जमशेदपुर : माता-पिता बड़े अरमान से बेटे-बेटियों को जन्म देते हैं और उनकी इच्छाओं की पूर्ति के लिए अपने जीवन की सारी कमाई उनकी शिक्षा और विवाह पर खर्च कर देते हैं। उन्हें लगता है कि ये बच्चे उनके बुढ़ापे का सहारा बनेंगे जो कि भारतीय संस्कृति की परंपरा है लेकिन देखने में आता है कि शादी के बाद लड़के अपने माता-पिता को भूल जाते हैं और उन्हें दो वक्त का खाना भी नसीब नहीं होता।
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वे अपने पिता के बनाए घर में रहते हैं और न तो पिता उन्हें खाना देते हैं और न ही उनका ख्याल रखते हैं बल्कि उन पर अत्याचार भी करते हैं। जिन बुजुर्गों के पास पैसे हैं वे वृद्धाश्रम में शरण लेते हैं और जिनके पास पैसे नहीं हैं वे दर-दर भटक रहे हैं।
इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने 2007 में सीनियर सिटीजन एक्ट बनाया है, जिसके तहत अनुमंडल स्तर पर अनुमंडल पदाधिकारी अध्यक्ष होते हैं, जो बेटों से भरण-पोषण मुआवजा दिलाने के लिए अधिकृत होते हैं। लेकिन जानकारी के अभाव में कई बुजुर्ग इसका लाभ नहीं उठा रहे हैं, इसलिए पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला खरसावां जिले के सभी वरिष्ठ नागरिकों को सूचित किया जाता है कि जिनके बच्चे उनकी देखभाल नहीं करते हैं, वे केंद्रीय अध्यक्ष शिवपूजन सिंह से मोबाइल नंबर 6201707968 पर संपर्क करें, उन्हें भरण-पोषण मुआवजा दिया जाएगा।
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समिति अनुमंडल पदाधिकारी और जिला प्रशासन से अनुरोध करेगी कि जो बेटे अपने माता-पिता की देखभाल नहीं करते हैं, उन्हें उनके पिता द्वारा बनाए गए घर से बेदखल किया जाए।