जमशेदपुर 6 मार्च 2024 : करीम सिटी कॉलेज, राजनीति विज्ञान विभाग तथा नेशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में एकदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम कॉलेज ऑडिटोरियम में आयोजित हुआ जिसका विषय था- “झारखंड के अल्पसंख्यकों और आदिवासियों के मानवाधिकार”।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कोल्हन विश्वविद्यालय चाईबासा के रजिस्टर डॉ राजेंद्र भारती तथा रिसोर्स पर्सन के रूप में प्रो मोहम्मद अयूब (डीन ह्यूमैनिटीज तथा विश्वविद्यालय उर्दू विभागाध्यक्ष, श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची) एवं मुख्य वक्ता के तौर पर डॉ सोनाली सिंह (असिस्टेंट प्रोफेसर, स्नातकोत्तर विभाग, राजनीति विज्ञान, जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय) तथा डॉ अभय सागर मिंज (असिस्टेंट प्रोफेसर एंथ्रोपोलॉजी विभाग, श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची) शामिल हुए। कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुई। करीम सिटी कॉलेज के प्राचार्य और इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉ मोहम्मद रियाज ने पुष्प कुछ देखकर अतिथियों का स्वागत किया। उनके शुभ हाथों से तमाम अतिथियों को शॉल ओढ़ाकर तथा स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मान प्रस्तुत किया गया।
प्राचार्य ने स्वागत भाषण करते हुए भारतीय संविधान की तरफ सभा का ध्यान आकृष्ट कराया। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान भारत के नागरिकों के प्रत्येक वर्ग के अधिकारों तथा स्वतंत्रता की सुरक्षा प्रदान करता है। कार्यक्रम के कन्वीनर तथा राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ अनवर शहाब ने कार्यक्रम के उद्देश्यों को सभा के समक्ष रखा। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य यहां के अल्पसंख्यकों तथा विशेष कर आदिवासियों को उनके उन अधिकारों और सम्मान के प्रति जागरूक बनाना है जो उन्हें भारतीय संविधान द्वारा प्रदान किया गया है।
मुख्य अतिथि रजिस्ट्रार महोदय ने कार्यक्रम का विधिवत्त उद्घाटन किया। उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में संस्कृत शब्द को परिभाषित किया और बताया के संस्कृति मानव जीवन में आधार की हैसियत रखती है। संस्कृति ही है जिसमें हमारा वास्तविक स्वरूप निहित होता है।
रजिस्ट्रार महोदय के उद्घाटन भाषण के बाद प्रथम सत्र प्रारंभ हुआ जिसमें डॉ सोनाली सिंह ने मानवाधिकार का परिचय और अर्थ पर प्रकाश डालते हुए मानवाधिकारों के महत्व, उसकी संवैधानिक स्थिति तथा एनएचआरसी में इसका प्रावधान और कार्य प्रणाली को विस्तार पूर्वक समझाया। इसके तहत उन्होंने मानवाधिकार का कानूनी तथा प्राकृतिक दोनों रूप को सामने रखा। उनके बाद डॉ अमान मोहम्मद (प्राध्यापक राजनीतिक विज्ञान करीम सिटी कॉलेज) ने 1948 की मानवाधिकार वैश्विक घोषणा पर अपने विचार रखें।
डॉ अभय सागर मिंज का संबोधन काफी प्रभावशाली रहा उन्होंने सामुदायिक विकास सामाजिक प्रदर्शन एवं आर्थिक अवसर जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और खुशहाली जैसे पहलुओं पर बात की। उन्होंने कहा कि इतनी विविधताओं के बावजूद हमारे देश में शांति और सद्भावना है। इसका मात्र एक कारण है कि हमारा देश धर्मों का देश है और संसार का कोई भी धर्म हो मनुष्य को आपस में जुड़ने और प्रेम करने का संदेश देता है। अंत में उन्होंने कुछ ऐसी पुस्तकों को पढ़ने का परामर्श दिया जिन में हमारी संस्कृति की वास्तविकता प्रतिबिंबित होती है।
अंत में श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय रांची से आए हुए प्रो मोहम्मद अयूब ने सभा को संबोधित किया। उन्होंने अल्पसंख्यकों तथा आदिवासियों को संवैधानिक अधिकारों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि जो अधिकार हमें संविधान द्वारा प्रदान किए गए हैं उनको जाने बिना और उनका प्रयोग में लाए बिना किसी भी समुदाय के लिए यह संभव नहीं है कि वह शैक्षणिक क्षेत्र में या आर्थिक क्षेत्र में अपने आप को विकसित कर सके।
अंतिम और समापन सत्र में मुख्य अतिथि रजिस्ट्रार महोदय डॉ राजेंद्र भारती ने सभा को संबोधित किया और दोनों आयोजक संस्थाओं को बधाई दी। उन्होंने अपने संबोधन में संवर्धन की चुनौतियों तथा संस्कृति पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संस्कृति समाज के एकीकरण एवं स्थायित्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसका महत्व उस समय और बढ़ जाता है जब हम देश के अल्पसंख्यक नागरिकों और आदिवासियों के संदर्भ में बात करते हैं।
कार्यक्रम का संचालन मुबीना बेगम एवं स्नेहा शर्मा ने किया और अंत में डॉ तनवीर जमाल काजमी ने धन्यवाद ज्ञापन कर कार्यक्रम की समाप्ति की घोषणा की।