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India-Pakistan War 2025: भारत-पाकिस्तान युद्ध पर मुख्तार आलम खान की प्रतिक्रिया- “मानवता की जीत”

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  • Mukhtar Alam Khan’s reaction: Victory for humanity

India-Pakistan War 2025 : भारत-पाकिस्तान युद्धविराम पर ह्यूमन वेलफेयर ट्रस्ट की प्रतिक्रिया, ऑपरेशन सिंदूर की भूमिका और वैश्विक कूटनीति पर पड़ने वाले प्रभाव की विस्तृत रिपोर्ट

भारत-पाकिस्तान के बीच लंबे समय से जारी तनाव के बीच हाल ही में घोषित युद्धविराम पर ह्यूमन वेलफेयर ट्रस्ट के सचिव मुख्तार आलम खान ने गहरी संतुष्टि और उम्मीद जताते हुए कहा:

“यह युद्धविराम सिर्फ सीमाओं की शांति नहीं, बल्कि मानवता की जीत है। दोनों देशों के करोड़ों लोग जिनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी युद्ध के साए में बीत रही थी, अब उन्हें चैन की सांस मिलेगी। हमारा ट्रस्ट हमेशा से मानता है कि संवाद और सहयोग ही एकमात्र रास्ता है। इस फैसले से यह सिद्ध होता है कि जब इच्छाशक्ति और विवेक साथ हों, तो कोई भी विवाद सुलझाया जा सकता है।”

उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के युवाओं, किसानों, व्यापारियों और सीमावर्ती नागरिकों को अब स्थायित्व और विकास की ओर देखना चाहिए।

ऑपरेशन सिंदूर: रणनीतिक साहस और सैन्य संयम का प्रतीक

“ऑपरेशन सिंदूर” इस युद्धकाल के दौरान भारत द्वारा शुरू किया गया एक निर्णायक और सीमित सैन्य अभियान था, जिसका उद्देश्य था:

  • पाकिस्तानी सैन्य चौकियों को निशाना बनाना, जो अक्सर भारतीय सीमाओं पर गोलीबारी में शामिल रहते थे।
  • गुप्त खुफिया जानकारी के आधार पर आतंकवादी ठिकानों को निष्क्रिय करना, विशेष रूप से पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) में।
  • सीमित समय में नुकसान कम रखते हुए रणनीतिक दबाव बनाना, ताकि पाकिस्तान को बातचीत के लिए मजबूर किया जा सके।

इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय वायुसेना और थलसेना की समन्वित रणनीति ने पाकिस्तान को यह संदेश दिया कि भारत सैन्य क्षमता में पीछे नहीं है, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि भारत की प्राथमिकता युद्ध नहीं, शांति है।

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आगे की रणनीति: भारत और पाकिस्तान

भारत की रणनीति:

  • युद्धविराम को राजनयिक जीत में परिवर्तित करना
  • सीमावर्ती विकास पर फोकस, जिससे वहां रहने वाले नागरिकों को भरोसा मिले।
  • आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को जारी रखते हुए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान पर दबाव बनाए रखना।

पाकिस्तान की रणनीति:

  • आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता को काबू में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय आलोचना से बचाव करना।
  • आर्थिक संकट से उबरने के लिए शांति की दिशा में दिखावटी पहल करना।
  • चीन और खाड़ी देशों के साथ अपने रिश्तों को मज़बूत करने की कोशिश।

वैश्विक राजनीति और कूटनीति पर प्रभाव

  1. संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक शक्तियों की भूमिका मजबूत हुई है। यह युद्धविराम उनके लगातार कूटनीतिक प्रयासों का परिणाम माना जा रहा है।
  2. अमेरिका, रूस और चीन, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए अलग-अलग पक्षों में सक्रिय हैं, उन्हें अब शांति बनाए रखने का अवसर मिला है।
  3. दक्षिण एशिया में स्थिरता आने से व्यापारिक गलियारों (जैसे CPEC और IMEC) को नई गति मिल सकती है।
  4. भारत की छवि एक संयमित, परिपक्व और रणनीतिक दृष्टिकोण रखने वाले देश की बनी है, जो न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करना जानता है, बल्कि बातचीत के ज़रिये समाधान निकालना भी।

निष्कर्ष: युद्ध नहीं, यथार्थवादी शांति की ओर बढ़ता उपमहाद्वीप

इस युद्धविराम ने स्पष्ट कर दिया है कि अब दक्षिण एशिया के देशों को अपने संसाधनों को हथियारों पर नहीं, स्वास्थ्य, शिक्षा और तकनीकी विकास पर खर्च करना होगा। ह्यूमन वेलफेयर ट्रस्ट जैसे संगठन इस बात की मिसाल हैं कि सामाजिक चेतना कैसे युद्ध की पृष्ठभूमि में भी शांति की आवाज़ बन सकती है।

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