क्राइम
🚨 ‘झारखंड खैनी’ ब्रांड पर आयकर और जीएसटी इंटेलिजेंस का शिकंजा

🕵️♂️ व्यापारिक साम्राज्य पर 16 घंटे से जारी छापेमारी
📍 चाईबासा से जय कुमार की विशेष रिपोर्ट
चाईबासा में शुक्रवार को आयकर विभाग और जीएसटी इंटेलिजेंस की संयुक्त टीम ने ‘झारखंड खैनी’ ब्रांड से जुड़े प्रमुख व्यापारियों के ठिकानों पर बड़ी छापेमारी की। यह कार्रवाई एक साथ नितिन प्रकाश, पंकज चिरानिया और पिंटू अग्रवाल के आवासों, कार्यालयों और फैक्ट्रियों पर की जा रही है।
👉 यह अभियान अब तक लगातार 16 घंटे से अधिक समय से जारी है।
🏠 कई स्थानों पर एक साथ छापा
सूत्रों के अनुसार छापेमारी के प्रमुख स्थल इस प्रकार हैं:
- नीमडीह स्थित नितिन प्रकाश का आवास
- सदर बाजार स्थित कार्यालय
- यूरोपियन क्वार्टर में पंकज चिरानिया का घर
- पिंटू अग्रवाल का आवास
- आदित्यपुर स्थित राइस मिल, सत्तू और बेसन फैक्ट्री
👉 टीम ने छह गाड़ियों के काफिले के साथ अलग-अलग ठिकानों पर एक साथ छापेमारी शुरू की, जिससे पूरे क्षेत्र में संसनी फैल गई।
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📑 वित्तीय दस्तावेजों की बारीकी से जांच
अधिकारियों ने इन सभी स्थानों पर मौजूद आर्थिक दस्तावेजों, लेन-देन के रजिस्टर, बैंक विवरण, जीएसटी फाइलिंग और स्टॉक रजिस्टरों की गहन जांच शुरू कर दी है।
सूत्रों का कहना है कि अब तक की जांच में बड़ी मात्रा में संदिग्ध दस्तावेज बरामद हुए हैं, जिनमें टैक्स चोरी और फर्जी लेन-देन के प्रमाण मिलने की आशंका जताई जा रही है।
🧏♂️ अधिकारियों की चुप्पी, व्यापारिक जगत में हलचल
अब तक किसी भी आयकर या जीएसटी अधिकारी ने इस कार्रवाई को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। लेकिन स्थानीय व्यापारिक समुदाय और आम नागरिकों के बीच यह चर्चा का मुख्य विषय बना हुआ है कि ‘झारखंड खैनी’ ब्रांड के कारोबार में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आ सकती हैं।
📌 विशेष बिंदु:
- एक साथ कई प्रतिष्ठानों पर छापेमारी
- 16 घंटे से अधिक समय से कार्रवाई जारी
- संदिग्ध दस्तावेजों की बरामदगी की खबर
- व्यापारिक क्षेत्र में भय और भ्रम की स्थिति
- कोई आधिकारिक बयान अब तक जारी नहीं
विश्लेषणात्मक निष्कर्ष:
‘झारखंड खैनी’ एक लोकप्रिय स्थानीय उत्पाद बन चुका है, जिसकी बिक्री पूरे झारखंड और पड़ोसी राज्यों में व्यापक है। इस व्यापार से जुड़े लोगों पर इस तरह की संयुक्त टैक्स छापेमारी यह संकेत देती है कि सरकार अब स्थानीय स्तर पर पनपते कालेधन और टैक्स चोरी के नेटवर्क को भी नज़रअंदाज़ नहीं कर रही।
यदि जांच में वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि होती है, तो यह मामला झारखंड के खैनी उद्योग में बड़े बदलाव और नियमन की दिशा में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।