जमशेदपुर : कस्तुरबा गांधी बालिका विद्यालय एवम झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय में राज्य के महत्वकांक्षी योजनाओं का क्रियान्वयन के लिए खाद्य पदार्थ व अन्य सामग्रियों के क्रय हेतू राज्य के सभी कस्तुरबा गांधी बालिका विद्यालय एवं झारखण्ड बालिका आवासीय विद्यालयों में खाद्य पदार्थ एवं अन्य सामग्रियों के क्रय हेतु जिला स्तरीय क्रय समिति का गठन करते हुये आवश्यक कार्रवाई प्रति वर्ष करने हेतु निर्देशित किया गया है। विगत 2 वर्षों में कोविद-19 के कारण विद्यालयों के बन्द होने की स्थिति में कई जिलों द्वारा उपरोक्त संदर्भ में क्रय प्रक्रिया पूर्ण नहीं की गई है। साथ ही कई जिलों में अनेकानेक प्रकार की भिन्नताएँ प्राप्त हो रही है तथा इस संदर्भ में शिकायत भी राज्य कार्यालय को प्राप्त हो रही है।
उपरोक्त सभी बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुये पूर्व में राज्य कार्यकारिणी की 55वीं बैठक तथा प्रसंगाधीन पत्र में दिये गये निर्देश के आलोक में जिला स्तर पर क्रय हेतू की जानेवाली क्रय से संबंधित विस्तृत मार्गदर्शिका तैयार की गई है जो कि सभी जिलों को निर्देशित भी किया गया है, ताकि मार्गदर्शिका के अनुरूप प्रत्येक वर्ष क्रय प्रक्रिया को नियमानुसार क्रियान्वित किया जा सके। भविष्य में किसी भी प्रकार के विचलन की स्थिति में संबंधित जिला जिम्मेवार होंगे। उक्त निर्देश राज्य परियोजना निदेशक किरण कुमारी पासी द्वारा ज्ञापांक संख्या : GE/08/132/2019-20/2648 राँची, दिनांक : 12/10/2022 को इसकी प्रतिलिपि सभी उपायुक्त, झारखण्ड को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यार्थ प्रेषित किया गया है । कस्तुरबा गाँधी बालिका विद्यालय एवं झारखंड बालिका आवासीय विद्यालयों में क्रय हेतु मार्गदर्शिका राज्य में 203 कस्तुरबा गाँधी बालिका विद्यालय एवं 57 झारखंड आवासीय बालिका विद्यालय संचालित है।
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इन विद्यालयों में प्रतिवर्ष विविध सामग्रियों यथा खाद्य पदार्थ, पोशाक, दैनिक उपयोग की सामग्री, विद्यालयों के रख रखाव से संबंधित बस्तुओं का क्रय आवश्यकतानुसार किया जाता है। इस संबंध में राज्य परियोजना कार्यालय का पत्रांक 3163 दिनांक 23.09.2019 निर्गत है। इसके आलोक में यह निर्णय लिया गया है कि पूर्व में विद्यालय स्तरीय क्रय समिति के स्थान पर जिला स्तरीय क्रय समिति द्वारा जिले के सभी संबंधित विद्यालयों हेतु क्रय की प्रक्रिया की जाएगी। जिला स्तरीय क्रय समिति द्वारा लिए गए निर्णय सभी संबंधित विद्यालयों हेतु मान्य होगे तथा विद्यालय स्तर पर इसी आधार पर क्रय की कार्रवाही की जाएगी। राज्य कार्यकारिणी समिति द्वारा जिला स्तरीय क्रय समिति के गठन को अनुमोदित किया गया है, जो कि निम्नवत् है: –
1. संबंधित जिले के जिला शिक्षा पदाधिकारी-सह-जिला कार्यकम पदाधिकारी पदेन अध्यक्ष।
2. संबंधित जिले के जिला अधीक्षक-सह-अपर जिला कार्यकम पदाधिकारी-सदस्य सचिव।
3. जिला उद्योग महाप्रबंधक-सदस्य।
4. संबंधित जिले के जिला लेखा पदाधिकारी-सदस्य।
5. वाणिज्य कर विभाग के पदाधिकारी-सदस्य।
6. कस्तुरबा गाँधी बालिका विद्यालय के जिला प्रभाग पदाधिकारी-सदस्य।
