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झारखंड

Important information for your 2 year old child: 🎯 2 साल के बच्चों में संतुलित आहार, भोजन समय और उदर रोगों से बचाव के उपाय

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Is your child 2 years old?

Special for Children: 2 वर्ष के बच्चे की पोषण ज़रूरतें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं, क्योंकि यही उम्र शारीरिक और मानसिक विकास की नींव डालती है। इस उम्र में बच्चे को दिनभर में 5 से 6 बार खाना देना चाहिए—तीन मुख्य भोजन और दो से तीन हल्के नाश्ते के रूप में। नीचे एक दिनचर्या दी जा रही है:

भोजन का समय और मात्रा (2 साल के बच्चे के लिए):

समय भोजन मात्रा (औसतन)
सुबह (7-8 बजे) दूध (बिना बोतल के), 1-2 बिस्कुट या केला 150-200 ml दूध, 1 छोटा केला या 1-2 बिस्कुट
नाश्ता (9-10 बजे) उपमा, खिचड़ी, इडली, पोहा, अंडा, पराठा ½ से 1 कटोरी (150-200ml)
दोपहर का खाना (12-1 बजे) दाल-चावल, रोटी-सब्जी, दही, अंडा/पनीर 1 रोटी + ½ कटोरी दाल/सब्जी + 2-3 चम्मच दही
शाम का नाश्ता (4-5 बजे) फल, दूध, सूखा मेवा, चिड़वा, बिस्किट 1 छोटा फल या 1 मुट्ठी ड्राई फ्रूट्स
रात का खाना (7-8 बजे) वही जैसे दोपहर में, हल्का खाना थोड़ा कम मात्रा में: ½ रोटी + ½ कटोरी दाल/चावल
सोने से पहले (जरूरत हो तो) दूध 100-150 ml

महत्वपूर्ण बातें:

  • दूध: दिनभर में 400–500 ml से ज़्यादा न दें। इससे बच्चे का पेट दूध से भर जाएगा और वह ठोस खाना नहीं खाएगा।

  • फल-सब्जियाँ: रोज 1-2 बार ज़रूर दें। जैसे केला, पपीता, सेब, गाजर, टमाटर।

  • प्रोटीन: अंडा, दालें, पनीर, सोया, दही आदि दें ताकि मांसपेशियाँ मजबूत बनें।

  • घी/तेल: हल्का मात्रा में ज़रूरी है, 1-2 चम्मच पूरे दिन में।

  • चीनी और नमक: कम मात्रा में दें, बच्चों के लिए ज़्यादा हानिकारक हो सकते हैं।

  • पानी: दिनभर में 4-5 गिलास (छोटे) ज़रूर दें।

स्वस्थ रहने के लिए सुझाव:

  • बच्चे को जबरदस्ती खाना न खिलाएँ।

  • नया खाना धीरे-धीरे परिचित कराएँ।

  • रंग-बिरंगे और आकर्षक तरीके से परोसें।

  • रोज़ाना कुछ समय खुले में खेलने दें—शारीरिक विकास के लिए ज़रूरी है।

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2 वर्ष के बच्चे के लिए एक सप्ताह का भोजन चार्ट जो शरीर को मज़बूत और बच्चा को स्वस्थ रखने में मदद करेगा:

2 वर्षीय बच्चे का सप्ताहिक भोजन चार्ट (7 दिन का)

दिन सुबह का नाश्ता मध्य सुबह फल/नाश्ता दोपहर का भोजन शाम का नाश्ता रात का खाना
सोमवार दूध + 1 केला सेब या पपीता के टुकड़े दाल-चावल + गाजर की सब्जी + दही दूध + 1 मारी बिस्किट रोटी + लौकी की सब्जी + पनीर
मंगलवार उपमा + दूध अंगूर या संतरा रोटी + आलू-पालक + मूँग दाल उबला अंडा या ड्राय फ्रूट्स खिचड़ी + घी + दही
बुधवार पोहा + थोड़ी मूँगफली केला + चीकू रोटी + भिंडी + दाल ½ कप मिल्क शेक चावल + पनीर-मटर की सब्जी
गुरुवार इडली + नारियल चटनी + दूध सेब के टुकड़े खिचड़ी + दही + गाजर सूखा चिड़वा या मूठी मिक्स नमकीन रोटी + लौकी दाल
शुक्रवार आलू पराठा + दही केला या पपीता चावल + तुअर दाल + टमाटर की सब्जी दूध + मखाना भुना हुआ खिचड़ी + पनीर या अंडा करी
शनिवार रवा हलवा + दूध मौसमी फल रोटी + मिक्स वेज सब्जी + दही फ्रूट सैलेड दलिया + दूध
रविवार ब्रेड-उबला अंडा + दूध अंगूर या आम पुलाव + पनीर/सोया + दही फ्रूट शेक या उबला मक्का हल्का दलिया या खिचड़ी

