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क्राइम

गढ़चिरौली में बड़ा नक्सल विरोधी ऑपरेशन: चार खूंखार माओवादी गिरफ्तार, एक C-60 कमांडो की हत्या में थे शामिल 🚔💣

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💡 महाराष्ट्र सरकार ने घोषित किया था ₹40 लाख का इनाम, गढ़चिरौली पुलिस और CRPF की संयुक्त कार्रवाई में मिली सफलता

📍स्थान: पाल्ली का जंगल, थाना तडगांव, उपविभाग भामरागढ़, जिला गढ़चिरौली

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🚨 गिरफ्त में आए नक्सली, एक थे दक्षिण गढ़चिरौली डिविजन के सचिव, दूसरी भामरागढ़ क्षेत्र समिति की प्रमुख

गढ़चिरौली जैसे संवेदनशील नक्सल प्रभावित जिले में, जहां वर्षों से देश विरोधी गतिविधियाँ चल रही हैं—सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, सुरक्षा बलों पर हमला, सरकारी कार्यों में बाधा डालना आम रहा है—वहीं आज एक बड़ी कामयाबी गढ़चिरौली पुलिस और सीआरपीएफ को मिली है।

संयुक्त माओवादी विरोधी अभियान के दौरान, पुलिस ने चार अत्यंत वांछित और खूंखार माओवादियों को गिरफ्तार किया है, जो 11 फरवरी 2025 को दिरांगी-फुलनार जंगल क्षेत्र में हुए मुठभेड़ में C-60 कमांडो की हत्या में शामिल थे।

🕵️‍♂️ कैसे हुआ ऑपरेशन?

19 अप्रैल को पुलिस थाना तडगांव और सीआरपीएफ की 09वीं बटालियन की एफ-कंपनी द्वारा पाल्ली के जंगल में सघन तलाशी अभियान चलाया गया। चार संदिग्धों को वहां घूमते पाया गया। उन्हें तत्काल हिरासत में लेकर पूछताछ के लिए उप पुलिस मुख्यालय प्राणहिता (अहेरी) लाया गया।

गहन पूछताछ में खुलासा हुआ कि ये चारों खूंखार माओवादी हैं और मुठभेड़ तथा अन्य हिंसक घटनाओं में शामिल रहे हैं।

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👤गिरफ्तार माओवादियों की पहचान और आपराधिक इतिहास:

1️⃣ सैलू भूमैया मुड्डेला उर्फ रघु उर्फ प्रताप उर्फ इरपा (55 वर्ष)

📍 मूल निवासी: लिंगापुर, निजामाबाद (तेलंगाना)
🔰 पद: सचिव, दक्षिण गढ़चिरौली डिविजन समिति
🔫 अपराध: 77 संगीन मामले – 34 मुठभेड़, 23 हत्याएं, 7 आगजनी, 13 अन्य
💰 इनाम: ₹20 लाख

👉 माओवादी संगठन में सफर:

  • 1990 में भर्ती से लेकर 2024 तक विभिन्न LOS और क्षेत्रीय समितियों में कार्यरत रहे।
  • प्लाटून 3, मदनवाड़ा LOS, सिरोंचा क्षेत्र समिति आदि के सचिव रह चुके हैं।
  • डंडकारण्य आदिवासी किसान मजदूर संगठन (DAKMS) की बैठकों का संचालन भी किया।

2️⃣ जैनी भीमा खरातम उर्फ अखिला उर्फ रमे (41 वर्ष)

📍 मूल निवासी: कंचाला, बीजापुर (छत्तीसगढ़)
🔰 पद: सचिव, भामरागढ़ क्षेत्र समिति
🔫 अपराध: 29 संगीन मामले – 18 मुठभेड़, 4 हत्याएं, 3 आगजनी, 4 अन्य
💰 इनाम: ₹16 लाख
💑 रघु की पत्नी

👉 संगठन में भूमिका:

