स्वास्थ्य को लेकर हर प्राणी सचेत रहता है। बात चाहे प्राचीन समय की हो या आधुनिक जगत की। हर युग में लोग अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित रहते थे। हम बात करेंगे आधुनिक चिकित्सा पद्धति में आये बदलाव को लेकर। हर दिन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए नए-नए प्रयोग किये जा रहे है। कहीं मेडिसिन पर तो कहीं बिमारियों पर। आधुनिक समय में हमारे पास बिमारियों को जानने और समझने के लिए बहुत सारे उपकरण और यंत्र उपलब्ध हैं जिनके माध्यम से चिकित्सक होने वाली बीमारी और उसके प्रभाव को आसानी से समझ कर उक्त बीमारी या रोग को ख़त्म करने के लिए उचित औषधि देते हैं। उन यंत्रों का निर्माण करने वाले वैज्ञानिक वाकई में महान होते हैं जिन्होंने जगत के कल्याण हेतु अद्भुत यंत्रों को बनाया है।
आइये, चिकित्सा जगत में प्रयोग किये जाने वाले कुछ आधुनिक उपकरणों के प्रयोग और उससे होने वाले लाभों के बारे में हम जानेंगे।
1. एंजियोग्राफी – एंजियोग्राफी टेस्ट एक इमेजिंग परीक्षण या प्रक्रिया है, जिसके तहत एक्स-रे और एक विशेष डाई का उपयोग कर किसी व्यक्ति के मस्तिष्क, किडनी, हृदय सहित शरीर के कई हिस्सों में संकीर्ण, अवरुद्ध, बढ़ी हुई या विकृत नस एवं नाड़ी (धमनियों या शिराओं) का अध्ययन करने के लिए किया जाता है। इस परीक्षण में स्पष्ट छविओं को प्राप्त करने के लिए डाई या रंजक को मरीज के प्रभावित हिस्से की नसों में इंजेक्ट किया जाता है। डाई एक्स-रे की मदद से नसों में किसी भी संकुचित या अवरुद्ध क्षेत्र को दर्शाती है और किडनी के माध्यम से यह डाई मूत्र द्वारा शरीर से बाहर कर दी जाती है। इस प्रक्रिया द्वारा प्राप्त होने वाली एक्स-रे इमेजिंग को एंजियोग्राम कहा जाता है।
2. ईसीजी – ईसीजी का पूरा नाम इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG) है। साधारण एवं दर्दरहित टेस्ट जो हृदय की इलेक्ट्रिकल गतिविधि की माप करता है इस टेस्ट को ईसीजी या ईकेजी (EKG) भी कहा जाता है। हमारे हृदय की प्रत्येक धड़कन इलेक्ट्रिकल सिग्नल के कारण ही चलती है जो हृदय के ऊपर से शुरू होकर नीचे तक जाती है। लेकिन हृदय में किसी तरह की समस्या उत्पन्न होने पर हृदय की इलेक्ट्रिकल गतिविधि प्रभावित हो जाती। अगर हृदय रोगों से संबंधित कोई लक्षण किसी व्यक्ति में दिखायी देते हैं तो डॉक्टर उसे ईसीजी (ECG) कराने की सलाह देते हैं।
3. एक्स-रे – एक सामान्य इमेजिंग टेस्ट, जिसका उपयोग बीमारियों के निदान के लिए दशकों से किया जा रहा है। साधारणता शरीर के किसी भाग में फ्रैक्चर (हड्डी के टूटने या क्रेक) होने पर इसके द्वारा टेस्ट कराया जाता है। एक्स-रे कराने के फायदों के साथ इसके कुछ हल्के दुष्प्रभाव भी होते हैं। एक्स-रे दर्दरहित होता है लेकिन अलग-अलग प्रकार के एक्स-रे कराने का उद्देश्य भी अलग-अलग होता है। जैसे कि बेरियम एनीमा एक्स-रे, जठरांत्र पथ एवं मैमोग्राम एक्स-रे स्तन का परीक्षण करने के लिए किया जाता है।
