झारखंड
“एफआईआर नहीं हुआ तो मेरे नाम का कुत्ता पाल लेना इसी गोलमुरी में” जमशेदपुर के गोलमुरी थाने में गंभीर आरोपों की वीडियो क्लिप वायरल

जमशेदपुर : समाज को बेहतर तरीके से आगे बढ़ने में स्थानीय थाना एवं पुलिस का अहम रोल होता है लेकिन क्या हो जब थाना प्रभारी फरियादी की औकाद देखने की बात कह डाले यही नहीं उनके नाम का कुत्ता पालने जैसी भाषा का भी इस्तेमाल करे।
इसे क्या समझा जाए?
थाना प्रभारी का या तो मानसिक संतुलन बिगड़ गया है या फिर वे समाज की सुरक्षित स्थिति को बिगाड़ने में एक अहम किरदार की भूमिका निभा रहे हैं।
थाना प्रभारी की शर्मनाक भाषा: फरियादी को दी “औकात दिखाने” और “कुत्ता पालने” की धमकी!
निस्संदेह, कार्य के दौरान मानसिक स्थिति हमेशा एक जैसी नहीं रहती, लेकिन एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी से अपेक्षा की जाती है कि वह जनता की बातों को सहनशीलता और संवेदनशीलता के साथ सुने, उन्हें समझे और अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए समस्याओं का समाधान करे।
इसके बावजूद उनका गरम रवैया दर्शाता है की उनकी मनः स्थिति ठीक नहीं है। आवेश में आकर एक फरियादी के साथ ऐसा कृत्य, यह स्वच्छ समाज की मर्यादा को धूमिल करने जैसा है और सामाजिक स्तर की निम्न सोच को दर्शाता है।
आपको बता दें की
झारखंड जमशेदपुर के गोलमुरी थाना पर एक महिला ने रिश्वतखोरी का आरोप लगाया है। इस मामले में जब थाना प्रभारी राजन कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों पर धारा 107 लगाई गई है। महिला ने कहा कि थाना प्रभारी ने सबके सामने कहा कि वह शिकायतकर्ता का स्टेटस चेक करेंगे और अगर एफआईआर दर्ज नहीं होती है तो वह अपने नाम से कुत्ता पाल लेंगे, जिसे वीडियो में सुना जा सकता है।
नीचे सुनिए क्या है पूरा मामला। नीचे वीडियो देखें
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🔍 मुख्य बातें:
- महिला फरियादी का दावा – थाना प्रभारी ने “औकात दिखाने” की बात कही
- अपमानजनक भाषा – “एफआईआर नहीं हुआ तो मेरे नाम का कुत्ता पाल लेना इसी गोलमुरी में”
- SHO का बचाव – “दोनों पक्षों पर धारा 107 लगाई गई, महिला का आरोप झूठा”
- वायरल वीडियो में साफ सुनाई दे रही थाना प्रभारी की भाषा
- स्थानीय पुलिस की भूमिका पर फिर उठे सवाल
📍 पूरा मामला क्या है?
झारखंड के जमशेदपुर स्थित गोलमुरी थाना एक बार फिर विवादों में है। एक महिला फरियादी ने थाना पर घूस लेकर काम करने का गंभीर आरोप लगाया है। इस मामले ने तब तूल पकड़ा जब SHO द्वारा कथित तौर पर दिए गए अपमानजनक बयानों का वीडियो वायरल हो गया।
वीडियो में साफ तौर पर सुनाई देता है कि SHO राजन कुमार फरियादी महिला से कहते हैं –
“तुम्हारी औकात दिखा देंगे… अगर एफआईआर नहीं हुआ तो मेरे नाम का कुत्ता पाल लेना इसी गोलमुरी में”
यह भाषा न सिर्फ अशोभनीय है, बल्कि समाज में पुलिस की गरिमा और भरोसे को ठेस पहुंचाने वाली भी है।
नीचे वीडियो देखें
🧑⚖️ पुलिस की भूमिका पर सवाल
समाज में थाना और पुलिस की भूमिका कानून व्यवस्था बनाए रखने, पीड़ितों को न्याय दिलाने और जनता में सुरक्षा का विश्वास कायम करने की होती है। लेकिन जब थाना प्रभारी खुद कानून की मर्यादा का उल्लंघन करें, तो यह सवाल उठाना लाजमी है कि:
- क्या ऐसे अधिकारी समाज को सुरक्षित बना सकते हैं?
- क्या यह सिर्फ मानसिक संतुलन की समस्या है, या सत्ता का दुरुपयोग?
👮♂️ थाना प्रभारी का पक्ष
जब इस मामले में SHO राजन कुमार से मीडिया द्वारा बात की गई, तो उन्होंने कहा:
“महिला के आरोप निराधार हैं। दोनों पक्षों पर धारा 107 के तहत कार्रवाई की गई है।”
लेकिन वीडियो में जो भाषा सुनाई दे रही है, वह स्पष्ट रूप से शिष्टाचार, संवेदनशीलता और कर्तव्यपरायणता की मर्यादा के खिलाफ है।
नीचे वीडियो देखें
📽️ वीडियो बना गवाह
वायरल वीडियो में थाना प्रभारी की आवाज और भाषा स्पष्ट रूप से सुनाई दे रही है। यह कोई छुपी हुई बात नहीं रही, बल्कि जनता के बीच थाने के अंदर के हालात को उजागर करने वाला सबूत बन चुका है।
⚖️ विशेष विश्लेषण: क्या यह महज ‘आवेश’ है या ‘अभिमान’?
यह समझना ज़रूरी है कि एक पुलिस अधिकारी का कार्य सिर्फ अपराधियों को पकड़ना नहीं, बल्कि जनता की शिकायतों को सुनकर समाधान देना भी है। यदि अधिकारी का स्वभाव ही आक्रामक, अपमानजनक और अहंकारी हो, तो वह अपने कर्तव्य और सामाजिक उत्तरदायित्व दोनों का उल्लंघन कर रहा होता है।
ऐसी घटनाएं पुलिस सुधार की जरूरत को उजागर करती हैं।
यह घटना झारखंड पुलिस की कार्यप्रणाली पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है। SHO राजन कुमार द्वारा कथित रूप से की गई अपमानजनक टिप्पणी न केवल पीड़िता का मनोबल गिराती है, बल्कि आम जनता के मन में पुलिस के प्रति विश्वास को भी हिलाकर रख देती है।
🔴 क्या इस पर होगी उच्चस्तरीय जांच?
🔴 क्या SHO को मिलेगी प्रशासनिक चेतावनी या कार्रवाई?
समाज यह जानना चाहता है — क्या अब भी ‘जनता की पुलिस’ सिर्फ एक नारा भर है?