जमशेदपुर: दिनांक 12.06.2024विधायक सरयू राय ने उपायुक्त से कहा है कि जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र के अंतर्गत टाटा लीज और टाटा लीज के बाहर हो रहे विकास कार्यों की समीक्षा के लिए टाटा स्टील यूआईएसएल और जमशेदपुर अक्षेस के पदाधिकारियों की एक बैठक बुलाएं ताकि लंबित विकास योजनाओं का शीघ्र क्रियान्वयन हो सके।
श्री राय ने कहा है कि जमशेदपुर में दो नगर पालिका कार्यरत हैं एक झारखंड सरकारी की जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र सिमति और दूसरा टाटा स्टील की टीएसयूआईएसएल। झारखंड नगरपालिका अधिनियम के अनुसार यदि जमशेदपुर शहर में कोई औद्योगिक नगर समिति बनती है तो उसकी अध्यक्षता पूर्वी सिंहभूम जिला के उपायुक्त करेंगे।
पिछले कुछ समय से मैं महसूस कर रहा हूँ कि दोनों नगर पालिकाओं के बीच समन्वय में जमीन आसमान का अंतर हो गया है, जिसके कारण पेयजल, बिजली, शहर की साफ-सफाई, आवासीय क्षेत्रों के जल निकास के नालों तथा सीवरेज-ड्रेनेज को सशक्त बनाने के लिए दोनों नगर पालिकाओं के बीच समन्वित तरीके से जो कार्य होना चाहिए वह नहीं हो पा रहा है। काफी पहले तय हुआ था कि माॅनसून से पहले शहर के बड़े जल निकास नालों की सफाई कर दी जाएगी और नागरिकों के घरों से होकर बड़े नालों तक पानी ले जाने वाले नालियों को सुदृढ़ किया जाएगा, परंतु इस विषय में कोई खास प्रगति की सूचना नहीं है। यदि है तो नगर पालिकाओं को यह प्रमाण सार्वजनिक करना चाहिए।
फैक्ट्री से होकर सिदगोड़ा, भुइयांडीह और लिट्टी चैक होकर स्वर्णरेखा नदी पर गिरने वाला बड़ा नाला के लिट्टी चैक से नदी तक के भाग की सफाई काफी दिनों से नहीं हो पा रही है। ऐसे ही बर्मामाइंस में ट्रक पार्किंग के नीचे के नाले की सफाई भी काफी दिनों से नहीं हुई है, जिस कारण आधे से एक घंटे की बारिश से ही नालों का पानी लोगों के घरों में घूस जाता है। यह स्थिति सीतारामडेरा और बारीडीह के कई इलाकों में भी है।
इसके अतिरिक्त 15वें वित्त आयोग की निधि तथा जिला योजना की निधि से होने वाली कई परियोजना अधर में लटकी हुई है। मोहरदा पेयजल आपूर्ति परियोजना के फेज 2 तथा मानगो पुल और बारीडीह, बिहारी बस्ती के बीच रिवर फ्रंट डेवलपमेंट का कार्य भी गति नहीं पकड़ रहा है। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर नालों के गंदे पानी को नदी में गिरने के पहले साफ करने की खबरें जमशेदपुर अक्षेस और टाटा स्टील यूआईएसएल के माध्यम से विगत तीन वर्षों में आधा दर्जन से अधिक बार अखबारों में छप चुकी है परंतु योजना पर एक इंच भी कार्य शुरू नहीं हुआ है।
नगर पालिका क्षेत्र में कानून व्यवस्था की स्थिति भी दिन पर दिन बदतर होती जा रही है। बस्तियों एवं टाटा लीज क्षेत्र के आवासीय क्षेत्र में धड़ल्ले से हो रहा कब्जा इसका एक बड़ा कारण है। कानून व्यवस्था के नगरीय प्रशासन विभाग के विभिन्न पहलुओं के विषय में नगरपालिकाओं की भूमिका की समीक्षा भी होनी चाहिए ताकि वहाँ की जनता चोरी छिनतई से उबे बिना अमन-चैन की जिंदगी गुजार सके। नगर पालिका क्षेत्रों में जेपीएलई के मामलों में भी पक्षपातपूर्ण और चुनिंदा निर्णय हो रहा है, जिसकी समीक्षा आवश्यक है।