जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त के निर्देशानुसार ‘Ensuring Pulses Sufficiency in India by Capitalizing The Model Pulse Village Approach’ पर आयोजित हुई एक दिवसीय कार्यशाला।
जिले के दो गांव का Model pulses village के रूप में किया गया है चयन, धालभूमगढ़ प्रखंड का रौतारा ग्राम एवं चाकुलिया प्रखंड का मटियाबंदी ग्राम शामिल
उप विकास आयुक्त ने कार्यशाला में किसानों को किया संबोधित, बहुउपज, दलहन की खेती एवं समेकित कृषि प्रणाली पर दिया बल
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जमशेदपुर: जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त श्री अनन्य मित्तल के निर्देशानुसार समाहरणालय सभागार, जमशेदपुर में प्रधानमंती कृषि सिंचाई योजना – जलछाजन विकास अव्यय- 2.0 एवं झारखण्ड जलछाजन योजना के तहत एक दिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला आयोजित किया गया।
‘Ensuring Pulses Sufficiency in India by Capitalizing The Model Pulse Village Approach’ विषय पर आयोजित इस कार्यशाला का शुभांरभ उप विकास आयुक्त श्री मनीष कुमार द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। मौके पर डी.एफओओ सोशल फॉरेस्ट्री, आदित्यपुर डिविजन एवं सभी लाईन डिपार्टमेंट, वरीय विज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र, डीपीएम JSLPS उपस्थित थे।
जिले के जलछाजन क्षेत्र में दलहन खेती हेतु दो ग्राम का चयन किया गया है जिसमें धालभूमगढ़ प्रखंड का रौतारा ग्राम एवं चाकुलिया प्रखंड का मटियाबंदी ग्राम शामिल हैं। दलहन की खेती को बढ़ावा देने, वर्षा जल का संरक्षण कर भूजल में वृद्धि लाने, नई तकनीकों को अपनाकर जीविकोपार्जन पद्धति को बढावा देने पर कार्यशाला में चर्चा किया गया।
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कार्यशाला में जलछाजन प्रबंधन के बारे में विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला गया। उप विकास आयुक्त ने बताया कि जलछाजन योजना को जन – जन तक पहुंचाना है, ताकि वर्षा जल का उपयोग फसल उत्पादन के लिये सही ढंग से किया जा सके, इसके अलावा भूगर्भ जल स्तर में वृद्धि के साथ – साथ इस परियोजना में निवास करने वाले ग्रामीणों का सर्वांगीण विकास हो सके। उन्होने कहा कि जलछाजन जल को संरक्षित करने का एक तरीका है जिसके तहत बारिश के पानी को संचित करने के लिए तालाब, डोभा, टीसीबी आदि का निर्माण किया जाता है।
इस योजना से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, उन्हें सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर नहीं रहना होगा। उन्होने कार्यशाला में उपस्थित किसानों से अपील किया कि अपने खेतों में बहुउपज को बढ़ावा दें। तालाब की योजना का लाभ मिला है तो सिंचाई के अलावा उसमें मत्स्य पालन भी करें। गौ-पालन, कुक्कुट पालन, बत्तख पालन, मशरूम, फूल, ब्रोक्ली आदि मूल्यवर्धक सब्जी व अन्य उत्पाद की ओर कदम बढ़ायें।