झारखंड
पारुलिया गांव में चला जागरूकता का अभियान: अंधविश्वास और डायन प्रथा के खिलाफ पुलिस की पहल

👮♂️ ग्रामीण पुलिस अधीक्षक की अगुवाई में हुआ जनजागरूकता कार्यक्रम
✅ स्थानीय पुलिस पदाधिकारी और ग्रामीणों की सहभागिता
✅ अंधविश्वास, डायन प्रथा जैसी कुप्रथाओं पर करारा प्रहार
मुसाबनी (झारखंड)। मुसाबनी थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पारुलिया में शनिवार को पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) की अगुवाई में एक विशेष जनजागरूकता अभियान चलाया गया। इस अभियान का उद्देश्य ग्रामीणों को अंधविश्वास, झूठी मान्यताओं और डायन प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों से मुक्त कर एक वैज्ञानिक सोच की दिशा में प्रेरित करना था।
📢 पुलिस ने गांव में किया प्रचार-प्रसार
पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) ने अन्य पुलिस पदाधिकारियों के साथ मिलकर पारुलिया गांव में लाउडस्पीकर, पोस्टर और जनसभा के माध्यम से जागरूकता फैलाने का कार्य किया। इस अवसर पर उन्होंने ग्रामीणों को बताया कि डायन बता कर किसी महिला पर अत्याचार करना कानूनन अपराध है और इसके लिए सख्त सजा का प्रावधान है।
Read More: पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में निबंध प्रतियोगिता और जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन
🧓 महिलाओं और बुजुर्गों ने रखी अपनी बात
जनसभा के दौरान कई ग्रामीण महिलाओं और बुजुर्गों ने भी डायन प्रथा के कारण अपने गांव या आसपास के इलाकों में हुई घटनाओं को साझा किया। इन अनुभवों ने कार्यक्रम को भावनात्मक रूप से भी गहराई दी, और ग्रामीणों को इस कुप्रथा के विरुद्ध संगठित होने की प्रेरणा मिली।
🧠 वैज्ञानिक सोच अपनाने का संदेश
पुलिस अधिकारियों ने ग्रामीणों को यह भी समझाया कि बीमारी, मृत्यु या प्राकृतिक घटनाओं का कारण डायन नहीं बल्कि वैज्ञानिक और स्वास्थ्य संबंधी कारण होते हैं। यदि कोई बीमार हो तो झाड़-फूंक की जगह चिकित्सकीय इलाज कराना जरूरी है।
🌟 विशेष बिंदु:
- डायन प्रथा उन्मूलन अधिनियम की जानकारी दी गई।
- ग्रामीणों से ऐसी किसी भी घटना की सूचना तुरंत पुलिस को देने की अपील।
- बच्चों और किशोरों को शिक्षा के प्रति जागरूक रहने की सलाह।
🔍 निष्कर्ष:
पारुलिया गांव में पुलिस द्वारा चलाया गया यह जनजागरूकता कार्यक्रम न सिर्फ एक कदम सामाजिक सुधार की ओर था, बल्कि यह संदेश भी देता है कि पुलिस और जनता मिलकर समाज से कुप्रथाओं का खात्मा कर सकते हैं। इस तरह के कार्यक्रम यदि लगातार होते रहें तो समाज में सकारात्मक बदलाव सुनिश्चित है।