7. उपायुक्त के प्रतिनिधि (उपायुक्त द्वारा नामित पदाधिकारी)- सदस्य।
जिलों में उपरोक्त आलोक में क्रय की प्रकिया की जा रही है। परन्तु विगत दिनों जिला स्तर पर की गई क्रय प्रकिया में कुछ कमी देखी गई है तथा यह पाया गया है कि जिला स्तर पर क्रय समिति द्वारा लिए गए निर्णय में क्रय से संबंधित महत्वपूर्ण विषय वस्तुओं पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है। इसी को ध्यान में रखकर वर्णित परिस्थिति में जिला स्तरीय क्रय समिति हेतु निम्नवत निदेश दिए गए हैं, जो बिंदुवार उल्लेखित है :
1. सभी संबंधित विद्यालयों में आवश्यक वस्तुओं के क्रय हेतु निविदा जिला स्तर से विद्यालयवार प्रकाशित किए जाऐंगे।
2. निविदा को सामग्रियों के प्रकृति के आधार पर पैकेजवार निविदा प्रकाशित की जाएगी यथा –
• खाद्य पदार्थ- पैकेज -1
• हरी सब्जी, मछली, चिकेन, दूध, पनीर इत्यादि – पैकेज 2
• पोशाक एवं अन्य वस्त्र पैकेज 3
•स्टेशनरी पैकेज – 4 .
निविदा समर्पित करने हेतू सभी विद्यालयों के लिए अलग अलग स्थानीय निविददातों का चयन किया जाना है। साथ ही निविदा प्रकाशन के समय इसका व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जायेगा जिसमें कम से कम दो समाचार पत्रों में विस्तृत सूचना प्रकाशन, जिला एवं प्रखण्ड कार्यालय तथा विद्यालयों के सूचना पट्ट, जिला की वैबसाईट इत्यादि पर इसे प्रकाशित करना है तथा इसकी जानकारी राज्य परियोजना कार्यालय को भी उपलब्ध कराना है, ताकि स्थानीय स्तर के संस्थान इसमे भाग ले सके। इसके लिए स्पस्ट निर्देश दिया गया है। साथ ही किसी भी परिस्थिति में restrictive clause नही रखने को कहा गया है।
क्योंकी यह भी देखने में आया है कि निविदादाता की पात्रता इत्यादि की जाँच तथा प्रतिष्ठान का भौतिक सत्यापन भी नहीं किया जाता है, जिसके कारण अयोग्य निविदादाता भी योग्य घोषित हो जाते है तथा इस संबंध में फिर शिकायते भी प्राप्त होते रही है। यदि किसी प्रखण्ड में निर्धारित मानक प्रक्रिया के अन्तर्गत निविदादाता प्राप्त नहीं होते है तो वैसी परिस्थिति में नजदीकी प्रखण्ड के निविदादाता को कार्य आवंटित किया जा सकता है। परन्तु ऐसा करने के पूर्व समिति को यह आश्वस्त हो लेना होगा कि संबंचित प्रखष्ठ में निर्धारित मापदन्ड के आलोक में कोई भी संस्थान उपलब्ध नहीं है।
प्रायः यह भी देखा जा रहा है कि निविदादाता द्वारा दिये गये दर के आलोक में 11 के आधार पर ही निर्णय लिया जा रहा है जिसके कारण कई सामग्रियों के दर बाजार दर से अधिक होते है तथा निर्धारित बजट की दर सीमा से भी परे होते है। इसका सीधा प्रभाव बालिका के दैनिक खान-पान एवं अन्य सुविधाओं पर पड़ता है , क्योंकि दर अधिक होने के कारण एवं निर्धारित बजट के कम होने के कारण आवश्यकताओं की कटौती की जा रही है। चयन समिति, दर प्राप्त होते ही सभी सामग्रियों का बाजार मूल्य का आकलन करेंगे एवं तद्नुसार ही निविदादाता द्वारा समर्पित किये गये दर को स्वीकार करेंगे तथा दर का पूर्व आकलन तथा negotiation किया जा सकेगा। किसी भी परिस्थिति में बाजार दर से अधिक दर पर कार्य आवंटित नहीं किया जायेगा। संबंधित विद्यालयों द्वारा प्राप्त दर एवं संस्थानों की सूची के आलोक में मासिक क्रयादेश संबंधित संस्थान को जिला क्रय समिति द्वारा निर्धारित दर के आलोक में निर्गत की जायेगी।
