New Delhi : सोमवार 2 अगस्त, 2021
आज से भारत में भी डिजिटल करेंसी की शुरुवात हो गई है। फिलहाल यह अभी टोकन के तौर पर है इस्तेमाल किया जा सकेगा। जानिए आज के इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने क्या कहा? उनके शब्दों में जिसे PIB इंडिया ने रचा है।
आज देश, डिजिटल गवर्नेंस को एक नया आयाम दे रहा है। e-RUPI वाउचर, देश में Digital Transaction को, DBT को और प्रभावी बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है। इससे Targeted, Transparent और Leakage Free Delivery में सभी को बड़ी मदद मिलेगी। 21वीं सदी का भारत, आज कैसे आधुनिक टेक्नोलॉजी की मदद से आगे बढ़ रहा है, टेक्नोलॉजी को लोगों के जीवन से जोड़ रहा है, e-RUPI उसका भी एक प्रतीक है। और मुझे खुशी है कि ये शुरुआत, उस समय हो रही है, जब देश आजादी के 75 वर्ष पर अमृत महोत्सव मना रहा है। और ऐसे समय में देश ने Futuristic Reform का एक और अहम कदम बढ़ाया है।
मान लीजिए, कोई ऑर्गनाइजेशन, सेवा भाव से, सरकार, भारत सरकार के द्वारा जो मुफ्त वैक्सीन दे जा रही है उसका लाभ लेना नहीं चाहता है, लेकिन जो प्राइवेट अस्पतालों में जहां कुछ कीमत दे करके वैक्सीन चल रही है, उसमें भेजना चाहता है। अगर वो 100 गरीबों को वैक्सीन लगवाने की उसकी इच्छा है तो वो उन 100 गरीबों को e-RUPI वाउचर दे सकता है। e-RUPI वाउचर ये सुनिश्चित करेगा कि उसका इस्तेमाल वैक्सीन लगवाने में ही हो, किसी औऱ काम में नहीं। समय के साथ इसमें और भी चीजें जुड़ती चली जाएंगी। जैसे कोई किसी के इलाज पर खर्च करना चाहता है, कोई टीबी के मरीज को सही दवाओं और भोजन के लिए आर्थिक मदद देना चाहता है, या फिर बच्चों को, गर्भवती महिलाओं को भोजन और पोषण से जुड़ी दूसरी सुविधाएं पहुंचाना चाहता है, तो e-RUPI उनके लिए बहुत मददगार साबित होगा। यानि e-RUPI, एक तरह से Person के साथ-साथ Purpose Specific भी है।
जिस मकसद से कोई मदद या कोई बेनिफिट दिया जा रहा है, वो उसी के लिए प्रयोग होगा, ये e-RUPI सुनिश्चित करने वाला है। कोई अब अगर चाहेगा कि वो वृद्धाश्रम में 20 नए बेड लगवाना चाहता है, तो e-RUPI वाउचर उसकी मदद करेगा।
कोई किसी क्षेत्र में 50 गरीबों के लिए भोजन की व्यवस्था करना चाहता है, तो e-RUPI वाउचर उसकी मदद करेगा। अगर कोई गौशाला में चारे की व्यवस्था करना चाहता है, तो e-RUPI वाउचर उसकी भी मदद करेगा।
इसे अब अगर राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में देखें तो, अगर सरकार द्वारा किताबों के लिए पैसा भेजा गया है, तो e-RUPI ये सुनिश्चित करेगा कि किताबें ही खरीदी जाएं। अगर यूनिफॉर्म के लिए पैसा भेजा है, तो उससे यूनिफॉर्म ही खरीदी जाए।
अगर सब्सिडाइज्ड खाद के लिए मदद दी है, तो वो खाद खरीदने के ही काम आए। गर्भवती महिलाओं के लिए दिए गए कैश से सिर्फ पोषक आहार ही खरीदा जा सके। यानि पैसा देने के बाद, हम उसका जो इस्तेमाल चाहते हैं, e-RUPI वाउचर उसे सिद्ध करेगा।
आज देश की सोच अलग है, नई है। आज हम technology को गरीबों की मदद के, उनकी प्रगति के एक टूल के रूप में देख रहे हैं। आज दुनिया देख रही है-कैसे भारत में technology पारदर्शिता और ईमानदारी ला रही है! कैसे technology नए अवसरों को पैदा करने में, उन्हें गरीबों को सुलभ बनाने का काम कर रही है। और कैसे technology सरकार और लालफीता-शाही पर सामान्य मानवी की निर्भरता को कम कर रही है।
आप आज के ही unique product को देखिए, आज हम यहाँ तक इसलिए पहुंचे हैं क्योंकि देश ने जनधन खातों को खोलने, उन्हें मोबाइल और आधार से जोड़ने, और JAM जैसी व्यवस्था के लिए वर्षों मेहनत की है। जब JAM को शुरू किया गया था तब बहुत से लोग इसके महत्व को नहीं समझ पा रहे थे। लेकिन इसकी अहमियत को हमने लॉकडाउन के समय देखा। जब दुनिया के बड़े बड़े देश परेशान थे कि लॉकडाउन में कैसे अपने गरीबों की मदद करें। लेकिन भारत के पास एक पूरी व्यवस्था तैयार थी। दूसरे देश अपने यहां के पोस्ट ऑफिस और बैंक खुलवा रहे थे तो वहीं भारत, महिलाओं के बैंक खातों में सीधे आर्थिक मदद भेज रहा था।
