झारखंड
📚 कोल्हान विश्वविद्यालय में सत्र नियमितीकरण की कोशिशें विफल, नए शैक्षणिक सत्र में 6 माह की देरी

🎓 सत्र 2024-28 के प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा फॉर्म प्रक्रिया अब जाकर शुरू, परीक्षाएं जून से पहले संभव नहीं
चाईबासा: कोल्हान विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र को नियमित करने की तमाम कोशिशों के बावजूद, अब तक कोई ठोस सफलता नहीं मिल सकी है। सत्र 2024-28 के नए स्नातक छात्रों का अध्ययन कार्य शुरुआत से ही छह महीने पीछे चल रहा है। सबसे चिंताजनक स्थिति यह है कि विश्वविद्यालय अब तक प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा भी आयोजित नहीं कर सका है।
🕒 6 महीने की देरी से शुरू हुई परीक्षा फॉर्म प्रक्रिया
विश्वविद्यालय परीक्षा विभाग के अनुसार, प्रथम सेमेस्टर के परीक्षा फॉर्म भरने की प्रक्रिया 20 अप्रैल 2025 से शुरू की गई है। जबकि विश्वविद्यालय के परीक्षा कैलेंडर के मुताबिक, यह प्रक्रिया नवंबर 2024 में पूरी हो जानी चाहिए थी और परीक्षा फरवरी 2025 में आयोजित की जानी थी।
इस तरह, न केवल परीक्षा कार्यक्रम, बल्कि पूरा शैक्षणिक सत्र ही 6 महीने लेट हो चुका है।
📌 अब जून से पहले नहीं होंगी परीक्षाएं
विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. ए. के. चौधरी ने बताया कि प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा को लेकर कार्यक्रम जल्द जारी किया जाएगा, लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए स्पष्ट है कि परीक्षाएं जून से पहले संभव नहीं हैं। परीक्षा तिथियों को लेकर भी विश्वविद्यालय की ओर से अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
🧑🎓 छात्रों में बढ़ रही है चिंता
इस देरी से छात्रों में भारी निराशा और असमंजस की स्थिति बन गई है। कई छात्रों ने बताया कि जब विश्वविद्यालय ही अपना कैलेंडर नहीं मान पा रहा है, तो उनकी शैक्षणिक और रोजगार योजनाएं बाधित हो रही हैं। उन्हें यह चिंता सताने लगी है कि क्या उनका स्नातक पाठ्यक्रम भी समय पर पूरा हो पाएगा या नहीं।
👩💼 कुलपति की प्राथमिकता के बावजूद कोई बदलाव नहीं
हाल ही में कोल्हान विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अंजिला गुप्ता ने पदभार ग्रहण करते हुए यह घोषणा की थी कि उनकी प्राथमिकता सत्र को नियमित करना है। लेकिन इस दिशा में अब तक कोई ठोस परिणाम नजर नहीं आ रहे हैं।
सत्र 2024-28, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) के तहत चार वर्षीय पाठ्यक्रम में छात्रों के लिए प्रारंभ हुआ था, पहले से ही शैक्षणिक अव्यवस्था की चपेट में आ गया है।
📢 निष्कर्ष
कोल्हान विश्वविद्यालय का यह हाल दर्शाता है कि प्रशासनिक असमर्थता और संसाधनों की कमी के चलते छात्र सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। सत्र 2024-28 की शुरुआत से ही 6 महीने की देरी से न केवल छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, बल्कि यह विश्वविद्यालय की शैक्षणिक साख पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा कर रहा है।
अब देखना होगा कि परीक्षा विभाग जून से पहले परीक्षा आयोजित कर पाता है या नहीं, और क्या विश्वविद्यालय अपने कैलेंडर को आगामी सेमेस्टरों में पटरी पर ला सकेगा।