राजनीति मेरे लिए जनसेवा करने का एक माध्यम है,जीविकोपार्जन का साधन नहीं – डॉ. अजय
जमशेदपुर: मुझ पर झुठ बोलने और बस्ती वासियों को गुमराह कर राजनीतिक रोटी सेकने का आरोप लगाने वाले नेताओं को मैं बताना चाहता हूं कि राजनीति मेरे लिए जनसेवा करने का एक माध्यम है, जीविकोपार्जन का साधन नहीं. उक्त बातें पूर्व सांसद सह कांग्रेस के वरीय नेता डॉ अजय कुमार ने शनिवार को परिसदन में आयोजित प्रेस वार्ता में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कही.
उन्होंने आगे कहा कि मैं सांसद नहीं था, फिर भी लोगों को मदद करता रहा हूं, ये और बात है की वो अखबार की सुर्खियां नहीं बनी. अगर आज भी जमशेदपुर वासियों के दिलों में अजय कुमार बसते हैं तो वो इसलिए मैं उनके सुख दुख में हमेशा खड़ा रहता हूं. यही मेरी कमाई है और पूंजी भी है. डॉ. अजय ने कहा कि लांछन तो माता सीता पर भी लगाए गए थे. इसलिए मैं घबराता नहीं सच के साथ डट कर खड़ा रहता हूं.
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अचानक क्यों जगा स्वर्णरेखा नदी के प्रति अर्जुन मुंडा का प्रेम
डॉ. अजय ने कहा कि स्वर्णरेखा नदी के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए सरयू राय द्वारा पिछले कई वर्षों से स्वर्णरेखा नदी तट पर महोत्सव का आयोजन किया जाता है. इस आयोजन से किसका संरक्षण और संवर्द्धन हुआ है और स्वर्णरेखा नदी कितनी प्रदूषण मुक्त हुई है, यह तो सर्व विदित है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि 30 अगस्त 2023 को तत्कालीन जनजातीय विभाग के मंत्री अर्जुन मुंडा के मन में अचानक स्वर्णरेखा नदी के प्रति प्रेम कैसे जग गया और वे सीधे एनजीटी पहुंच गए नदी किनारे बने बहुमंजिली इमारतों एवं घरों के खिलाफ शिकायत करने.
उन्हें सार्वजनिक तौर पर यह बताना चाहिए आखिर ऐसा क्या हुआ जिसके कारण उन्हें एनजीटी में शिकायत करनी पड़ी. जबकि रांची के हरमू नदी के नाला में तब्दील होने और हरमू नदी के गायब होने की खबरें ना सिर्फ झारखंड बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर अखबारों की सुर्खियां बन चुकी है लेकिन हरमू नदी के प्रति उनके दिल में प्रेम पल्लवित नहीं हुआ.
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अर्जुन मुंडा द्वारा एनजीटी में जो शिकायत की गई है उसमे एक गहरी साजिश की बू आती है. इस पूरे मामले पर पर्दा डालने का काम जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने बखूबी किया है. इस मामले की पूरी जानकारी होने के बावजूद उन्होंने इस को लोगों से छुपाने और लोगों को गुमराह करना का काम किया. जानते हुए भी सच को छुपाना झुठ बोलने के बराबर होता है.
30 साल से बीजेपी ने लोगों को ठगा है
डॉ अजय ने कहा कि एनजीटी के आदेश और रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्जुन मुंडा ने स्वर्णरेखा नदी तल पर बड़े पैमाने पर और भेदभावपूर्ण तरीके से भवन निर्माण की शिकायत की और कहा कि इस तरह का निर्माण पर्यावरण दिशानिर्देशों का उल्लंघन है. अर्जुन मुंडा के इस आरोप को नकारा नहीं जा सकता. अर्जुन मुंडा अपने पत्र में लिखते हैं “Offlate the Human greed has started to manifest”. मतलब “धीरे-धीरे इंसान का लालच बढ़ता ही जा रहा है.”
उन्होंने कहा कि एक बस्ती वासी अपना खून पसीना बहाकर कमाये एक एक रुपया जोड़ कर एक छोटा सा घर रहने के लिए बना रहा है तो मुंडा जी कहते हैं “इंसान लालची हो गया है’. वहीं दलमा में अपने वनवासी घर बना रहे हैं रहने के लिए. तो मुंडा जी कहते हैं “इंसान लालची हो गया है’. लालची तो बीजेपी वाले हो गए हैं. जनता को झूठ बोलबोल कर जमशेदपुर पूर्वी की जनता को 30 साल से ठगा है.
