BOLD परियोजना से बनेंगे बोल्ड – राजस्थानी आदिवासी।

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BOLD : Bamboo Oasis on Lands in Drought (सूखे भू-क्षेत्र पर बांस मरु-उद्यान) भारत सरकार की नई परियोजना बोल्ड (BOLD) जिससे राजस्थान क्षेत्र के मरुभूमि में रह रहे जनजातियों की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलने की एक अनूठी पहल है। 

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) ने मरुस्थलीकरण को कम करने और वहां के लोगों को  आजीविका प्रदान करने के लिए एक बहुउद्देश्यीय ग्रामीण उद्योग सहायता आरम्भ किया है।

यह परियोजना राजस्थान के उदयपुर जिले के निकलमांडावा के आदिवासी गांव में शुरू की जाने वाली है। आपको बता दें कि भारत देश में अपनी तरह की यह पहली परियोजना है। 

इस परियोजना के तहत विशेष रूप से असम से लाए गए बांस के 5000 पौधों को मरुभूमि पर लगाया जाएगा। बांस की प्रजातियों में बंबुसा टुल्डा और बंबुसा पॉलीमोर्फा को लाया गया है जो निकलमांडावा पंचायत के 25 बीघा (लगभग 16 एकड़) खाली पड़े जमीन पर लगाया गया है। और आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह पहल एक ही स्थान पर एक ही दिन में सर्वाधिक संख्या में बांस के पौधे लगाने का विश्व रिकॉर्ड बन चुका है। 

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क्या आप जानते हैं बोल्ड (BOLD) परियोजना क्या है?

भारत देश में भूमि अपरदन को कम करने और मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा यह एक पहल है। जो शुष्क या अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में बांस के द्वारा हरियाली बनाने का प्रयास करती है।

बोल्ड (BOLD) परियोजना खादी ग्रामोद्योग आयोग द्वारा देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित खादी बांस महोत्सव का एक हिस्सा है। खादी ग्रामोद्योग प्राधिकरण वर्ष 2021 के अगस्त तक गुजरात के अहमदाबाद जिले के धोलेरा गांव और लेह-लद्दाख में भी इस प्रकार की परियोजना को आरम्भ करने वाला है और 21 अगस्त से पहले कुल 15,000 बांस के पौधे लगाए जाएंगे।

बोल्ड परियोजना के लिए बांस का ही चयन क्यों किया गया?

जैसा कि हम सभी जानते हैं बांस बहुत ही तेजी से बढ़ते हैं और लगभग तीन साल की अवधि में ही उनको काट कर उपयोग में लाया जा सकता है। बांस कम पानी में भी आसानी से जीवित रहते हैं। बांस पानी का संरक्षण और भूमि की सतह से पानी के वाष्पीकरण को भी कम करता हैं। बांस का यह विशेष गुण शुष्क और सूखाग्रस्त क्षेत्रों में महत्वपूर्ण विशेषता रखता है।

खादी ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष श्री विनय कुमार सक्सेना ने बताया कि – “इन तीन स्थानों पर बांस उगाने से देश की भूमि क्षरण दर को कम करने में मदद मिलेगी, साथ ही सतत विकास और खाद्य सुरक्षा भी मिलेगी।”

वहीं सांसद श्री अर्जुन लाल मीणा ने कहा कि – “उदयपुर में बांस पौधारोपण कार्यक्रम से इस क्षेत्र में स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा। और इस तरह की परियोजनाओं से क्षेत्र में बड़ी संख्या में महिलाओं और बेरोजगार युवाओं को कौशल विकास कार्यक्रमों से जोड़कर लाभ होगा।”

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