जमशेदपुर : दिनांक २८ ०७ २०२४ को सवर्ण महासंघ के कोआर्डिनेशन कमिटी की बैठक सुबह ११ ०० बजे गांधी घाट पार्क साकची पर संरक्षक शिव पुजन सिंह की अध्यक्षता में हुई जिसमें महासंघ के विस्तार के लिए प्रत्येक थाना क्षेत्र से चार चार व्यक्तियों का नाम महासंघ में जोड़ा गया साथ ही सवर्ण छात्रसंघ और महिला विंग के गठन पर विचार किया गया महासंघ के संविधान और रजिस्ट्रेशन पर विचार किया गया।इन सभी समितियों के गठन के पश्चात महासंघ बिगड़ती सामाजिक राजनीतिक आर्थिक व्यवस्था के विरुद्ध अपना कार्यक्रम निर्धारित करेगा।
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देश की आजादी के ७५ साल में भारत के संस्कृति संस्कार सभ्यता शिक्षा। स्तर नीचे गिरते गया। स्वदेशी सभ्यता शिक्षा परम्परा वस्तुओं के जगह पर विदेशी निति छा गया है।जिसका नतीजा है कि आज बच्चों का संस्कार इतना गिर गया है कि जिस देश में माता पिता सास ससुर देवता जैसे पूजे जाते थे वे अपने ही घर में अवहेलित है बच्चे राष्ट्रभाषा हिन्दी भुलते जा र हें सुप्रीम कोर्ट से लेकर सभी कार्यालय का काम विदेशी अंग्रेजी भाषा में हो रह है इससे शर्मनाक बात क्या हो सकता है कि आजादी के ७५ साल बाद भी हम भारतवासी भाषा और संस्कृति का गुलाम है।
देश में आरक्षण इसलिए लगाया गया था कि समाज के दलितों को मौका दिया जाय लेकिन इसका लाभ जाती के नाम पर कुछ ही परिवार ले रहा है बाकी दलितों को इसका मौका ही नहीं मिलता देश के राजनेता और राजनीतिक पार्टियां महत्वाकांक्षी हो ग ई है जहां सरकारी कर्मचारियों का पेंशन बन्द कर दिया गया वरिष्ठ नागरिकों की रेलवे भाडा की सुविधा बन्द कर दिया गया वहीं राजनेताओं का पेंशन और रेलवे सुविधा बरकरार रखा गया है।
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धर्मान्तरण चरम सीमा पर है इन सारी चीजों से देश की जनता ऊब चुकी है लेकिन संगठित होकर कोई बोल नहीं रहा है इन सारी चीजों को देखते हुए सवर्णों ने संगठित होकर आवाज उठाने के लिए संकल्प लिया है और सवर्ण महासंघ की स्थापना जमशेदपुर में किया गया है सभी सवर्णों से आग्रह है कि अपना समर्थन दे सारी व्यवसायों को बदलने के लिए सरकार को मजबुर कर दिया जाएगा जैसे किसान मोर्चा ने किया था।सघे शक्ति कलियुगे बैठक में शम्भू नाथ सिंह मधुकर कुमार मिथिलेश श्रीवास्तव वाई पी सिंह कवलेश्वर पांडेय सत्य प्रकाश सिंह जय कुमार जी लक्ष्मी नारायण तिवारी राजेश कुमार झा प्रशान्त कुमार सिंह अजित कुमार श्रीवास्तव दिवाकर सिन्हा अखिलेश श्रीवास्तव इत्यादि मौजूद थे ,शिव पुजन सिंह संरक्षक।