4. अल्ट्रासाउंड – अल्ट्रासाउंड स्कैन एक मेडिकल टेस्ट है जिसके द्वारा शरीर के अंदर के सजीव चित्रों का परीक्षण किया जाता है। इसे सोनोग्राफी के नाम से भी जाना जाता है। बिना किसी तरह का चीरा लगाए अल्ट्रासाउंड के जरिए डॉक्टर शरीर के अंगों, वाहिकाओं और कोशिकाओं में समस्याओं का पता लगाते हैं। अन्य तकनीकों और उपकरणों के विपरीत अल्ट्रासाउंड में किसी भी तरह के विकिरण का उपयोग नहीं किया जाता है। गर्भावस्था के दौरान महिला के गर्भ में बढ़ रहे भ्रूण की स्थिति का पता लगाने के लिए यह तरीका सबसे ज्यादा प्रचलित है। शरीर के भीतरी अंगों में परेशानी का परीक्षण करने के लिए भी अल्ट्रासाउंड किया जाता है। अल्ट्रासाउंड के जरिए मूत्राशय, शिशुओं के मस्तिष्क, आंख, पित्ताशय, गुर्दा, लीवर, अंडाशय, अग्नाशय, थॉयराइड, अंडकोष, रक्तवाहिकाएं आदि का परीक्षण किया जाता है।
5. सीटी स्कैन – सीटी स्कैन का पूरा नाम कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी स्कैन है। यह एक ऐसा टेस्ट है जिसमें कंप्यूटर और घूमती हुई एक्स-रे मशीन की सहायता से शरीर के विभिन्न भागों का क्रॉस-सेक्शनल (टुकड़ों में) चित्र लिया जाता है। सामान्य एक्स-रे की अपेक्षा सीटी स्कैन में अधिक विस्तृत और स्पष्ट जानकारी प्राप्त हो जाती है। सीटी स्कैन में शरीर की मुलायम कोशिकाओं, रक्त वाहिकाओं और हड्डियों के संबंधित विकारों के चित्र स्पष्ट दिखायी पड़ते हैं। सीटी स्कैन का प्रयोग सिर, कंधे, रीढ़ की हड्डी, हृदय, पेट , घुटने और छाती से जुड़ी समस्याओं के निदान के लिए किया जाता है। आमतौर पर सीटी स्कैन से शरीर के हर एक हिस्से का स्पष्ट चित्र देखा जा सकता है और रोगों के निदान, चोट एवं सर्जिकल एवं रेडिएशन उपचार के लिए भी सीटी स्कैन किया जाता है।
6. एमआरआई – एम आर आई स्कैन (MRI) का पूरा नाम मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग है। यह एक ऐसी टेक्निक है जिसमें चुम्बकीय क्षेत्र और रेडियो तरंगों की सहायता से शरीर के अंगों एवं उनकी कोशिकाओं का स्पष्ट एवं विस्तृत चित्र बनाया जाता है। ज्यादातर एमआरआई मशीनें बड़ी एवं ट्यूब के आकार की चुंबकीय मशीन होती हैं।
एमआरआई स्कैन का उपयोग तब किया जाता है जब ज्यादातर टेस्ट किसी बीमारी का सही निदान करने में असफल हो जाते हैं या उस बीमारी के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं दे पाते हैं, तब एमआरआई के जरिए मरीज के सही बीमारी की पुष्टि की जाती है। किसी तरह की चोट लगने के बाद मस्तिष्क की संरचना का पता लगाने एवं मेरुरज्जु (spinal cord) में उत्पन्न विकारों के निदान के लिए एमआरआई स्कैन किया जाता है। ब्रेन ट्यूमर, स्ट्रोक, रीढ़ की हड्डी में सूजन या ट्यूमर एवं मस्तिष्क की धमनी में समस्या आदि असामान्यताओं के निदान के लिए एमआरआई का उपयोग किया जाता है।
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