मुख्य बिंदु :
* जमशेदपुर पुलिस पर राजनीतिक दबाव के कारण अपराध नियंत्रण नहीं हो पा रहा
* चुनिन्दा आपराधिक गिरोहों को स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का संरक्षण
* शक्तिनाथ हत्याकांड का मुख्य अभियुक्त ईश्वर सिंह बन्ना गुप्ता का खासमखास
* बन्ना गुप्ता के दबाव गिरफ़्तार ईश्वर सिंह को जेल ले जाने की जगह एमजीएम अस्पताल भेज दिया
* ईश्वर सिंह की बीमारी की जाँच के लिए मेडिकल बोर्ड बने
* मृत अपराधी अमरनाथ सिंह को भी बन्ना गुप्ता का संरक्षण प्राप्त था
* जमशेदपुर पुलिस स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पर कारवाई के लिए सरकार से अनुमति माँगे
जमशेदपुर 10 सितंबर, 2024: जमशेदपुर शहर में अपराधिक घटनाएँ पुलिस-प्रशासन के नियंत्रण से बाहर हो गई हैं. आए दिन गोली-बारी, छिनतई, घरों का ताला तोड़कर चोरी की घटनाएँ हो रही हैं. अपराधी बेलगाम हो गए हैं. ऐसा नहीं की जमशेदपुर पुलिस में योग्य और कर्मठ अधिकारियों की कमी है, पर राजनीतिक दबाव का माहौल बन जाने से वे अपनी पूरी क्षमता का प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं. नतीजा है कि शहर में अपराध नियंत्रित नहीं हो पा रहे हैं.
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जमशेदपुर के चुनिन्दा अपराधी गिरोहों को सत्ताधारी समूह का संरक्षण मिल रहा है. झारखंड सरकार के स्वास्थ्य एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री श्री बन्ना गुप्ता की भूमिका इसमें अग्रणी है. नतीजा है कि अपराधिक गतिविधियों पर लगाम लगाने के मामले मे जमशेदपुर पुलिस-प्रशासन के सामने अक्सर असमंजस की स्थिति पैदा हो जाती है.
हाल ही में मानगो में हुए शक्तिनाथ सिंह हत्याकांड के अपराधियों को स्वास्थ्य मंत्री का सीधा संरक्षण प्राप्त है. मंत्री जी के साथ इन अपराधियों की बड़ी-बड़ी होर्डिंग मानगो के चौक चौराहों पर लगी हुई है. मानगो फ़्लाई ओवर के पहले पिलर के शिलान्यास के दिन भी उस व्यक्ति के ही होर्डिंग चारों ओर लगे थे जिसे पुलिस ने शक्तिनाथ सिंह हत्याकांड का मुख्य अभियुक्त मानकर गिरफ़्तार किया है. यह व्यक्ति ईश्वर सिंह है जो मानगो मंडल कॉंग्रेस का अध्यक्ष है और श्री बन्ना गुप्ता का खासमखास है.
पक्का सबूत होने और प्रत्यक्षदर्शी का बयान होने के बाद भी ईश्वर सिंह को पुलिस ने चार दिन तक गिरफ़्तार नहीं किया. एक अन्य आरोपी चंदन सिंह का नाम अभियुक्त सूची से बाहर कर दिया. चार दिन बाद ईश्वर सिंह गिरफ़्तार हुआ तो ईश्वर सिंह को जेल भेजने के बदले एमजीएम अस्पताल भेज दिया गया. आख़िर गिरफ़्तार होते ही ईश्वर सिंह को कौन ऐसी बीमारी हो गई जिसका इलाज जेल के अस्पताल में और जेल के डॉक्टर द्वारा नहीं हो सकता है इसलिये उसे एमजीएम अस्पताल भेजना पडा. इसके लिए स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता सीधे ज़िम्मेदार हैं. वे अपराध का संरक्षण कर रहे हैं. मैं इस मामले की जाँच मेडिकल बोर्ड से कराने की माँग करता हूँ.
ऐसी घटनाओं से स्वास्थ्य मंत्री का दबदबा तो आपराधिक गिरोहों पर बढ़ जाता है पर नगर पुलिस-प्रशासन की किरकिरी हो जाती है, उनका मनोबल टूट जाता है.
मानगो का अपराधी सरगना अमरनाथ सिंह को आगे बढ़ाने और संरक्षण देने का काम भी स्वास्थ्य मंत्री ने ही किया था. आज जिस तरह के पोस्टर और होर्डिंग मानगो के चौक-चौराहों पर स्वास्थ्य मंत्री के साथ अभियुक्त ईश्वर सिंह और चंदन सिंह के लगे हुए हैं. वैसे ही पोस्टर और होर्डिंग पहले स्वास्थ्य मंत्री के साथ अपराधकर्मी अमरनाथ सिंह के लगते थे. अब अपराध जगत में दबदबा के कारण अमरनाथ सिंह द्वारा अर्जित अवैध ज़मीन पर क़ब्ज़ा की लड़ाई में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ईश्वर सिंह की पीठ ठोक रहे हैं. शक्तिनाथ सिंह की हत्या का यह एक बड़ा कारण है. स्वास्थ्य मंत्री के अपराधी प्रेम के ऐसे कारनामों ने मानगो की युवा पीढ़ी को बर्बादी की राह पर ढकेला है. कई घर बर्बाद हो गए हैं. कदमा-सोनारी के छुटभैये आपराधिक गिरोहों और अपराधियों को भी इनसे शह मिल रही है.
जमशेदपुर पुलिस प्रशासन यदि वास्तव में शहर को अपराध मुक्त करना चाहता है तो उसे स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पर कारवाई करनी पड़ेगी. मानगो के शक्तिनाथ हत्या कांड में तो स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पर सीधी कार्रवाई होनी चाहिए. इसकी जाँच होनी चाहिए की शक्तिनाथ सिंह की हत्या के मुख्य आरोपी को जेल ले जाने की बजाय एमजीएम अस्पताल किसके दबाव में ले ज़ाया गया. इसमें स्वास्थ्य मंत्री की भूमिका और पद के दुरूपयोग की जाँच किया जाना भी आवश्यक है. एक मेडिकल बोर्ड गठित कर मरीज़ क़ैदी के स्वास्थ्य की जाँच होनी चाहिए.
अपनी ख़ुफ़िया शाखा से जमशेदपुर पुलिस को इस संबंध में लगातार सूचनाएँ मिलते रहती हैं. जमशेदपुर पुलिस इन सूचनाओं से राज्य के मुख्यमंत्री सह गृह मंत्री को अवगत कराए और स्वास्थ्य मंत्री पर कारवाई के लिए राज्य सरकार से अनुमति प्राप्त करे, ताकि अपराधियों और इनके संरक्षक का मनोबल टूटे. अन्यथा जमशेदपुर में अपराध पर नियंत्रण पुलिस के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा.
ह॰/ सरयू राय