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🔧 बी. जे. पादशाह: टाटा साम्राज्य की औद्योगिक सोच के पहले शिल्पकार

🎉 जन्म जयंती विशेष | 7 मई 1864 – 20 जून 1941
📰 जमशेदपुर, 7 मई 2025: आज के दिन भारत के औद्योगिक इतिहास के एक महान नायक, बुर्जोर्जी जमास्पजी पादशाह को याद किया जाना बेहद जरूरी है। वे न केवल टाटा साम्राज्य के निर्माता जमशेतजी टाटा के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक थे, बल्कि उन्होंने भारत के भविष्य को औद्योगिक, वैज्ञानिक और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई।
नवसारी से बॉम्बे, और शिक्षा से सेवा तक
📍 पादशाह का जन्म 7 मई 1864 को बॉम्बे (अब मुंबई) में हुआ। उनका परिवार नवसारी से था और घोड़ा व्यापार 🐎 जैसे परंपरागत व्यवसाय में संलग्न था। बचपन से ही जमशेतजी टाटा के संरक्षण में पले-बढ़े, जो आगे चलकर एक साझा सपने में बदल गया।
🎓 अत्यंत मेधावी छात्र रहे पादशाह ने बॉम्बे विश्वविद्यालय से B.A. किया और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से गणित का अध्ययन किया। वे सिंध आर्ट्स कॉलेज के उप-प्राचार्य और बॉम्बे विश्वविद्यालय के पहले भारतीय अंग्रेज़ी परीक्षक बने।
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टाटा समूह में प्रवेश और ऐतिहासिक भूमिका
1894 में टाटा समूह से जुड़ने के बाद उन्होंने इंडियन होटल्स कंपनी की स्थापना में बड़ी भूमिका निभाई, जिससे बना भव्य ताज महल होटल भारतीय अतिथ्य उद्योग का प्रतीक।
🏦 उन्होंने भारतीयों द्वारा संचालित बैंक की कल्पना की और 1905 में बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना हुई — आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम।
🧪 विज्ञान, ऊर्जा ⚡ और इस्पात 🔩 की बुनियाद
पादशाह का नाम भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलुरु (IISc) 🧬 की स्थापना से भी जुड़ा है, जिसे 1911 में साकार किया गया।
💡 उन्होंने टाटा हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट (1910) में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे भारत की ऊर्जा जरूरतों को नई दिशा मिली।
भारतीय इस्पात उद्योग के अग्रदूत
भारत के इस्पात उद्योग को आकार देने में पादशाह की भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता। उनकी तकनीकी दृष्टि और योजना से टाटा स्टील, जमशेदपुर जैसे औद्योगिक नगरों की नींव रखी गई।
🕯️ निधन और अमर विरासत
20 जून 1941 को उनका निधन हो गया। लेकिन आज भी भारत की औद्योगिक सोच और संस्थाओं में उनका योगदान जीवित है।
आज, जब देश “मेक इन इंडिया”, आत्मनिर्भर भारत और विज्ञान आधारित विकास की ओर बढ़ रहा है, तो बी. जे. पादशाह जैसे पुरोधाओं को स्मरण करना एक प्रेरणा बन जाता है।
📚 श्रद्धांजलि बी. जे. पादशाह को – भारत के औद्योगिक युग के एक मौन महानायक।