झारखंड
🚜 महिला किसान बेला महतो ने शुरू की उन्नत मशरूम खेती, पेडी स्ट्रॉयड तकनीक से खेती में रचा नया कीर्तिमान

🚜 Women farmer Bela Mahato started advanced mushroom farming, created a new record in farming with Paddy Strayed technology
— दो बीघा में पुआल छत्तू की खेती, 40 बीघा में विस्तार की योजना
📍 जमशेदपुर। महिला सशक्तिकरण और उन्नत कृषि का उत्कृष्ट उदाहरण बनते हुए तुलसीडीह गांव की बेला महतो ने पेडी स्ट्रॉयड मशरूम (पुआल छत्तू) की खेती की शुरुआत कर क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए मिसाल पेश की है। वर्तमान में उन्होंने दो बीघा जमीन पर यह खेती शुरू की है, और जल्द ही इसे 40 बीघा जमीन तक विस्तार देने की योजना है।
🧑🌾 महिला किसान की प्रेरणादायक पहल
बेला महतो ने यह कदम आटी पुआल मशरूम प्रा. लि., वंदोवान के एमडी डॉ. अमरेश महतो के मार्गदर्शन में उठाया है। उन्होंने बताया कि
“यदि उत्पादन अच्छा हुआ, तो भविष्य में 40 बीघा जमीन पर इसी तकनीक से खेती को अपनाया जाएगा।”
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📖 प्रशिक्षण और प्रेरणा का संगम
बेला महतो ने बताया कि उन्होंने डॉ. अमरेश महतो से उन्नत खेती का प्रशिक्षण प्राप्त किया है और उन्हीं से प्रेरित होकर खेती को नया आयाम देने का निर्णय लिया।
🌾 मल्टी क्रॉप योजना: औषधीय फसलों की खेती की तैयारी
डॉ. अमरेश महतो ने जानकारी दी कि बेला महतो जल्द ही अपने खेतों में स्वीट पोटैटो, कसाबा (शुगर और ग्लूटन फ्री), और सीआर धान 310 (हाई प्रोटीन युक्त) की खेती भी शुरू करेंगी। उन्होंने बताया कि ये सभी फसलें औषधीय गुणों से भरपूर हैं और विभिन्न बीमारियों जैसे गैस्ट्रिक, कैंसर और शुगर में लाभकारी होती हैं।
🔬 नई तकनीक, अधिक मुनाफा
डॉ. महतो के अनुसार:
- 🍄 मशरूम की खेती महीने में दो बार की जा सकती है और यह सालभर किसी भी जमीन पर संभव है।
- 🍠 स्वीट पोटैटो की खेती 3 महीने में होती है और साल में चार बार की जा सकती है।
- 🌾 कसाबा और सीआर धान 310 की फसल छह महीने में तैयार होती है और साल में दो बार ली जा सकती है।
उन्होंने कहा,
“नई तकनीक से खेती कर किसान कम मेहनत और कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।”
🤝 मौके पर उपस्थित प्रगतिशील किसान और संस्थागत प्रतिनिधि
इस उन्नत खेती की शुरुआत के अवसर पर क्षेत्र के प्रगतिशील किसान, सामाजिक कार्यकर्ता, और कृषि विशेषज्ञ उपस्थित थे। इनमें शामिल थे:
- दीन बंधु ट्रस्ट के महासचिव नागेन्द्र कुमार
- प्रगतिशील किसान संजीव महतो (ओड़िया चिरूडीह गांव)
- तृप्ति महतो, खिरोध महतो, पदावती महतो, सपन महतो, कैलाश महतो, धरणीधर महतो सहित अन्य स्थानीय किसान और ग्रामीण।
📌 निष्कर्ष:
बेला महतो की यह पहल न सिर्फ महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत कदम है, बल्कि यह झारखंड और बंगाल के सीमावर्ती ग्रामीण इलाकों में उन्नत कृषि के लिए एक नई राह खोल रही है। ऐसे प्रयास आने वाले समय में कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को नया बल देंगे।