झारखंड
🛑 एमजीएम अस्पताल की जर्जर बिल्डिंग से मौत का साया: लापरवाही से गई 3 जानें, मानवाधिकार संगठन ने जताई गहरी चिंता

🏥 एमजीएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल की खस्ताहाल इमारत बनी मौत का कारण, तीन लोगों की मौत, दर्जनों घायल
📅 तारीख: 5 मई 2025
📝 स्रोत: भारतीय मानवाधिकार एसोसिएशन, पूर्वी सिंहभूम जिला इकाई
📍 जमशेदपुर, झारखंड : जमशेदपुर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 3 मई 2025 को हुए हादसे को लेकर भारतीय मानवाधिकार एसोसिएशन ने अपनी रिपोर्ट में अस्पताल की भयंकर लापरवाही और संरचनात्मक जर्जरता को जिम्मेदार ठहराया है।
एसोसिएशन की पूर्वी सिंहभूम जिला इकाई ने अध्यक्ष श्री एस. एन. पॉल के नेतृत्व में अस्पताल का दौरा कर जमीनी हकीकत का जायजा लिया।
⚠️ निरीक्षण में सामने आईं भयावह स्थितियां
🔹 मेडिकल वार्ड की इमारत जर्जर और बेहद खतरनाक स्थिति में पाई गई।
🔹 शौचालयों और जल आपूर्ति लाइनों से हो रहा रिसाव इमारत की नींव और दीवारों को कमजोर कर चुका है।
🔹 दीवारें और छत किसी भी वक्त गिर सकती हैं, जिससे NICU और PICU जैसे संवेदनशील यूनिट भी खतरे में हैं।
🔹 गायनिक वार्ड की छत का प्लास्टर गिरने से एक डॉक्टर घायल, जिससे बिल्डिंग की जर्जरता की पुष्टि होती है।
🔹 बगल की इमारत भी ध्वस्त होने की कगार पर, जो सैकड़ों लोगों की जान को संकट में डाल रही है।
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👶 मासूम जिंदगियों पर मंडरा रहा खतरा
NICU एवं PICU वार्डों में नवजात और छोटे बच्चे भर्ती हैं। टीम ने चेतावनी दी है कि यदि कोई और हादसा हुआ, तो इन मासूमों की जान बचाना मुश्किल होगा।
🧑⚕️ लापता परिजन, लावारिस मरीज और गैरजवाबदेह प्रशासन
🔸 12 मरीज पिछले 6 वर्षों से अस्पताल में भर्ती हैं, जिनके परिजनों का कोई अता-पता नहीं।
🔸 अस्पताल प्रशासन से संपर्क की कोशिश की गई, लेकिन वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद नहीं थे।
🔸 पूर्व में भी कर्मचारियों द्वारा कई बार चेतावनी दी गई थी, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
🗣️ मानवाधिकार संगठन ने उठाई आवाज
भारतीय मानवाधिकार एसोसिएशन ने मांग की है कि:
- एमजीएम अस्पताल की जर्जर इमारतों को तत्काल खाली किया जाए।
- उच्च स्तरीय जांच हो और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
- संवेदनशील क्षेत्रों में इलाजरत मरीजों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जाए।
📢 जांच टीम में शामिल थे:
वेद प्रकाश, धीरज कुमार झा, मुकेश कुमार, अशोक खंडेलवाल, महावीर प्रसाद, रूपम रॉय, अनिल यादव, सुबीर दत्ता, राहुल झा, कुणाल एवं अन्य जिला पदाधिकारीगण।
📌 निष्कर्ष:
यह हादसा प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है और अस्पताल जैसे जीवनरक्षक स्थान में मौत का डर होना हमारी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। अगर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो अगली दुर्घटना और भी भीषण हो सकती है।