क्या है मामले की Chronology
डॉ.अजय ने कहा कि मामले की Chronology को इस तरह से समझा जा सकता है कि अगस्त 2023 में अर्जुन मुंडा शिकायत करते हैं दलमा और स्वर्णरखा नदी बेसिन पर बने अवैध निर्माण को लेकर. एनजीटी, Delhi ने इस शिकायत को एनजीटी कोलकाता पीठ में आवेदन संख्या 145/2023 के तहत sou moto register किया. शिकायत फ़ाइल होने के बाद,
एनजीटी ने झारखंड सरकार से जवाब मांगा. श्री मुंडा द्वारा दायर शिकायत के कारण एनजीटी के निर्देश पर सरकार को इस मामले का संज्ञान लेना पड़ा. सरयू राय की चतुराई देखिए अर्जुन मुंडा का नाम लिये बगैर उनके वकील Sanjay Upadhyay & team ने एनजीटी कोलकाता में एक आवेदन दायर किया. जिसमें मूल आवेदन (मुंडा की शिकायत के कारण) का उल्लेख किया गया है जो 145/2023 है. और CREDIT लिया कि उन्हें लोगों की चिंता है, अपना वकील लगाऊंगा आदि आदि…
फिर सरयू राय कहते हैं कि मुंडा जी ने बस्तियों के बारे में कोई शिकायत नहीं की है……. तो फिर आवेदन संख्या 145/2023 का उल्लेख क्यों था उनके वकील की याचिका में. इसका मतलब साफ है कि सरयू राय अच्छी तरह से जानते हैं कि बस्तीवासियों को भेजे गए नोटिस केवल मुंडा द्वारा एनजीटी, दिल्ली में की गई शिकायत के कारण हैं.
उन्होंने कहा कि मैं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से ऐसे सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध करूंगा, जो भाजपा मानसिकता पर काम कर रहे हैं. मैं हेमंत सोरेन से लगातार संपर्क में हूं.
सरयू राय से सवाल-
डॉ. अजय कुमार ने सरयू राय से पूछा कि क्यों उन्होंने यह तथ्य छिपाया कि एनजीटी में आवेदन संख्या 145/2023 अर्जुन मुंडा द्वारा दायर शिकायत के कारण था?
* सरयू राय के वकीलों द्वारा एनजीटी कोलकाता पीठ में एक आवेदन क्यों दायर किया गया जिसमें कहा गया कि मूल आवेदन संख्या 145/2023 के कारण ऐसे नोटिस जारी किए जा रहे हैं
* एक साल से ऊपर हो गया अर्जुन मुंडा के शिकायत किये, लेकिन क्यों सरयू राय ने ये शिकायत के बारे में लोगों को नही बताया।
* प्रभावित क्षेत्र के विधायक होने के नाते उन्होंने इस मुद्दे को झारखंड विधानसभा में क्यों नहीं उठाया?
* जनजातीय मामले के मंत्री होने के नाते अर्जुन मुंडा को पर्यावरण से संबंधित मामले में शिकायत दर्ज करने की क्या जरूरत पड़ी?
* अर्जुन मुंडा इस मुद्दे पर क्यों नहीं बोल रहे हैं? बयान देने के लिए क्यों वो अपने छूट भईये नेताओं को आगे कर रहे हैं?
* सरयू राय जरा बताएं कि शिकायत करने से पहले अर्जुन मुंडा जी ने इस मामले में झारखंड सरकार से पहले चर्चा क्यों नहीं की?
डॉ. अजय ने कहा कि सरयू राय को शायद नहीं मालूम कि NGT द्वारा दिए गए आदेश का निष्पादन न्यायालय के आदेश के रूप में करना होता है .अब जब अर्जुन मुंडा ने शिकायत की तो एनजीटी ने कुछ कदम उठाए, जिसका जवाब देना किसी भी सरकारी अधिकारी या फिर सरकार की बाध्यता है. अर्जुन मुंडा अगर शिकायत नहीं करते तो आज हमारे लोगो को ये नोटिस नहीं मिलता.
उन्होंने कहा कि फैबबुक पर लाइव करने से सच्चाई नहीं छुपेगी सरयू राय जी, हिम्मत है तो जनता के बीच जाइये… छुप कर तो FACEBOOK LIVE SHOW आज कल हर कोई करता है.
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