लेकिन क्या आप जानते हैं इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष का इतिहास कितना पुराना है?
इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष के इतिहास की बात करें तो साल 1948 में ही इजरायल राज्य की स्थापना के साथ ही शुरू हुआ था। यह संघर्ष 1920 से इजरायल और अरबों के बीच अनिवार्य फिलिस्तीन में अंतर-सांप्रदायिक हिंसा से आया और 1947-48 के गृह युद्ध में पूर्ण पैमाने पर शत्रुता में बदल गया।
आइये अब बात करते हैं अर्मेनिया और अजरबैजान की। पिछले साल 27 सितंबर 2020 से 10 नवंबर 2020 में लगभग डेढ़ महीना अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच भीषण युद्ध हुआ था जो कि जमीनी विवाद से बढ़ते हुए धार्मिक विवाद की ओर बढ़ने लगा था।
अब आप सोच रहे होंगे इन युद्धों की चर्चा का मतलब क्या है? तो बता दें कि विश्व के अन्य देश धार्मिक नजर से इन युद्धों को तौलते हैं और देखते हैं। युद्ध में लड़ने वाले देशों के धर्म को लेकर विश्व के अन्य देश आपस में बंटने लगते हैं। जैसा कि हमने अर्मेनिया और अजरबैजान युद्ध के समय में देखा था। ऐसा लग रहा था मानो विश्व दो प्रमुख धर्मों के बीच बंट जाएगा और World War-III का आरम्भ हो जाएगा।
ठीक वैसी ही स्थिति, आज इजरायल और फिलिस्तीन देशों के बीच हुई जंग से उत्पन्न हो रही है। सबसे अचंभे की बात तो तब होती है जब इसमें अन्य देश मजे लेते हैं। लेकिन कई ऐसे भी राष्ट्र हैं जिन्होंने युद्ध का कभी भी समर्थन नहीं दिया।
बता दें कि विश्व के शक्तिशाली देश अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में लगे हुए हैं। तुर्की (Turkey) इन युद्धों में अधिक इंटरेस्ट लेता है तो वहीं रूस (Russia) भी इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहा है। अमेरिका अंत में निर्णायक की भूमिका में लगा रहता है। UAE भी बाहर से धार्मिक युद्धों को समर्थन देता है तो वहीं यूरोप भी इसी नीति को फॉलो करते आया है। चीन किसी भी रूप में अन्य देशों के युद्ध में हस्तक्षेप नहीं करेगा। क्योंकि उसके तो खुद के अन्य दर्जनों देशों से पंगे हैं। जापान और कोरिया निजी हितों के लिए आगे आ सकता हैं। तबतक अजगर जैसा सोया रहेगा।
अंत में हम शक्तिशाली देश भारत की बात करें तो भारत कभी भी युद्ध करने के पक्ष में रहा ही नहीं है। मामले बातचीत से सुलझाने में लगा रहता है लेकिन जब बात आन की आ जाये तब बात ही अलग है।
चलिये हम आगे बढ़ते हैं की क्या इजरायल और फिलिस्तीन देशों के बीच जारी जंग विश्व युद्ध का माहौल बना सकती है?
यह आशंका तो पैदा करती है कि यह मात्र दो देशों के बीच होने वाला जंग नहीं है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन (Erdogan) ने इस संबंध में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) से की है। टेलीफोन पर हुई बातचीत से तो यहीं लगता है। तुर्की के राष्ट्रपति संचार निदेशालय के अनुसार, दोनों देशों के नेताओं ने बुधवार को टेलीफोन पर यरूशलम के विवादित क्षेत्र को लेकर चर्चा की है। इस टेलीफोनिक बातचीत में रेसेप तैयप एर्दोगन ने रूस के राष्ट्रपति से कहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इजरायल को कड़ा और अलग सबक सिखाना चाहिए। और इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को त्वरित हस्तक्षेप कर इजराइल को स्पष्ट संदेश दिया जा सके।
तुर्की द्वारा जारी बयान में यह भी कहा गया है कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन को राष्ट्रपति एर्दोगन ने यह सुझाव दिया है कि फिलिस्तीनियों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बल पर विचार किया जाना चाहिए। वहीं गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था कि गाजा में कुल 65 लोग मारे जा चुके हैं जिनमें 16 बच्चे और 5 औरत हैं जबकि 366 से अधिक लोग घायल हुए हैं। जिनमें 86 बच्चे और 40 औरतें हैं।
उग्रवादी संगठन हमास का गाजा सिटी कमांडर इजरायल के हवाई हमले में मारा गया है। हमास संगठन के रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि 2014 में गाजा की जंग के बाद से बुधवार के हुए इस हमले में बसम ईसा (Bassem Issa) मारा गया जो हमास का अब तक का सबसे बड़ा अधिकारी था।
जमीन को लेकर जारी यह संघर्ष, धर्म युद्ध की तरफ बढ़ रहा है, जो कहीं World War – III का विशेष कारण ना बन जाये।
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