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झारखंड

🌾 मासांत पर्व पर धान बुवाई के स्वागत में झूमे गांव, पदमपुर से महुलबोरोई तक छऊ नाच मेला का धूमधाम से समापन

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📍 चक्रधरपुर (जय कुमार) : मासांत पर्व और धान बुवाई की शुरुआत के अवसर पर चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र के कई ग्रामीण इलाकों में पारंपरिक छऊ नाच मेला का आयोजन भव्य रूप से किया गया। पदमपुर, महुलबोरोई, सिमिदीरी, हाथिया, नकटी, जोमरो, चन्द्री और केन्दो गांवों में आयोजित इस दो दिवसीय मेले में लोक संस्कृति और परंपरा का अनूठा संगम देखने को मिला।

🎭 छऊ नृत्य से सजी पौराणिक और लोक कथाएं
इस मौके पर कोटुवा और पदमपुर की छऊ नृत्य मंडलियों ने रामायण, महाभारत और अन्य पौराणिक प्रसंगों पर आधारित छऊ नृत्य की शानदार प्रस्तुतियां दीं। कलाकारों ने गणेश वंदना, महिषासुर वध, राधा-कृष्ण लीला, शिव-पार्वती संवाद, वन दुर्गा और शिकारी प्रसंगों को अपने नृत्य के जरिए जीवंत कर दिया। वहीं चन्द्री और केन्दो गांवों में भी लोककथाओं और खेती-बाड़ी से जुड़ी विषयवस्तु पर आधारित प्रस्तुतियों ने दर्शकों का दिल जीत लिया।

सांसद जोबा माझी, विधायक सुखराम उराँव और झामुमो नेता सन्नी उराँव रहे मुख्य अतिथि

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🎤 सांसद और विधायकों ने बढ़ाया कलाकारों का उत्साह
मुख्य अतिथि के रूप में पहुंची सांसद जोबा माझी, विधायक सुखराम उराँव और झामुमो प्रखंड अध्यक्ष सन्नी उराँव ने कलाकारों की प्रस्तुति की सराहना करते हुए कहा—

“छऊ नृत्य सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान और पारंपरिक ज्ञान का जीवंत स्वरूप है। ग्रामीणों द्वारा इसका संरक्षण और आयोजन बेहद सराहनीय है।”

🎙️ सन्नी उराँव ने कहा:

“छऊ नाच झारखंड की आत्मा है। यह नाच सिर्फ नृत्य नहीं बल्कि हमारी जड़ों से जुड़ने का उत्सव है। हर गांव में साल में एक बार यह आयोजन रिश्तों को जोड़ने और समाज को एक सूत्र में पिरोने का माध्यम बनता है।”

🏆 नेताओं ने किया सम्मान
मेले में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छऊ कलाकारों को मुख्य अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। इस आयोजन के माध्यम से गांवों में सांस्कृतिक जागरूकता और सामाजिक एकजुटता का संदेश भी प्रसारित हुआ।

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👥 उपस्थित गणमान्य लोग:
विधायक प्रतिनिधि पीरू हेम्ब्रम, जिला परिषद सदस्य मीना जोंको, मुखिया पिंकी जोंको, झामुमो नेता रामलाल मुण्डा, ताराकांत सिजूई, प्रदीप महतो, टिंकु (सुब्रत) प्रधान, मंटू गागराई, निराकार केराई सहित आयोजन समितियों से जुड़े अमित लोहार, दिलीप महतो, यशवंत महतो, रसिका होनहागा, अजय महतो, पिंटू महतो, विभीषण महतो, राकेश सरदार, अजीत सामाड, केदार सामाड, राजू मुंडा, कोलाय बोदरा समेत सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित रहे।

🎉 निष्कर्ष में:
इस बार का मासांत पर्व छऊ नृत्य के माध्यम से गांवों में उमंग, उल्लास और एकता का प्रतीक बन गया। आयोजनों ने यह साबित कर दिया कि आज भी झारखंड के गांव अपनी सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने में अग्रणी हैं।

🖋 रिपोर्ट: जय कुमार | द न्यूज़ फ्रेम, चक्रधरपुर ब्यूरो

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