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रांची पुलिस की बड़ी कार्रवाई: बुजुर्ग के खाते से ₹3.26 लाख की साइबर ठगी करने वाले दो आरोपी चाईबासा से गिरफ्तार, ₹2.57 लाख नकद बरामद

📍रांची/चाईबासा: रांची पुलिस ने साइबर ठगी के एक बड़े मामले का खुलासा करते हुए झारखंड के चाईबासा से दो शातिर साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने एक 81 वर्षीय बुजुर्ग के बैंक खातों से ₹3,26,278 की अवैध निकासी कर ली थी। पुलिस ने ₹2,57,200 नकद और ठगी में इस्तेमाल किया गया मोबाइल फोन भी बरामद कर लिया है।
🕵️♂️ क्या है पूरा मामला?
रांची के धुर्वा थाना क्षेत्र निवासी 81 वर्षीय चुंडा पूर्ति के बैंक खातों से 5 अप्रैल से 11 अप्रैल के बीच अवैध तरीके से ₹3,26,278 की निकासी कर ली गई थी। पीड़ित बुजुर्ग ने पुलिस को बताया कि वह अपने गांव कुचीबेडा, पश्चिमी सिंहभूम स्थित एक ग्राहक सेवा केंद्र (CSP) से बैंकिंग कार्य करते थे।
जांच में सामने आया कि CSP केंद्र के संचालक प्रशांत खिलार और उसके भाई रुपेश खिलार ने ही इस ठगी को अंजाम दिया। दोनों ने पहले बुजुर्ग के ATM कार्ड का फोटो लिया, फिर बैंक में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर को दूसरे नाम पर पोर्ट करा लिया और उसके बाद उसी सिम से पीड़ित का UPI खाता बना लिया। इसके माध्यम से पूरी राशि ट्रांसफर कर ली गई।
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🔍 कैसे हुई गिरफ्तारी?
रांची के डीआईजी सह एसएसपी चन्दन कुमार सिन्हा के निर्देश पर साइबर डीएसपी के नेतृत्व में एक विशेष छापेमारी दल गठित किया गया। तकनीकी साक्ष्य के आधार पर टीम ने दोनों अभियुक्तों को पश्चिमी सिंहभूम के नोवामुंडी थाना क्षेत्र अंतर्गत उड़िया टोला, ग्राम कोटगढ़ से गिरफ्तार कर लिया।
📦 बरामद सामान:
- ₹2,57,200 नकद
- घटना में उपयोग किया गया मोबाइल फोन
🧾 आरोपियों का विवरण:
- प्रशांत खिलार, पिता – बागुन खिलार
- रुपेश खिलार, पिता – बागुन खिलार
पता: उड़िया टोला, ग्राम कोटगढ़, थाना नोवामुंडी, जिला पश्चिम सिंहभूम
🚔 पुलिस का बयान:
गिरफ्तार दोनों आरोपियों ने पूछताछ में अपराध स्वीकार कर लिया है। शेष राशि को आरोपियों ने अपने जान-पहचान वालों और CSP ग्राहकों के खातों में ट्रांसफर किया है, जिसकी जांच और रिकवरी प्रक्रिया जारी है।
📣 महत्वपूर्ण संदेश:
रांची पुलिस ने आम नागरिकों से अपील की है कि अपने बैंक से जुड़े दस्तावेज, एटीएम कार्ड और मोबाइल नंबर की गोपनीयता बनाए रखें और किसी के भी कहने पर OTP या बैंक संबंधी जानकारी साझा न करें।
👉 रांची पुलिस की इस कार्रवाई से साइबर अपराधियों को सख्त संदेश गया है कि डिजिटल अपराध करने वालों की कोई जगह नहीं है।