  • 2001 से सक्रिय, भिन्न LOS में ACM से DVCM तक की जिम्मेदारियां निभाई।

3️⃣ जानसी डोगे तलांडी उर्फ गंगू (30 वर्ष)

📍 मूल निवासी: येचली, भामरागढ़
🔰 पद: सदस्य, भामरागढ़ LOS
🔫 अपराध: 14 मामले – 12 मुठभेड़, 1 हत्या
💰 इनाम: ₹2 लाख

👉 संगठन में सफर:

  • 2010 से कंपनी नं. 4, वेस्ट सब-जोनल सप्लाई टीम और अब भामरागढ़ LOS में कार्यरत।

4️⃣ मनीला पिडो गावडे उर्फ सरिता (21 वर्ष)

📍 मूल निवासी: कापेवनचा, अहेरी
🔰 पद: सदस्य, भामरागढ़ LOS
🔫 अपराध: 10 मामले – 4 मुठभेड़, 5 हत्याएं
💰 इनाम: ₹2 लाख

👉 भूमिका:

  • 2018 में भर्ती होकर अब तक संगठन में सक्रिय सदस्य के रूप में कार्यरत।

📜 दर्ज धाराएँ:

इन चारों के खिलाफ केस क्रमांक 01/2025 थाना कोठी में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 103, 109, 121(1), 132, 189(2), 190, 191(2), 61 समेत, आर्म्स एक्ट, विस्फोटक अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) की धाराएं और MPA की धारा 135 में केस दर्ज किया गया है।

ऑपरेशन में शामिल अधिकारी:

इस कार्रवाई को निम्न वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में अंजाम दिया गया:

  • श्री संदीप पाटिल (विशेष महानिरीक्षक, नक्सल विरोधी ऑपरेशन)
  • श्री अंकित गोयल (उपमहानिरीक्षक, गढ़चिरौली रेंज)
  • श्री नीलोत्पल (एसपी, गढ़चिरौली)
  • श्री शंभु कुमार (कमांडेंट, CRPF बटालियन 09)
  • श्री यतीश देशमुख, श्री एम. रमेश, श्री सत्य साई कार्तिक, श्री विशाल नगरगोजे, श्री अमर मोहिटे सहित कई पुलिस अधिकारी

📢 एसपी नीलोत्पल की अपील:

गढ़चिरौली पुलिस अधीक्षक श्री नीलोत्पल ने बताया कि “यह सफलता माओवादी गतिविधियों पर कड़ा प्रहार है। आने वाले दिनों में माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई और भी तेज की जाएगी। सभी सक्रिय माओवादी आत्मसमर्पण करें और सम्मानजनक जीवन जीएं।”

🌟 विशेष बिंदु (Special Points):

✅ चार खूंखार माओवादियों की गिरफ्तारी
✅ एक C-60 कमांडो की हत्या में संलिप्तता की पुष्टि
✅ कुल ₹40 लाख का इनामी ऑपरेशन
✅ माओवादी नेटवर्क की बड़ी चोटी पर प्रहार
✅ माओवादी हिंसा से त्रस्त क्षेत्र को राहत

📊 समिक्षात्मक निष्कर्ष:

गढ़चिरौली पुलिस और सीआरपीएफ की यह कार्रवाई न केवल रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि अब सुरक्षा बल माओवादियों के ऊपरी नेतृत्व तक पहुंच बना चुके हैं। माओवादी हिंसा से पीड़ित क्षेत्र में यह कार्रवाई एक मनोवैज्ञानिक जीत है। इस गिरफ्तारी से न केवल नेटवर्क कमजोर हुआ है, बल्कि अन्य माओवादी कैडर के लिए एक कड़ा संदेश भी गया है। माओवाद की जड़ें अब उखड़ने लगी हैं, बशर्ते यह संकल्प और सहयोग इसी तरह जारी रहे।

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