क्राइम
मौत का हॉस्पिटल: उद्घाटन के मात्र 15 दिन बाद ही, डॉक्टरों की लापरवाही से व्यवसायी की मौत।

📍 सरिया/गिरिडीह : गिरिडीह जिले के सरिया अनुमंडल में स्थित बहुचर्चित सत्यप्रभा प्राइवेट हॉस्पिटल, जो हाल ही में एक भव्य समारोह में उद्घाटित हुआ था, अब मौत के हॉस्पिटल के रूप में सुर्खियों में है।
यह अस्पताल बागोडीह मोड़ के व्यस्त इलाके में स्थित है और इसे सरिया के जाने-माने जमीन कारोबारी सत्यदेव प्रसाद वर्मा ने स्थापित किया है। उद्घाटन को अभी मात्र पंद्रह दिन हुए हैं, लेकिन अब यह अस्पताल एक जबरदस्त चिकित्सा लापरवाही के आरोपों में घिर गया है।
“लगाया मौत का इंजेक्शन: सत्यप्रभा हॉस्पिटल में लापरवाही या हत्या? एक कपड़ा व्यवसायी की संदिग्ध मौत पर उठा बवाल!”
बिना अनुमति दिए गए नींद के इंजेक्शन से व्यवसायी की मौत
🧑⚕️ क्या हुआ उस दिन?
सरिया के एक प्रतिष्ठित कपड़ा व्यवसायी अमरजीत सिंह को अचानक तबियत खराब होने पर उनके परिजनों ने पूरे विश्वास के साथ सत्यप्रभा हॉस्पिटल में भर्ती कराया। भर्ती के समय परिजनों ने रांची में हुए इलाज की रिपोर्ट और महत्वपूर्ण निर्देश, विशेष रूप से नींद संबंधी दवा या इंजेक्शन न देने की सख्त हिदायत डॉक्टरों को दी थी।
परंतु आरोप है कि डॉक्टरों ने बिना अनुमति के नींद का इंजेक्शन दे दिया, जिससे अमरजीत सिंह को दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई।
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💊 सबूत मिटाने की कोशिश!
परिजनों के अनुसार जब उन्होंने हॉस्पिटल द्वारा दी गई पर्ची में दवा का नाम जानना चाहा, तो नर्सों ने उस पर्ची को रगड़ कर दवा का नाम मिटा दिया। यह गंभीर आरोप इस ओर इशारा करता है कि साक्ष्य मिटाने की कोशिश जानबूझ कर की गई।
🏃♂️ डॉक्टर-नर्स फरार!
जैसे ही मामले की भनक मीडिया को लगी और पत्रकार मौके पर पहुंचे, हॉस्पिटल में मौजूद सभी नर्स और डॉक्टर पिछले दरवाजे से भाग खड़े हुए। यह भागदौड़ इस बात को और पुख्ता करती है कि अस्पताल प्रशासन कुछ न कुछ छिपा रहा है।
📜 शिकायत की तैयारी
खबर लिखे जाने तक परिजनों द्वारा इस पूरे मामले की लिखित शिकायत स्थानीय प्रशासन को देने की प्रक्रिया चल रही थी।
🔎 सवाल जो उठते हैं:
- डॉक्टरों ने बिना अनुमति के नींद का इंजेक्शन क्यों दिया?
- दवा की पर्ची से नाम मिटाने की कोशिश क्या साजिश का संकेत है?
- हॉस्पिटल स्टाफ का फरार होना क्या उन्हें दोषी ठहराता है?
- इतने जल्दी खुले अस्पताल में इतनी बड़ी लापरवाही – क्या क्वालिटी और नियमों की जांच नहीं हुई थी?
⚖️ क्या है रास्ता आगे?
यह मामला केवल एक व्यक्ति की मौत का नहीं, पूरे सिस्टम पर सवाल है। यदि समय रहते प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने इस पर कठोर कदम नहीं उठाए, तो यह भविष्य में और भी जानलेवा साबित हो सकता है।
🔴 संदेशात्मक समीक्षा:
“बिल्डिंग बड़ी हो सकती है, उद्घाटन भव्य हो सकता है – लेकिन जब संवेदनशीलता और ज़िम्मेदारी नहीं होती, तो अस्पताल मौत की फैक्ट्री बन जाता है।”
📢 जनता के सवाल :
✅ दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी
✅ अस्पताल की कार्यप्रणाली की जांच
✅ पीड़ित परिवार को न्याय और मुआवजा
✅ निजी अस्पतालों की निगरानी को लेकर सख्त नीति
🛑 यह खबर किसी एक परिवार की नहीं, पूरे समाज के स्वास्थ्य अधिकारों की है। यदि सवाल नहीं पूछे गए, तो अगली लापरवाही आपके दरवाजे भी दस्तक दे सकती है!
🖊️ संवाददाता – संतोष कुमार तरवे
वीडियो देखें :