जिन विद्यालयों में कस्तुरबा गांधी बालिका विद्यालय एवं झारखण्ड बालिका आवासीय विद्यालय दोनो संचालित है, वहां दोनो विद्यालय हेतु अलग-अलग कार्यदेश निर्गत करते हुये प्रक्रिया अलग अलग पूर्ण की जायेगी। विद्यालय द्वारा चलान के आधार पर सामग्रियों का मिलान किया जायेगा तथा सभी सामग्रियों के लिए विपत्र के साथ आवेदन करते हुये तीन दिनों के अन्दर भुगतान की कार्रवाई पूर्ण करेंगे। किसी भी प्रकार के पावती अथवा दर इत्यादि में विचलन के स्थिति में संबंधित संस्थान को लिखित में सूचित करते हुये अग्रेत्तर कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे। कभी कभी विद्यालय में संस्थान द्वारा सामग्रियों की आपूर्ति मासिक स्तर पर खपत से ज्यादा कर दी जाती है तथा रख-रखाव के अभाव में सामग्री बर्बाद भी होते है तथा इसका उपयोग भी उचित नहीं होता है। अतः सामग्रियों के लिये निर्गत होने वाले क्रयादेश में इसका पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए।
जिला क्रय समिति द्वारा प्रत्येक तीन माह में एक बार सभी विद्यालयों के वार्डेन के साथ आपूर्ति एवं खपत तथा भुगतान इत्यादि से संबंधित समीक्षा बैठक आयोजित करेंगे तथा यदि किसी विद्यालय में किसी भी।प्रकार की चुनौती आ रही है तो उसका निराकरण सुनिश्चित करेंगे। प्रायः यह देखा जा रहा है कि जिलो द्वारा समय पर निविदा की प्रक्रिया प्रारंभ नहीं की जाती है तथा पूर्व से चयनित संस्थान से ही लगातार कार्य लिया जाता है जो वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है।
जिला द्वारा प्रत्येक वर्ष माह फरवरी में निविदा की प्रक्रिया पार की जायेगी तथा मार्च माह के अंतिम सप्ताह तक संस्थान एवं दर इत्यादि का निर्धारण अनिवार्य रूप से पूर्ण कर लिया जायेगा। अन्यथा जिन जिलों में 2022-23 में विवि की प्रक्रिया पूर्ण नहीं की गई है, उन जिलो के द्वारा उपरोक्त सभी बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुये अगले एक माह के अंदर निति की प्रक्रिया पूर्ण की जायेगी जिसकी वैद्यता अधिकतम मार्च माह 2023 तक होगी। जिन जिलों में निविदा की जा चुकी है, ये माह फरवरी-मार्च, 2023 तक उपरोक्त बिन्दुमा के आधार पर निविदा कार्य सम्पन्न करेंगे। निविदा कार्य हेतु निम्नयत समय सीमा को ध्यान में रखते हुए कार्य किया जायेगा।
अतः निविदा का चयन करते समय उपर्युक्त सारी बातों पर विशेष ध्यान रखने हुए राज्य परियोजना निदेशक किरण कुमारी पासी जी द्वारा विंदुवार 24 निर्देशो का उल्लेख किया गया है , जिसमें निविदादाता के चयन में स्थानीय वाले को विशेष प्राथमिकता देने की बात कही गई है। इसी कड़ी में पूर्विसिंहभूम जिले में स्थित कस्तुरबा गांधी बालिका विद्यालयों एवम झारखंड बालिका आवासीय विद्यालयों में भी राज्य के महत्वकांक्षी योजनाओं का क्रियान्वयन एवम खाद्य पदार्थ व सामग्रियों के प्रकृति के आधार पर पैकेजवार निविदा निकाली गई है, जिसमें कई छोटे बड़े निविदादाता गण भी उपर्युक्त निर्देशों का पालन करते हुए अपना कोटेशन डाले हैं और चयन प्रक्रिया फाइनल होने का इंतजार कर रहे हैं। अब देखना है कि इसमें कौन सफल हो पाते हैं।