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झारखंड

टाटा स्टील की कोल्ड रोलिंग मिल: आधुनिक भारत के औद्योगिक स्वप्न की उड़ान ✈ 

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📍 जमशेदपुर, 24 अप्रैल
आज से ठीक 25 वर्ष पहले, टाटा स्टील ने अपने औद्योगिक इतिहास में एक गौरवशाली अध्याय जोड़ा था, जब कंपनी के चेयरमैन रतन टाटा ने जमशेदपुर में अत्याधुनिक कोल्ड रोलिंग मिल (सीआरएम) का उद्घाटन किया था। यह परियोजना न केवल तकनीकी दृष्टि से अद्वितीय थी, बल्कि इसकी स्थापना भी रिकॉर्ड 26 महीने और 15 दिन में पूरी हुई—जो उस समय की एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी गई।

🛠️ तकनीकी सहयोग: जापान की श्रेष्ठता का सम्मिलन

सीआरएम की स्थापना जापान की दो प्रतिष्ठित कंपनियों निप्पॉन स्टील कॉर्पोरेशन और हिताची कॉर्पोरेशन लिमिटेड के तकनीकी सहयोग से हुई। यह संयोजन भारत और जापान के तकनीकी मित्रता का एक उत्कृष्ट उदाहरण रहा, जिसने टाटा स्टील को वैश्विक मानकों के अनुकूल उत्पाद बनाने में सक्षम बनाया।

📦 उत्पादन क्षमता और उपयोगिता

  • वार्षिक उत्पादन क्षमता: 1.2 मिलियन टन
  • उत्पाद: उच्च गुणवत्ता वाले कोल्ड रोल्ड और कोटेड स्टील
  • प्रमुख उपयोग क्षेत्र:
    • 🚗 ऑटोमोबाइल उद्योग
    • 🏗️ कंस्ट्रक्शन क्षेत्र
    • 🏠 घरेलू उपकरण निर्माण
    • 🪑 फर्नीचर
    • 🔧 सामान्य इंजीनियरिंग कार्य

इन उत्पादों की विविधता और गुणवत्ता ने टाटा स्टील को वैश्विक बाज़ार में एक मजबूत पहचान दिलाई और भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को नई गति प्रदान की।

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रतन टाटा का दृष्टिकोण

उद्घाटन अवसर पर बोलते हुए रतन टाटा ने कहा था:

“सीआरएम की परिकल्पना केवल स्टील उद्योग की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए नहीं की गई थी, बल्कि यह टाटा समूह की उस दूरदर्शिता का भी प्रतीक है, जिसमें आधुनिक भारत के निर्माण में भागीदारी को प्राथमिकता दी गई है।”

उनकी यह सोच आज भी टाटा समूह की विकासशील नीतियों में परिलक्षित होती है।

📌 विशेष बिंदु:

  • तेज़ निर्माण: मात्र 26 महीने में संयंत्र की स्थापना
  • भारत-जापान सहयोग: तकनीकी उत्कृष्टता का मिश्रण
  • वैश्विक गुणवत्ता: अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उत्पादन
  • आधुनिक भारत का आधार: औद्योगिक आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम

🔚

टाटा स्टील की सीआरएम इकाई का उद्घाटन केवल एक औद्योगिक संयंत्र की शुरुआत नहीं थी, बल्कि यह भारत के औद्योगिक स्वावलंबन, वैश्विक प्रतिस्पर्धा और तकनीकी नवाचार की नींव का प्रतीक बन गया। आज जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं, तो यह साफ़ नजर आता है कि टाटा स्टील का यह साहसिक कदम आधुनिक भारत के निर्माण में मील का पत्थर रहा है।

“रतन टाटा की दूरदर्शिता और तकनीकी उत्कृष्टता का संगम—सीआरएम आज भी औद्योगिक भारत का गर्व है।”

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