क्राइम
Odisha में पत्रकार पर बर्बर हमला, एनएचआरसी ने लिया स्वत: संज्ञान — दो हफ्ते में मांगी रिपोर्ट

📍 स्थान: कुलथीपाली गांव, बलांगीर जिला, Odisha
🗓️ घटना की तिथि: 25 मई 2025
📰 पीड़ित: बिजय प्रधान, निजी ओडिया समाचार चैनल के पत्रकार
👥 जांच एजेंसी: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
🛑 पत्रकार पर हमला या सच्चाई को दबाने की साजिश?
बलांगीर जिले के कुलथीपाली गांव में एक निर्माण स्थल पर कथित भ्रष्टाचार की जांच कर रहे पत्रकार बिजय प्रधान को बर्बरता का शिकार होना पड़ा। दस्तावेजीकरण के दौरान कुछ लोगों ने उन पर हमला कर दिया। इस क्रूर हमले की खबरें सामने आने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने स्वत: संज्ञान लेते हुए ओडिशा के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किया है।
🔴 क्या हुआ पत्रकार के साथ?
- बिजय प्रधान एक निर्माण स्थल पर चल रही कथित अनियमितताओं की रिपोर्टिंग कर रहे थे।
- तभी एक समूह ने अचानक उन पर हमला कर दिया।
- उनके हाथ-पैर बांधकर, पहले पूरे गांव में घुमाया गया, फिर एक खंभे से बांधकर बेरहमी से पीटा गया।
- दो घंटे तक चले इस हमले में उनके कान का परदा फट गया और अब वह भीमा भोई मेडिकल कॉलेज में इलाजरत हैं।
- हमलावरों ने मोबाइल फोन, कैमरा और माइक छीनकर नष्ट कर दिए, ताकि घटना की फुटेज सार्वजनिक न हो सके।
📸 सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने खोली सच्चाई
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, जिसमें पत्रकार को घसीटते, लात-घूंसों से मारते और बांधकर पीटते हुए साफ देखा जा सकता है। इस वीडियो ने पूरे राज्य में रोष पैदा कर दिया है।
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🏛️ NHRC का रुख और सख्त रुख
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में कहा:
“यदि मीडिया रिपोर्टों में लगाए गए आरोप सही हैं, तो यह मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। ऐसे मामलों को सहन नहीं किया जा सकता।”
इसलिए आयोग ने ओडिशा पुलिस के महानिदेशक को नोटिस जारी कर, दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं।
🗣️ पत्रकार ने क्या कहा?
घायल पत्रकार बिजय प्रधान ने कहा:
“मैं केवल अपनी जिम्मेदारी निभा रहा था। उन्होंने मुझसे सभी रिपोर्टिंग उपकरण छीन लिए और जान से मारने की धमकी दी। उनका इरादा स्पष्ट था – सच्चाई को दबाना।”
📌 खास बातें:
- पत्रकार पर दस्तावेजीकरण के दौरान हमला
- गांव में घुमाकर और खंभे से बांधकर पीटा गया
- मोबाइल, कैमरा और माइक जब्त और नष्ट
- सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो से घटना उजागर
- NHRC ने पुलिस से दो सप्ताह में रिपोर्ट मांगी
🔍 निष्कर्ष:
यह घटना केवल एक पत्रकार पर हमला नहीं है, बल्कि सच्चाई और स्वतंत्र पत्रकारिता पर हमला है। ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई जरूरी है ताकि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ सुरक्षित रह सके। सभी की निगाहें अब ओडिशा सरकार और पुलिस की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।