहाल हो।लेकिन केंद्र द्वारा पहले ही जबरन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति थोपी गयी।समुचित संसाधनो की कमी के कारण और सरकारी स्कूलों की विश्वनीयता के कारण पूर्व में ही राज्य के हज़ारों स्कूलों को बंद किया जा चुका है।
तब ऐसे में केंद्र को झारखंड सरकार द्वारा प्रस्तावित बजट को कम कर देना कही से तर्क संगत नही है। शिक्षा बजट में कटौती करना झारखंड के साथ अन्यायपूर्ण कदम है। कोई भी वजह दिखाकर शिक्षा बजट में कमी करना सरकार की मंशा पर सवाल उत्पन्न करती है। कोई काम न होने पर उसे करने का दवाब देंने के बजाय राशि मे कटौती और उस पर शिक्षकों की जिम्मेदारी राज्य भी ले, यह महज कुतर्क है। हम छात्र समुदाय इसकी घोर निंदा करते है। तथा सरकार से मांग करते है की केंद्रीय बजट का 10% ,तथा राज्य बजट का 30% शिक्षा पर खर्च किया जाय। राज्य सरकार भी छात्रो को छत्रवृत्ति भरने का मौका नही दे रही, शिक्षा क्षेत्र में कोई भी कार्य-प्लान नही दिख रहा, शिक्षा दिन व दिन मंहगी हो रही। कोरोना काल मे प्राइवेट स्कूल फीस माफि की बात थी, लेकिन यह भी सिर्फ कागज में ही रह गया। हम राज्य सरकार से मांग करते शिक्षा क्षेत्र की विभिन्न समस्या को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाए।
बहुत बढ़िया रिपोर्ट
धन्यवाद