क्राइम
सत्यप्रभा हॉस्पिटल में मरीज की मौत पर हंगामा, प्रशासन की मौजूदगी में परिजनों की सहमति के बाद हुआ पोस्टमार्टम

सरिया (गिरिडीह): गिरिडीह जिले के सरिया अनुमंडल अंतर्गत सत्यप्रभा हॉस्पिटल में इलाज के दौरान एक मरीज की संदिग्ध मौत के बाद भारी हंगामा हुआ। मृतक के परिजन डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए शव का अंतिम संस्कार अस्पताल परिसर में करने की चेतावनी दे रहे थे। घटना के बाद स्थानीय प्रशासन को पूरे दल-बल के साथ मौके पर पहुंचना पड़ा।
मुख्य बिंदु:
- डॉक्टर की लापरवाही
- नींद का इंजेक्शन दिया गया, जिससे हार्ट फेल हुआ
- पर्ची से इंजेक्शन का नाम मिटा दिया गया
- अस्पताल के डॉक्टर और नर्स स्टाफ गायब
🕒 सुबह 8 बजे से शाम 5:30 तक चला गतिरोध
परिजन इस बात पर अड़े थे कि डॉक्टर की लापरवाही से उनके परिवार के सदस्य की मौत हुई है। उनका आरोप था कि डॉक्टरों को स्पष्ट रूप से मना करने के बावजूद मरीज को नींद का इंजेक्शन दिया गया, जिससे हार्ट फेल हुआ और उनकी मौत हो गई। परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि इलाज से जुड़ी दवा की जानकारी छिपाने के लिए पर्ची से इंजेक्शन का नाम मिटा दिया गया।
घटना की जानकारी पत्रकारों को मिलते ही मीडिया वहां पहुंची, लेकिन इससे पहले ही अस्पताल के डॉक्टर और नर्स स्टाफ गायब हो गए।
👮♂️ प्रशासन हरकत में, उपायुक्त ने दिया आश्वासन
मामला बिगड़ता देख गिरिडीह उपायुक्त को हस्तक्षेप करना पड़ा। उनके आश्वासन पर यह तय हुआ कि पोस्टमार्टम परिजनों की देखरेख में कराया जाएगा। प्रशासन ने अपील की कि पोस्टमार्टम की प्रक्रिया को बाधित न किया जाए, ताकि आगे की जांच और प्रशासनिक कार्रवाई की जा सके। इसके बाद परिजन सहमत हुए और शव को गिरिडीह पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
🏥 कौन था मृतक?
मृतक की पहचान सरिया के कपड़ा व्यवसायी अमरजीत सिंह के रूप में हुई है। वह स्वयं अस्पताल में इलाज के लिए आए थे और इलाज से जुड़ी जरूरी जानकारी भी डॉक्टर को दी गई थी। बावजूद इसके डॉक्टरों ने मनमाने ढंग से नींद की दवा दी, जिससे मौत हो गई। परिजन इस मामले में अस्पताल प्रबंधन से सार्वजनिक माफी की मांग कर रहे थे।
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📌 अस्पताल का इतिहास
यह वही सत्यप्रभा हॉस्पिटल है, जिसका उद्घाटन महज 15 दिन पहले बड़े धूमधाम से किया गया था। इसे स्थानीय जमीन कारोबारी सत्यदेव प्रसाद वर्मा द्वारा बनवाया गया है और इसका संचालन शुरू होते ही यह विवादों में आ गया।
📄 आगे की कार्रवाई?
खबर लिखे जाने तक परिजन स्थानीय प्रशासन को लिखित शिकायत देने की तैयारी में थे। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कब और क्या कार्रवाई करता है, और क्या अस्पताल प्रबंधन जवाबदेह ठहराया जाएगा?
सत्यप्रभा हॉस्पिटल में मरीज की संदिग्ध मौत और उसके बाद उत्पन्न हालात, न सिर्फ चिकित्सा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाते हैं, बल्कि निजी अस्पतालों की जवाबदेही और प्रशासनिक निगरानी की कमजोरियों को भी उजागर करते हैं। परिजनों द्वारा स्पष्ट निर्देश के बावजूद नींद का इंजेक्शन देना, डॉक्टरों की मनमानी और लापरवाही को दर्शाता है। दवा की जानकारी छिपाना और पर्ची से नाम मिटाना इस आशंका को और भी मजबूत करता है कि गलती को छिपाने की कोशिश की गई।
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि घटना के बाद अस्पताल स्टाफ का फरार हो जाना, जिसमें नर्स से लेकर डॉक्टर तक शामिल थे, एक संगठित गैर-जिम्मेदाराना रवैये की पुष्टि करता है। ऐसे में आम जनता का निजी अस्पतालों पर से भरोसा उठना स्वाभाविक है।
प्रशासन को घटना की गंभीरता को समझते हुए न सिर्फ निष्पक्ष जांच करानी चाहिए, बल्कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई भी करनी चाहिए। साथ ही, ऐसे संस्थानों की लाइसेंस प्रक्रिया, चिकित्सकों की योग्यता और मरीजों के अधिकारों को लेकर सख्त नीति और निगरानी की आवश्यकता है। यह सिर्फ एक व्यक्ति की मौत नहीं, बल्कि चिकित्सा प्रणाली में व्याप्त गहराई से जुड़ी समस्याओं का संकेत है, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।