झारखंड
Moringa: सहजन, मतलब सेहत के लिए पॉवर हाउस

- Moringa: Drumstick, means power house for health
- पत्ती,फल, फूल सामान रूप से औषधीय गुणों से भरपूर
- करीब 300 रोगों के खिलाफ सुरक्षा कवच है सहजन
- हरियाली के साथ ये पोषण, सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं खेती और पशुओं के लिए भी
- ऑफ सीजन में फूल आने के कारण परागण में भी मददगार
गिरीश पाण्डेय, लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यूं ही नहीं सहजन (Moringa) के मुरीद हैं। दरअसल सहजन ‘सोने पर सुहागा’ वाले मुहावरे का जीवंत प्रमाण है। हरियाली के साथ यह पोषण भी देता है। यह पोषण सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं, खेती और पशुओं के लिए भी मुफीद है। सहजन में फूल अमूमन तब आते हैं जब अन्य किसी फल या फूल में फूल नहीं रहते। ऐसे में इनके फूलों पर लगने वाली मधुमक्खियां परागण में भी मददगार होती हैं।
परागण की खेतीबाड़ी में खासी अहमियत है। एक अनुमान के अनुसार परागण का वैश्विक फसल उत्पादन में लगभग 5 से 8 फीसद तक का योगदान होता है। यह लगभग 235 से 577 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर है। यही नहीं, सहजन के उपयोग से आप चाहे वर्मी कंपोस्ट बनाएं या मधुमक्खी पालन करें उसकी पोषण संबंधी खूबियां संबंधित उत्पाद में आकर उसके लाभ को कई गुना बढ़ा देती हैं।
यही वजह है कि योगी आदित्यनाथ अपने पहले कार्यकाल से पौधरोपण में सहजन को लेकर खास निर्देश देते हैं। हाल ही में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवास योजनाओं के सभी लाभार्थियों सहित ‘जीरो पावर्टी’ की श्रेणी में चिह्नित हर परिवार को ‘सहजन’ का पौधा दिया जाए। यही नहीं विकास के मानकों पर पिछड़े आकांक्षात्मक जिलों में हर परिवार को सहजन के कुछ पौध लगाने का निर्देश भी वह दे चुके हैं। योगी सरकार की गृह वाटिका के पीछे भी यही सोच रही है।
पोषण के लिए क्यों जरूरी है सहजन
देश के 32 फीसद बच्चे अंडरवेट, 67 फीसद एनिमिक: राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण 2019-2020 के मुताबिक देश के करीब 32 फीसद बच्चे अपनी उम्र के मानक वजन से कम (अंडरवेट) हैं। करीब 67 फीसद बच्चे ऐसे हैं जो अलग-अलग वजहों से एनीमिया (खून की कमी) से पीड़ित हैं। अपनी खूबियों के नाते ऐसे बच्चों के अलावा किशोरियों, मां बनने वाली महिलाओं के लिए सहजन वरदान साबित हो सकता है।
सहजन की खूबियां
सहजन सिर्फ एक पेड़ एवं वनस्पति ही नहीं बल्कि अपनी पोषण एवं औषधीय खूबियों के कारण खुद में पॉवर हाउस जैसा है। इन्हीं खूबियों के नाते इसे चमत्कारिक वृक्ष भी कहते हैं।
सहजन कर सकता है 300 रोगों की रोकथाम
सहजन की पत्तियों एवं फलियों में 300 से अधिक रोगों की रोकथाम के गुण होते हैं। इनमें 92 तरह के विटामिन्स, 46 तरह के एंटी ऑक्सीडेंट, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के एमिनो एसिड मिलते हैं।
तुलनात्मक रूप से सहजन के पौष्टिक गुण
🔹विटामिन सी- संतरे से सात गुना।
🔹विटामिन ए- गाजर से चार गुना।
🔹कैल्शियम- दूध से चार गुना।
🔹पोटैशियम- केले से तीन गुना।
🔹प्रोटीन- दही से तीन गुना।
दैवीय चमत्कार भी कहा जाता है सहजन को
दुनिया में जहां-जहां कुपोषण की समस्या है, वहां सहजन का वजूद है। यही वजह है कि इसे दैवीय चमत्कार भी कहते हैं। दक्षिणी भारत के राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक में इसकी खेती होती है। साथ ही इसकी फलियों और पत्तियों का कई तरह से प्रयोग भी। तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय ने पीकेएम-1 और पीकेएम-2 नाम से दो प्रजातियां विकसित की हैं। पीकेएम-1 यहां के कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुकूल भी है। यह हर तरह की जमीन में हो सकता है। बस इसे सूरज की भरपूर रोशनी चाहिए।
पशुओं एवं खेतीबाड़ी के लिए भी उपयोगी
सहजन की खूबियां यहीं खत्म नहीं होतीं। चारे के रूप में इसकी हरी या सूखी पत्तियों के प्रयोग से पशुओं के दूध में डेढ़ गुने से अधिक और वजन में एक तिहाई से अधिक की वृद्धि की रिपोर्ट है। यही नहीं इसकी पत्तियों के रस को पानी के घोल में मिलाकर फसल पर छिड़कने से उपज में सवाया से अधिक की वृद्धि होती है।
सांसद थे तबसे है योगी का सहजन से लगाव
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहजन की इन खूबियों से तबसे वाकिफ हैं जब वह गोरखपुर के सांसद थे। यही वजह है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रदेश में हरीतिमा बढ़ाने एवं यहां के पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए पौधरोपण का जो काम शुरू करवाया, उसमें सहजन को भी प्राथमिकता दी गई।
केंद्र भी सहजन को पीएम पोषण योजना में शामिल करने का दे चुका है निर्देश
अब तो केंद्र सरकार भी सहजन की खूबियों के नाते इसका मुरीद हो गई। करीब दो साल पूर्व केंद्र की ओर से राज्यों को निर्देश दिया गया कि वे प्रधानमंत्री पोषण योजना में सहजन के साथ स्थानीय स्तर पर सीजन में उगने वाले पोषक तत्वों से भरपूर पालक, अन्य शाक-भाजी एवं फलियों को भी शामिल करें।