Aditypur : बुधवार 10 नवम्बर, 2021
स्वच्छता का राग गाने वाले और स्वच्छ भारत मिशन की नौटंकी करने वाली नगर व्यवस्था कहाँ तक कार्य कर रही है यह नगर के नागरिक बखूबी जानते हैं।
त्योहारों में नगर की गंदगी बाद से बदतर ही जाती है लेकिन सफाई न करते हुए नगर प्रशासन मौन होकर आंखें बंद कर लेती है। कुछ ऐसा ही हाल आदित्यपुर नगर निगम का भी है।
गम्हरिया का एक इलाका जहां गंदगी ही गंदगी है। |
पवित्रता और स्वच्छ्ता का महापर्व छठ को लेकर आदित्यपुर नगर निगम कुछेक घाटों को छोड़कर ध्यान नहीं दे रही है। जन सुविधाओं से परे वो अपने मनमर्जी कार्य में लगी हुई है। जहां आवश्यकता हैं वहां उनका ध्यान ही नहीं जाता। इस अव्यवस्था और स्वच्छता का ढोंग करने वाले नगर निगम के अधिकारियों के प्रति स्थानीय नागरिकों में काफी रोष है।
आदित्यपुर नगर निगम के क्षेत्र में गम्हरिया भी आता है। लेकिन गम्हरिया में अव्यवस्था के कारण वहां के नागरिक नगर निगम और वहां के अधिकारियों के प्रति नाराज है। उनके अनुसार नगर निगम यह अव्यवस्था बनाए रखने में कुशल है।
गम्हरिया का जमुना तालाब सफाई होने का इंतजार करता हुआ |
इस अव्यवस्था पर एक स्थानीय नागरिक ने खुलकर कहा की – ‘आदित्यपुर का आदमी टैक्स देता है, गम्हरिया का आदमी टैक्स थोड़ी देता है और ना ही छठ करता है। गम्हरिया में सफाई करवाने के लिए ऑफिस (नगर निगम) में गिड़गिड़ाना पड़ता है।’
उसने आगे कहा कि – ‘छठ को लेकर 100 कर्मचारी अधिक नियुक्त किये गए हैं लेकिन सब आदित्यपुर में ही बिजी हैं।’
आको बता दें कि आपातकाल स्थिति दिखाकर कर्मचारी बहाल तो होते हैं लेकिन उनकी संख्या पेपर में कुछ और वास्तविक रूप में कुछ और ही होती है। अब सालों भर के सफाई अभियान के बाद भी नगर साफ नहीं रहता और ठीक छठ के समय में अतिरिक्त सफाई कर्मचारी लगाए जाते हैं। उसपर भी उनकी सँख्या होती कुछ है और दिखाई कुछ और जाति है।
खैर ऐसा वर्तमान में ही नहीं बहुत समय पहले से ही होता आ रहा है। और सबसे बड़ी बात यह है कि यह अव्यवस्था केवल आदित्यपुर नगर निगम में ही नहीं झारखण्ड के लगभग सभी नगर निगमों में किया जाता है। जहां पेपर बाजी तो खूब होती है लेकिन वास्तविकता बहुत कुछ अलग होती है।
और इनपर निगरानी करने वाले उच्च अधिकारी भी मौन होते हुए आंखें बंद कर लेते हैं। जानते हैं ऐसा क्यों होता है? कमीशन! जी हाँ कमीशन भी इस खेल में होता है। जो सबके टेबल पर सही समय पर पहुंच जाता है।