झारखंड
सरयू राय की मांग को पेयजल स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव ने किया मंजूर

- सरयू राय की मांग पर विभाग ने दी मंजूरी
- मानगो पेयजल परियोजना के 10 वर्षों के कार्यकलापों की होगी जांच
📍 जमशेदपुर | जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय की मांग पर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव ने मानगो पेयजल परियोजना की पिछले 10 वर्षों की कार्यप्रणाली की जांच कराने पर सहमति दे दी है। राय ने इस परियोजना के संचालन में गंभीर अनियमितताओं और पक्षपात की बात उठाई थी।
❗ सरयू राय के आरोप – गंभीर लापरवाही और पक्षपात
निरीक्षण के दौरान विधायक राय ने उठाए कई सवाल:
- वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में जितना पानी जाना चाहिए, उतना नहीं जा रहा।
- इंटकवेल में काई, जलकुंभी और अन्य पौधों की भरमार।
- छह में से केवल दो पंप ही कार्य कर रहे हैं, एक आंशिक रूप से।
- कहां कितना पानी जा रहा है – इसका कोई रिकॉर्ड नहीं।
- ट्रीटमेंट प्लांट की स्वचालित व्यवस्थाएं ठप, सब कुछ मैन्युअल।
- क्लोरीन व फिटकरी की मात्रा का निर्धारण भी बिना वैज्ञानिक आधार के।
- पानी का वितरण घोर पक्षपातपूर्ण – जोन 6 को भरपूर, जोन 1 से 5 तक कम आपूर्ति।
- जोन 6 के लिए अलग राइजिंग पाइपलाइन क्यों?
📌 “125 करोड़ की परियोजना में लापरवाही अक्षम्य” – सरयू राय
राय ने कहा कि यह 125 करोड़ रुपये की परियोजना है, जिसके संचालन में घोर लापरवाही और अनियमितता दिख रही है। उनका दावा है कि पानी वितरण व्यवस्था पक्षपातपूर्ण है और जो जोन बुनियादी आपूर्ति से वंचित हैं, वहां के नागरिकों को भारी परेशानी हो रही है।
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📞 प्रधान सचिव से हुई सीधी बात
राय ने कहा कि उन्होंने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव से फोन पर बात कर उच्चस्तरीय जांच समिति गठित करने की मांग की। उन्होंने कहा:
“अब तक जो टीमें भेजी गईं, वे सतही जांच कर लौट गईं। इसलिए जरूरी है कि वरिष्ठ पदाधिकारियों वाली समिति बने जो पिछले 10 वर्षों की कार्यप्रणाली का विश्लेषण करे।”
प्रधान सचिव ने मांग को स्वीकार करते हुए जांच समिति के गठन पर सहमति दे दी।
📊 6 माह के आंकड़ों की मांग
राय ने मौके पर मौजूद अधिकारियों से कहा कि पिछले 6 माह के जल वितरण आंकड़े उनके सामने रखें, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि कहां कितनी गड़बड़ी और पक्षपात हुआ है। उन्होंने साफ कहा:
“जब तक जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं होगी, परियोजना की व्यवस्था दुरुस्त नहीं होगी।”
विस्तार से,
जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने मंगलवार को मानगो पेयजल परियोजना के पिछले 10 वर्षों के कार्यकलापों की जांच मांग पेयजल स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव से की जिसे प्रधान सचिव ने स्वीकार कर लिया है। सरयू राय़ ने यहां जारी बयान में कहा कि मंगलवार को उन्होंने पेयजल स्वच्छता विभाग के अधिकारियों और परियोजना का संचालन करने वाले संवेदक के साथ परियोजना के इंटकवेल और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण किया और पाया कि परियोजना के संचालन में घोर लापरवाही बरती जा रही है। इंटकवेल के किनारे काई जमी हुई है।
जलकुंभी के पौधे उग आए हैं। पानी आने के रास्ते में अन्य़ जलीय पौधे भी उग आए हैं। इंटकवेल के 6 पंपों में से दो पूरी तरह और एक आधा-अधूरा कार्य कर रहा था। जितना पानी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में जाना चाहिए, उतना पानी नहीं जा रहा है। कहां कितना पानी जा रहा है, इसका कोई रिकार्ड भी नहीं है। सरयू राय ने उसी वक्त इसकी सफाई का आदश दिया और कार्यपालक अभियंता से कहा कि इंटकवेल की ऐसी स्थिति रहेगी तो परियोजना का उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
