मांझी परगना महासम्मेलन में बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ हुंकार। बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ आंदोलन करेगा आदिवासी समाज ।
पाकुड़। संथाल परगना में लगातार हो रही बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर आदिवासी समाज गंभीर है। इसी मुद्दे पर आज समाज द्वारा पाकुड़ जिले के हिरणपुर प्रखंड अंर्तगत डांगापाड़ा फुटबॉल मैदान में मांझी परगना महासम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें झारखंड के पूर्व सीएम चम्पाई सोरेन शामिल हुए।
पिछले दो दिनों से लगातार हो रही तेज बारिश के बावजूद हजारों की संख्या में जुटे आदिवासी समाज के पारंपरिक ग्राम प्रधानों तथा मार्गदर्शकों ने खुल कर स्वीकार किया कि घुसपैठ के कारण आदिवासी समाज का अस्तित्व संकट में है तथा घुसपैठिए हमारी जमीनों को हड़प रहे हैं, और उनकी वजह से समाज की बहन- बेटियों की अस्मत खतरे में है।
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इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने बाबा तिलका मांझी, वीर सिदो-कान्हू, चांद-भैरव एवं फूलो-झानो को नमन करते हुए बताया कि हमारे आदिवासी समाज ने जल-जंगल-जमीन तथा भाषा-संस्कृति एवं अस्तित्व की लड़ाई में कभी आत्म सम्मान से समझौता नहीं किया। हम उस समाज से आते हैं, जिसने अंग्रेजों के खिलाफ पहला विद्रोह किया।
उन्होंने कहा कि आज पाकुड़ में आदिवासी समाज अल्पसंख्यक हो चुका है, जबकि कुछ राजनीतिक दल वोट बैंक के लिए इस मुद्दे को नकार रहे हैं। उन्होनें बताया कि इस क्षेत्र में संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम लागू है तथा आदिवासी परंपरा के अनुसार बेटियों को पैतृक सम्पत्ति में कोई अधिकार नहीं मिलता, फिर ये लोग कैसे जमीनें लूट रहे हैं? इस दिशा में जांच करने की जरूरत है।
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उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के कई गांवों में अब आदिवासी परिवार विलुप्त हो चुके हैं। भोले-भाले आदिवासियों से जमीन हड़पने एवं बेटियों को फंसा कर, उनके सहारे जमाई टोला में बसने तथा उनके जरिए आरक्षित पदों पर कब्जा करने के मामले अब आम हो चुके हैं। बारिश के बावजूद हजारों की संख्या में जुटी भीड़ इस बात का प्रमाण है कि संथाल समाज अब इसे बर्दास्त नहीं करेगा। इसलिए आज, यहीं से हमें वीर शहीदों से प्रेरणा लेकर एक सामाजिक जन-आंदोलन शुरू करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि संथाल परगना की सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए हम एक बार फिर लड़ाई लड़ेंगे। समाज की संस्कृति, सभ्यता की पहचान बनाए रखने के लिए हम सबको एकजुट होकर आदिवासी, मूलवासी को अपनी जमीन के साथ-साथ अपनी अस्मिता को भी बचाना जरूरी है।
आदिवासी संस्कृति और सभ्यता को बचाने के लिए आंदोलन करना होगा: लोबिन
बोरियो के पूर्व विधायक लोबिन हेंब्रम ने महासम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आज हमारी जमीन मनमाने भाव में खरीद कर हमारी संस्कृति को उजाड़ा जा रहा है। जब हमारा जमीन नहीं बचेगा, हमारी संस्कृति और सभ्यता भी नहीं बचेगी, तो हमारा अस्तित्व खत्म हो जाएगा। ऐसी स्थिति में हमें समाज को संगठित कर एक सामाजिक लड़ाई लड़ने की जरूरत है। एसपीटी एक्ट के प्रावधानों को कड़ाई से पालन कराना होगा तभी हमारा जल, जंगल और जमीन बचेगा।
वोट बैंक के लिए बांग्लादेशी घुसपैठ को संरक्षण दे रही है हेमंत सरकार : सीता सोरेन
जामा की पूर्व विधायक रही सीता सोरेन ने अपने संबोधन में कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ को संरक्षण देकर अपना वोट बैंक बना रही है। यहां बड़ी-बड़ी कंपनी खोली जा रही है लेकिन रोजगार यहां के लोगों को नहीं मिल रहा है। साढ़े चार साल की हेमंत की सरकार में सिर्फ दलालों का ही विकास हुआ है। उन्होंने कहा कि यहां के आदिवासियों एवं मूलवासियों के संरक्षण हेतु गंभीरता से प्रयास करने की जरूरत है।
इस महासम्मेलन का संचालन निर्मल टुडू ने किया जबकि इसे दुर्गा मरांडी, बाबूधन मुर्मू, प्रोफेसर निर्मल मुर्मू, श्याम दे हेंब्रम, विकास गौड़ एवं गमलियम हेंब्रम ने भी संबोधित किया।