विशेष सुझाव:

  • बच्चा यदि कुछ नहीं खाना चाहता, तो दबाव न डालें—दूसरा विकल्प दें।

  • घर का बना ताजा खाना ही दें।

  • हर दिन एक नया रंग या स्वाद देना सीखने में मदद करता है।

  • बच्चा खुद खाने की कोशिश करे, यह आदत भी बनवाएँ।

अधिक भोजन देने और जल्दी जल्दी भोजन देने से बच्चे के शारीरिक विकास में क्या प्रभाव डालेंगे। इस उम्र में कौन से रोग होने की संभावना है। उदर रोग से बचाव कैसे करें।

2 वर्ष की उम्र शारीरिक, मानसिक और पाचन तंत्र के विकास की नाजुक अवस्था होती है। आइए इसे तीन भागों में विस्तार से समझते हैं:

1. अधिक भोजन देने या बार-बार भोजन देने के प्रभाव

नुकसान:

  • पाचन तंत्र पर दबाव: इस उम्र में पाचन क्षमता सीमित होती है। बार-बार या अधिक खाने से अपच, गैस, दस्त हो सकते हैं।

  • भूख की प्राकृतिक प्रक्रिया बाधित होती है: बच्चा भूख और तृप्ति महसूस करना सीखता है। बार-बार खाना देने से उसकी भूख पहचानने की क्षमता कम हो सकती है।

  • मोटापा और आलस्य: अधिक कैलोरी से बच्चा मोटा हो सकता है, जिससे आगे चलकर डायबिटीज़ व हृदय रोग की संभावना बढ़ती है।

  • खाने से चिढ़: जबरदस्ती या ज़रूरत से ज़्यादा खिलाने पर बच्चा खाने से उबने लगता है, और पसंद के अनुसार खाने लगता है जिससे पोषण में असंतुलन होता है।

2. इस उम्र में होने वाले सामान्य रोग

रोग कारण लक्षण
दस्त (Diarrhea) संक्रमित खाना-पानी, हाथ न धोना पतला मल, कमजोरी, पानी की कमी
कब्ज (Constipation) रेशा/फाइबर की कमी, कम पानी कठोर मल, पेट दर्द, भूख न लगना
उदरशूल (Colic/Gas) अधिक खाने, गलत समय खाने पेट में दर्द, रोना, पेट फूलना
सर्दी-जुकाम कमजोर इम्युनिटी नाक बहना, खांसी, बुखार
एनीमिया (खून की कमी) आयरन की कमी थकान, सुस्ती, पीली त्वचा
कुपोषण (Malnutrition) असंतुलित आहार वजन न बढ़ना, हड्डियों में कमजोरी

3. उदर रोग (पेट से जुड़ी समस्याओं) से बचाव के उपाय

खान-पान से संबंधित सावधानियाँ:

  • साफ़-सुथरा और घर का बना खाना दें – बाजार के चटपटे या खुले खाने से बचें।

  • दूध या पानी उबालकर दें – दूषित तरल सबसे बड़ा कारण होता है दस्त का।

  • अधिक तला-भुना, मसालेदार और मीठा न दें – बच्चों का जठराग्नि कमजोर होता है।

  • हर भोजन में थोड़ा घी या हल्का तेल ज़रूर हो – इससे मल सॉफ्ट रहता है।

  • फल और सब्जियाँ धोकर दें – कच्ची चीज़ें संक्रमण का कारण बनती हैं।

अन्य आदतें:

  • खाने से पहले और बाद में हाथ धोना सिखाएँ।

  • बच्चे को अधिक देर तक भूखा या बहुत जल्दी-जल्दी न खिलाएँ।

  • हर दिन 30 मिनट खेल और शारीरिक गतिविधि ज़रूरी है – पाचन सुधरता है।

  • रात को हल्का और जल्दी खाना दें – देर रात खाने से पेट फूलने की समस्या होती है।

निष्कर्ष:

2 साल के बच्चे को न तो ज़रूरत से ज़्यादा खिलाना चाहिए और न ही बार-बार, बल्कि उसकी भूख, गतिविधि और दिनचर्या को ध्यान में रखकर संतुलित आहार देना चाहिए। साफ-सफाई, पौष्टिक आहार और उचित समय का भोजन पेट और पूरे शरीर को स्वस्थ रखता है।

अगर आप चाहें तो मैं “2 साल के बच्चों के लिए पोषण से जुड़ी सावधानियों की एक पोस्टर या चार्ट” भी बना सकता हूँ। क्या आपको उसकी ज़रूरत है?

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