श्री राय ने बताया कि वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में उन्होंने पाया कि जो भी स्वचालित व्यवस्थाएं हैं, वो ठप हो गई हैं। सिर्फ मैन्युअल काम हो रहा है। क्लोरीन और फिटकरी का जितना डोज चाहिए, उसके निर्धारण के बारे में भी कोई ठोस आधार नहीं है। वहां के प्रयोगशाला में जो व्यक्ति काम कर रहा था, उसने बताया कि वह अपने सीनियर के निर्देश पर काम करता है। जो आंकड़े दिखे, वह संदेहास्पद लगे। उस व्यक्ति ने बताया कि आदित्यपुर में जो पेयजल विभाग की प्रयोगशाला है, वही जांच करता है।
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सरयू राय ने बताया कि वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से सभी 6 जोनों में पानी का वितरण घोर पक्षपातपूर्ण है। जोन नंबर 6 में पर्याप्त पानी जा रहा है। जोन नंबर 1 से 5 तक पानी की आपूर्ति उतनी नहीं है। 3 नंबर जोन की टंकी 25 से 30 मिनट में खाली हो जाती है। श्री राय ने कहा कि यहां कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है जिससे यह पता चल सके कि किस जोन में कितना पानी जा रहा है। इससे पता चलता है कि मानगो के कई इलाकों में पाइपलाइन बिछाने के बावजूद पानी क्यों नहीं जाता है। उन्होंने कहा कि जोन नंबर 6 के लिए अलग से राइजिंग पाइपलाइन बिछायी गई है जबकि जोन संख्या 1 से 5 तक एक ही राइजिंग पाइप लाइन से पानी की आपूर्ति टंकियों में होती है। यह कब और कैसे हुआ, इसकी जानकारी जांच समिति ही लेगी।
श्री राय ने कहा कि पानी का वितरण ठीक करना होगा। इस संबंध में उन्होंने अभियंताओं से कहा कि आपका कोई भी तर्क काम का नहीं है। इसे जब तक हम लोग सुव्यवस्थित नहीं करेंगे, मानगो के सभी हिस्सों में पानी नहीं जा पाएगा। अभियंताओं का कहना था कि पांच-छह साल से इसी तरह से काम चल रहा था। इस पर श्री राय ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव से फोन पर बात की कि और कहा कि आपने अब तक जो भी टीमें जान करने के लिए भेजी थीं, सभी ने सतही जांच की है।
पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त ने भी तीन लोगों की एक समिति बनाई थी इसके लिए, जो कारगर साबित नहीं हुई। लगता है कि टीम ने कुछ काम ही नहीं किया। श्री राय ने प्रधान सचिव से कहा कि वह एक उच्च स्तरीय समिति बनाएं जिसमें विभाग के वरिष्ठ पदाधिकारी रहें जो पिछले 10 वर्ष से कैसे इस परियोजना का संचालन हो रहा है, इसकी जांच करें। किस टंकी में कितना पानी जा रहा है, इसका भी विश्लेषण करें। अगर टंकी में पानी नहीं आ रहा है तो उसका भी कारण पूछें। प्रधान समिति ने जांच समिति बनाने पर सहमति दे दी है।
सरयू राय ने कहा कि जब जांच समिति करेगी, तब आधिकारिक रुप से खुलासा होगा कि गड़बड़ी कहां है। आखिर इसमें 125 करोड़ रुपये लगे हैं। विभाग इसके संचालन में लापरवाही बरत रहा है। यह अक्षम्य है।
श्री राय ने उपस्थित अफसरों से कहा कि 6 माह के आंकड़ों का विश्लेषण उनके सामने रखें ताकि यह पता चल सके कि परियोजना संचालन में कितनी ईमानदारी और कितना पक्षपातपूर्ण काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से जुड़े दोषी लोगों पर जब तक कार्रवाई नहीं होगी, तब तक परियोजना का काम सही तरीके से नहीं चलेगा।
👥 मौके पर मौजूद रहे:
राय के साथ दौरे में शामिल थे – पिंटू सिंह, संतोष भगत, पप्पू सिंह, अमरेंद्र पासवान, आदित्य मुखर्जी, रवि गोराई, मुकेश सिंह, जीतेंद्र साहू आदि।
🔍 अब क्या होगा?
- पेयजल विभाग बनाएगा जांच समिति
- हर जोन में जल आपूर्ति की होगी जांच
- पिछले 10 वर्षों के खर्च और परिणाम का होगा मूल्यांकन
- दोषियों पर कार्रवाई की संभावना
📢 मानगो की जनता को उम्मीद है कि इस जांच के बाद पेयजल संकट से राहत मिलेगी और जिम्मेदारों को जवाबदेह बनाया जाएगा।