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झारखंड

Tata Steel ने अग्रणी भूविज्ञानी पी. एन. बोस को उनकी 170वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की

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जमशेदपुर, 12 मई, 2025: Tata Steel ने आज अग्रणी भूविज्ञानी प्रमथनाथ बोस (जिन्हें पी. एन. बोस के नाम से जाना जाता है) की 170वीं जयंती के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस विशेष अवसर पर डी. बी. सुंदरा रामम, वाइस प्रेसिडेंट (कॉरपोरेट सर्विसेज) टाटा स्टील ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई, जबकि टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष श्री संजीव कुमार चौधरी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई), झारखंड राज्य इकाई के उप-महानिदेशक अखौरी विश्वप्रिय ने सम्मानित अतिथि के रूप में शिरकत की। इस कार्यक्रम का आयोजन टाटा स्टील की नेचुरल रिसोर्सेज डिवीजन द्वारा सेंटर फॉर एक्सीलेंस के सहयोग से किया गया था।

इस अवसर पर संदीप कुमार, वाइस प्रेसिडेंट (रॉ मटेरियल्स) टाटा स्टील, टाटा वर्कर्स यूनियन के डिप्टी प्रेसिडेंट शैलेश कुमार सिंह, नेचुरल रिसोर्सेज डिवीजन के चीफ, अधिकारीगण, टाटा स्टील के विभिन्न विभागों के अधिकारी तथा टाटा वर्कर्स यूनियन के पदाधिकारीगण उपस्थित रहे।

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इस अवसर पर संदीप कुमार, वाइस प्रेसिडेंट (रॉ मटेरियल्स) टाटा स्टील ने अपने विचार साझा करते हुए कहा, “पी. एन. बोस ने भारत को खनिज और धातु क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी शुरुआत की। उनकी दूरदृष्टि, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और राष्ट्र निर्माण के प्रति प्रतिबद्धता ने देश को उसके पहले एकीकृत स्टील संयंत्र की दिशा में अग्रसर किया। टाटा स्टील में हम न केवल उनके ऐतिहासिक योगदान को याद करते हैं, बल्कि नवाचार, सतत विकास और आत्मनिर्भरता की उसी भावना के प्रति स्वयं को फिर से समर्पित करते हैं। यह हमारी ओर से उन्हें 170वीं जयंती पर सच्ची श्रद्धांजलि है।”

दिन की शुरुआत श्रद्धांजलि कार्यक्रम से हुई, जहां टाटा स्टील के वरिष्ठ प्रबंधन और कर्मचारियों ने आर्मरी ग्राउंड के पास पी. एन. बोस को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस खास अवसर पर, टाटा स्टील के सभी स्थानों पर कार्यरत कर्मचारियों के लिए डिजिटल श्रद्धांजलि की भी व्यवस्था की गई थी।

Tata Steel के नेचुरल रिसोर्सेज डिवीजन ने सेंटर फॉर एक्सीलेंस में पी. एन. बोस मेमोरियल लेक्चर का आयोजन किया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में श्री अखौरी विश्वप्रिय, उप-महानिदेशक, झारखंड राज्य इकाई, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने अपनी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। लेक्चर का विषय था, “झारखंड की भूविज्ञान पर एक व्यापक दृष्टिकोण और महत्वपूर्ण एवं रणनीतिक खनिजों (CSM) का अन्वेषण: चुनौतियाँ और अवसर।” इस ज्ञानवर्धक सत्र में टाटा स्टील के नेचुरल रिसोर्सेज डिवीजन से 70 से अधिक कर्मचारी और अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में, मनोज कुमार, चीफ जियोलॉजिस्ट (कोल), टाटा स्टील ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

पी. एन. बोस के बारे में:

प्रमथनाथ बोस, जिनका जन्म 12 मई, 1855 को पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले के गाईपुर गांव में हुआ था, भारत के पहले अग्रणी भूविज्ञानी और औद्योगिक क्रांति के प्रमुख सूत्रधारों में से एक थे। वे पहले भारतीय थे जिन्होंने लंदन विश्वविद्यालय से विज्ञान में डिग्री प्राप्त की और 1878 में रॉयल स्कूल ऑफ माइंस से स्नातक होकर लौटे। अपने भूविज्ञानी के कार्यकाल के दौरान पी. एन. बोस ने मध्यप्रदेश के धल्ली और राजहरा क्षेत्रों में लौह अयस्क की खदानों की खोज की। हालांकि, उनके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि रही मयूरभंज राज्य के गोरुमहिसानी की पहाड़ियों में समृद्ध लौह अयस्क भंडार की खोज। इस खोज के बाद, पी. एन. बोस ने 24 फरवरी 1904 को जे. एन. टाटा (टाटा स्टील के संस्थापक) को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने इस क्षेत्र में लौह अयस्क की प्रचुरता का उल्लेख किया। इस पत्र और सुझाव ने एक ऐतिहासिक दिशा तय की, जिसके परिणामस्वरूप 26 अगस्त 1907 को साकची (अब जमशेदपुर) में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी की स्थापना हुई।

पी. एन. बोस के नाम कई ऐतिहासिक उपलब्धियाँ दर्ज हैं। वे ब्रिटिश विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक करने वाले पहले भारतीय थे। असम में पेट्रोलियम की खोज करने वाले भी वही पहले व्यक्ति थे। इसके साथ ही, उन्होंने भारत में पहली साबुन फैक्ट्री की स्थापना की और पेट्रोलॉजिकल कार्य में माइक्रो सेक्शन का उपयोग प्रारंभ करने वाले भी वे पहले भारतीय थे। वे भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण में ग्रेडेड पद पर नियुक्त होने वाले पहले भारतीय भी थे, जहाँ उन्होंने उत्कृष्ट सेवा प्रदान की। एक वैज्ञानिक होने के साथ-साथ वे तकनीकी शिक्षा के प्रबल समर्थक भी थे। उनके प्रयासों से बंगाल टेक्निकल इंस्टिट्यूट की स्थापना संभव हो सकी, जिसे आज जादवपुर विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है। बोस को इस संस्थान का प्रथम मानद प्राचार्य नियुक्त किया गया था।

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