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झारखंड

पी.एन. बोस: भारत के औद्योगिक पुनर्जागरण के शिल्पी भूविज्ञानी

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THE NEWS FRAME

🔬 खनिज संपदा से लेकर इस्पात कारखाने तक—एक वैज्ञानिक की राष्ट्रनिर्माण यात्रा

📍 इतिहास के झरोखे से, विशेष रिपोर्ट

प्रमथ नाथ बोस—एक ऐसा नाम जो आज भी भारत के औद्योगिक आत्मनिर्भरता और विज्ञान आधारित राष्ट्रनिर्माण की नींव में दर्ज है। पश्चिम बंगाल के गइपुर गांव में जन्मे इस महान भूविज्ञानी ने न केवल पृथ्वी की परतों में छुपे खनिजों को खोजा, बल्कि भारत के भविष्य के औद्योगिक नक्शे को भी आकार दिया।

📚 शिक्षा और विदेश यात्रा: सपनों को आकार मिला

कृष्णनगर और सेंट जेवियर्स कॉलेज में प्रारंभिक शिक्षा के बाद बोस ने 1874 में गिलक्रिस्ट स्कॉलरशिप प्राप्त की और इंग्लैंड के रॉयल स्कूल ऑफ माइंस से भूविज्ञान का अध्ययन किया। वहां से लौटकर उन्होंने भारत के जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) में योगदान दिया और शीघ्र ही अपने शोध और खोजों से विशेषज्ञों का ध्यान खींचा।

🏞️ भारत की धरती में खोजे खजाने

अपने कार्यकाल में पी.एन. बोस ने:

  • शिवालिक पहाड़ियों में जीवाश्मों का अध्ययन किया।
  • असम में पेट्रोलियम की संभावना का पता लगाया।
  • मध्य भारत और शिलॉंग पठार में खनिजों की विस्तृत सर्वेक्षण किया।

ये कार्य भविष्य में देश की खनिज नीति और संसाधन प्रबंधन के लिए आधारशिला बने।

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राष्ट्रवादी वैज्ञानिक: विज्ञान और स्वदेशी आंदोलन का संगम

बोस केवल वैज्ञानिक नहीं थे, वे एक गहरे राष्ट्रवादी विचारक भी थे। उनका मानना था कि भारत की उन्नति तभी संभव है जब शिक्षा और उद्योग स्वदेशी नियंत्रण में हों। इसी दृष्टिकोण के तहत उन्होंने बंगाल टेक्निकल इंस्टिट्यूट की स्थापना में अग्रणी भूमिका निभाई, जो आगे चलकर जादवपुर विश्वविद्यालय बना। वे इसके प्रथम मानद प्राचार्य भी बने।

औपनिवेशिक भ्रम का खंडन, भारतीय प्रतिभा का समर्थन

पी.एन. बोस उन पहले भारतीय वैज्ञानिकों में थे जिन्होंने यह दावा किया कि भारतीय वैज्ञानिक क्षमता किसी से कम नहीं। उन्होंने ब्रिटिश शासन द्वारा फैलाए गए इस भ्रम का खंडन किया कि विज्ञान और तकनीक केवल पश्चिम की देन हैं। उन्होंने जे.एन. टाटा की भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) योजना को समर्थन दिया और जब लॉर्ड कर्ज़न ने इसे रोकने का प्रयास किया, तो उसका खुले मंच पर विरोध किया।

🏭 टाटा स्टील की नींव: भारत के औद्योगिक युग की शुरुआत

शायद पी.एन. बोस का सबसे ऐतिहासिक योगदान तब सामने आया जब उन्होंने मयूरभंज में लोहे के भंडार की खोज की और इसकी जानकारी उद्योगपति जे.एन. टाटा को दी। यही खनिज स्रोत बाद में टाटा स्टील, जमशेदपुर की स्थापना का आधार बना—जो आज भी भारत के औद्योगिक इतिहास का गौरव है।

🧱 विजनरी नेतृत्व और प्रेरणादायक विरासत

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने उन्हें याद करते हुए कहा था:

“बोस ने यह गहरे दृष्टिकोण से समझा कि औद्योगिक विकास गरीबी उन्मूलन का माध्यम ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय शक्ति का स्रोत है।”

प्रमथ नाथ बोस का जीवन आज के भारत के लिए एक प्रेरणा है—कि विज्ञान और राष्ट्रवाद जब साथ चलते हैं, तो देश की तकदीर बदलती है।

🔚 निष्कर्ष: विज्ञान, शिक्षा और औद्योगिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक

पी.एन. बोस केवल एक भूविज्ञानी नहीं थे, वे भारत के औद्योगिक पुनर्जागरण के पथप्रदर्शक थे। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि ज्ञान, आत्मबल और दूरदृष्टि से एक व्यक्ति किस प्रकार राष्ट्रीय भविष्य को आकार दे सकता है।

📍 लेखक: विशेष संवाददाता, विज्ञान एवं औद्योगिक इतिहास | स्रोत: शोध आधारित ऐतिहासिक अभिलेख एवं जीवनी

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