भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में आई महामारी COVID-19 के समय डगमगाई अर्थव्यवस्था को बचाये रखने के लिए स्थानीय व्यवसाय की महत्ता को लेकर लोगों से अपील की थी कि सभी स्थानीय व्यवसायों और उत्पादों को प्रोत्साहित किया जाए। जिसके लिए देश को एक नया नारा दिया – Vocal for Local.
भारत में एक ओर जहां वोकल फ़ॉर लोकल को बढ़ावा दिया जा रहा है वहीं महिला सशक्तिकरण ने भी देश का मान बढ़ाया है।
दोस्तों आज हम बात करने जा रहें भारत के शहर आदित्यपुर के एक छोटे से स्थान बंता नगर में संचालित गणेश महिला समिति की।
यह समिति झारखंड राज्य के सरायकेला खरसावां जिले में सक्रिय है। यह संस्था अपनी कलात्मक वस्तुओं के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है।
आइये सबसे पहले इस समिति के बारे में जानते है।
गणेश महिला समिति का गठन शिउली देवी ने वर्ष 2016 के मध्य में वार्ड-33, बंता नगर आदित्यपुर-2 में एक छोटे से मकान में किया था। दस महिलाओं की टीम ने मिलकर इस समिति का संचालन आरम्भ किया।
जिसमें सभी महिलाओं को निम्न प्रकार से पद दिए गए –
अध्यक्षा – बंदना
सचिव – तुलसी
कोषाध्यक्ष – धनमती
सदस्य – गासो पात्रो, पूजा करवा, बेला दोराई, सरस्वती देवी, सुशीला बनकीरा, सोनामनी तिऊ और कुलोबला देवी।
इस समिति के सभी लोग बंता नगर, आदित्यपुर-2 की रहने वाली हैं। पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए कुशल कार्य करना इनका शौक भी है। स्वयं निर्भरता की राह पर चल चुकी यह महिलाएं औरों को भी सफलता का मार्ग दर्शन करा रहीं हैं।
इस समिति की सबसे अच्छी और अनूठी बात यह है कि हर महिला की दक्षता एक दूसरे से भिन्न है अर्थात हर महिला विभिन्न कार्यों में दक्ष है।
आइये अब हम गणेश महिला समिति के सदस्यों के हुनर के बारे में जानते हैं।
पूजा नरवा – पेड़ों के पत्तों से निर्मित दोना, प्लेट, कप आदि बर्तन बनाने में इनको महारत हासिल है। ये बर्तन इको फ्रेंडली भी हैं। इनके प्रयोग से प्रदूषण भी नहीं होता और पर्यावरण को लाभ ही मिलता है।इस्तेमाल के बाद इन बर्तनों को सड़ा कर खाद भी तैयार किया जा सकता है। जिसे बागीचे या खेतों के पेड़-पौधों को देने से उनकी गुणवत्ता बढ़ जाएगी।
बेला दोराई और सुशीला बनकीरा- लायलून की पतली रस्सियों से हैंड बैग, पर्स, लॉन्ग बैग, बेल्ट, झालर, सजावटी समान आदि बनाने में माहिर हैं। लायलून की रस्सियों से बनी ये सभी वस्तुएं जल्दी गंदे नहीं होते। इनकी चमक भी बहुत दिनों तक बनी रहती है। लायलून की होने की वजह से इनके तार भी नहीं टूटते, और मजबूत भी होते हैं। बस आग से इनको बचाना होता है।
इसके साथ ही बेला दोराई अगरबत्ती, ऊन से बनी शाल, स्वेटर, सजावटी सामान बनाती है।
खाद्य पदार्थों को भी बनाने में माहिर हैं जिनमें आचार, बड़ी, पापड़, चनाचूर बनाती हैं।
ये लहठी चूड़ी का निर्माण भी करती है जिसका डिमांड देश ही नहीं विदेशों में भी है।
सरस्वती देवी – कुश (एक प्रकार की प्राकृतिक घास) का बेहतरीन झाड़ू बनाती है। यह झाड़ू ईको फ्रेंडली होने के साथ-साथ बहुत सस्ता भी होता है। इस झाड़ू से सफाई बहुत अच्छी होती है इसलिये ग्रामीण क्षेत्रों में इनकी डिमांड सबसे ज्यादा है। अब शहरों में इनकी मांग की जाने लगी है।
सोनामनी तिऊ – पारम्परिक और आधुनिक महिलाओं के परिधान बनाने में माहिर हैं। परिधानों को बनाने में कपड़े के साथ-साथ ऊन का भी प्रयोग करती हैं। ये परिधान आकर्षक होने के साथ ही सस्ते भी होते हैं।
कुलोबला देवी – टीम के सभी सदस्यों का हौसला बनाये रखने में इनकी अहम भूमिका है।
चाईबासा, झींकपानी, राजनगर, करण्डी, सुंदरनगर, चांडिल, चक्रधरपुर आदि स्थानीय बाजारों में इनके द्वारा बनाये गए सामानों की अच्छी डिमांड है। स्थानीय ही नहीं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इनके द्वारा बनाये गए सामग्रियों की मांग बढ़ती जा रही है।
इनके सामानों की मांग इतनी है कि ये समय पर डिमांड को पूरा नहीं कर पाती है। बढ़ती मांग को पूरा नहीं कर पाने के पीछे कम पूंजी सबसे बड़ा कारण है।
पूंजी की कमी होने के बावजूद इनका हौसला कम नहीं हैं। इनकी उड़ान बढ़ती ही जा रही है, बस कमी ही एक सहयोग की।
आइये हम सब मिलकर Vocal for Local में सहयोग देते हुए इनको और मजबूत करते हैं।
इस संस्था को सहयोग करने अथवा संस्था से बनी सामग्रियों को प्राप्त करने के लिए दिए गए मोबाइल नंबर पर सम्पर्क करें-
+918757311952,
+91 9204674766.