भारत में अब तक Direct benefit transfer के जरिए करीब साढ़े सत्रह लाख करोड़ रुपए सीधे लाभार्थियों के खातों में भेजे जा चुके हैं। आज केंद्र सरकार 3 सौ से ज्यादा योजनाओं का लाभ डीबीटी के माध्यम से लोगों तक पहुंचा रही है। लगभग 90 करोड़ देशवासियों को इसके तहत किसी ना किसी रूप में लाभ हो रहा है। राशन हो, एलपीजी गैस हो, इलाज हो, स्कॉलरशिप हो, पेंशन हो, मज़दूरी हो, घर बनाने के लिए मदद हो, ऐसे अनेक लाभ डीबीटी से मिल रहे हैं। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 1 लाख 35 हज़ार करोड़ रुपए सीधे किसानों के बैंक अकाउंट में पहुंचाए गए हैं। इस बार तो किसानों से जो गेहूं की सरकारी खरीद हुई है, उसका लगभग 85 हज़ार करोड़ रुपए सीधा किसानों के बैंक खातों में ही ट्रांसफर किया गया है। इन सारे प्रयोगों का बहुत बड़ा लाभ ये हुआ है कि देश के क़रीब क़रीब पौने दो लाख करोड़ रुपए से अधिक, गलत हाथों में जाने से बचे हैं।
क्या 8-10 साल पहले किसी ने सोचा था कि दूर-सुदूर गांव में बैठा कोई हस्तशिल्पी, अपने प्रॉडक्ट दिल्ली के किसी सरकारी दफ्तर में सीधे बेच पाएगा? आज GeM यानि गवर्नमेंट ई मार्केट प्लेस पोर्टल से ये मुमकिन है।
क्या 8-10 साल पहले किसी ने सोचा था कि हमारे certificates, documents हर समय digitally हमारी जेब में होंगे, और हर जगह एक क्लिक पर इस्तेमाल हो पाएंगे? आज ये Digi-locker से मुमकिन है।
क्या 8-10 साल पहले किसी ने सोचा था कि भारत में MSME सेक्टर के उद्यमियों को सिर्फ 59 मिनट में लोन approve हो पाएगा। आज भारत में ये भी मुमकिन है। और इसी तरह, 8-10 साल पहले क्या आपने सोचा था कि आप किसी काम के लिए एक डिजिटल वाउचर भेजेंगे, और काम हो जाएगा? आज ये भी e-Rupi के जरिए मुमकिन हो चुका है।
मैं ऐसे कितने ही उदाहरण आपको गिना सकता हूं। इस महामारी के दौरान भी देश ने तकनीक की ताकत को महसूस किया है। आरोग्य सेतु ऐप का उदाहरण भी हमारे सामने है। आज ये ऐप सबसे ज्यादा downloaded apps में से एक है। इसी तरह कोविन पोर्टल भी आज हमारे वैक्सीनेशन प्रोग्राम में, वैक्सीनेशन सेंटर के चयन में, रजिस्ट्रेशन में, वैक्सीन certificate प्राप्त करने में देशवासियों की बड़ी मदद कर रहा है।
पुरानी व्यवस्था चल रही होती तो वैक्सीनेशन लगवाने के बाद सर्टिफिकेट के लिए दौड़ना पड़ रहा होता। दुनिया के कई बड़े देशों में भी आज पेपर पर हाथ से लिखकर सर्टिफिकेट दिये जा रहे हैं। लेकिन भारत के लोग एक क्लिक में डिजिटल सर्टिफिकेट डाउनलोड कर रहे हैं। इसीलिए, आज भारत का कोविन सिस्टम, दुनिया के कई देशों को आकर्षित कर रहा है। भारत इसे दुनिया के साथ साझा भी कर रहा है।
वहीं भारत का RuPay कार्ड भी देश का गौरव बढ़ा रहा है। सिंगापुर-भूटान में भी इसे लॉन्च किया जा चुका है। आज देश में 66 करोड़ RuPay कार्ड हैं और देश में हजारों करोड़ रुपए का Transaction RuPay कार्ड से भी हो रहा है। इस कार्ड ने गरीब को भी सशक्त किया है। उसे इस भावना से भरा है कि वो भी अपने पास डेबिट कार्ड रख सकता है, उसका इस्तेमाल कर सकता है।
पीएम स्वनिधि में ये व्यवस्था की गई है कि 10 हजार रुपए का पहला लोन चुकाने पर 20 हजार का दूसरा लोन और दूसरा लोन चुकाने पर 50 हजार का तीसरा लोन रेहड़ी-पटरी वाले साथियों को दिया जाएगा। आपको जानकर खुशी होगी कि आज सैकड़ों रेहड़ी-पटरी और ठेले वाले भाई-बहन अब तीसरा लोन प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
सोर्स : PIB India
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