झारखंड
माफिया राज पर प्रहार: पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने फिर उजागर किया अवैध खनन का जाल

निडर प्रहरी की भूमिका में मधु कोड़ा
📍 चाईबासा/नोवामुंडी से जय कुमार की रिपोर्ट
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वे न केवल जनहित के सजग प्रहरी हैं, बल्कि अवैध खनन माफिया के खिलाफ एक निर्भीक योद्धा भी हैं। नोवामुंडी और आस-पास के इलाकों में नोवा मेटल्स कंपनी द्वारा बंद पड़ी आयरन ओर माइंस और क्रेशर कंपनियों से लोहा चुराकर उसे उड़ीसा समेत अन्य राज्यों में अवैध रूप से भेजने की जानकारी सामने आने पर, कोड़ा ने सक्रियता दिखाई और स्थानीय जनता के सहयोग से बड़ा खुलासा किया।
🚛 छह ट्रकों में पकड़ा गया अवैध लोहा
पिछले सप्ताह नोवामुंडी क्षेत्र में छह ट्रकों में अवैध रूप से लदा आयरन स्लेग पकड़ा गया। इन ट्रकों के पास किसी प्रकार के वैध दस्तावेज नहीं थे। श्री कोड़ा ने मौके पर पहुंचकर पुलिस को सूचना दी और सभी ट्रकों को जब्त करवाया। इससे एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया कि क्षेत्र में अवैध खनन और तस्करी किस हद तक व्याप्त है।
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⚠️ सिस्टम की चुप्पी पर सवाल
श्री कोड़ा ने कड़े शब्दों में कहा,
“यह कोई पहली घटना नहीं है। पश्चिमी सिंहभूम जिला अवैध खनन, बालू, लकड़ी और नशीले पदार्थों की तस्करी का गढ़ बनता जा रहा है। प्रशासन और सरकार की चुप्पी इस पूरे नेटवर्क को बढ़ावा दे रही है।”
उन्होंने कहा कि जब जनता बंद पड़ी माइंस को वैध रूप से चालू करने की मांग कर रही है, तब सरकार मौनव्रती बनकर अवैध कार्यों को नजरअंदाज कर रही है।
“जल, जंगल, जमीन” का असली मुद्दा
मधु कोड़ा ने झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि
“जो सरकार खुद को ‘जल, जंगल, जमीन’ की रक्षक बताती है, वही आज इन संसाधनों को माफिया के हवाले कर बैठी है। यह जनादेश के साथ धोखा है।”
🔥 भाजपा देगी आंदोलन को धार
श्री कोड़ा ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि राज्य सरकार ने तत्काल और ठोस कार्रवाई नहीं की, तो
“भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता सड़क पर उतरकर अवैध खनन और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन छेड़ेंगे। हम प्रशासन के सहयोग से सीधी कार्रवाई के लिए भी तैयार हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा का हर कार्यकर्ता जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है और यह लड़ाई “अंतिम सांस तक जारी” रहेगी।
📌 विशेष बिंदु:
- नोवा मेटल्स कंपनी के खिलाफ कार्रवाई
- छह ट्रकों में अवैध आयरन स्लेग जब्त
- प्रशासन और सरकार की निष्क्रियता पर सवाल
- भाजपा का आंदोलन और कार्रवाई की चेतावनी
- जल, जंगल, जमीन की रक्षा के संकल्प की पुनः पुष्टि
👷♂️ मज़दूरों की मजबूरी और माफिया का फायदा
नोवामुंडी क्षेत्र में अवैध खनन सिर्फ पर्यावरण या शासन की समस्या नहीं है, यह हजारों मज़दूरों के भविष्य और पेट की लड़ाई से भी जुड़ा हुआ मसला है। जब क्षेत्र की आधिकारिक माइंस बंद पड़ी रहती हैं, तो स्थानीय बेरोजगार युवक और मजदूर अवैध खनन माफिया के लिए सस्ते श्रमिक बन जाते हैं।
इन लोगों को मामूली पैसे देकर खतरनाक परिस्थितियों में चोरी से खनन करवाया जाता है, जबकि असली मुनाफा ऊँचे रसूख और सत्ता-संरक्षण पाए माफियाओं को होता है।
👉 इनमें से कई मज़दूर ये तक नहीं जानते कि वे कानून तोड़ रहे हैं, उन्हें तो बस अपने परिवार का पेट पालना होता है।
चोर नहीं, संगठित माफिया — सत्ता संरक्षित तंत्र
यहाँ “चोरी” सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि एक संगठित गिरोह और संरक्षित नेटवर्क का हिस्सा है। जिन ट्रकों में अवैध लोहा भरा मिला, वे बिना वैध कागजों के चल रहे थे — ये सिर्फ ड्राइवर की गलती नहीं, बल्कि प्रशासनिक मिलीभगत और व्यापक भ्रष्टाचार का प्रमाण है।
इन “चोरों” में कुछ रसूखदार व्यापारी, अधिकारी और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोग भी शामिल हैं, जो गरीब मज़दूरों को ढाल बनाकर पैसे और सत्ता की गठजोड़ से खनिज संसाधनों की लूट चला रहे हैं।
क्या चाहिए समाधान?
- बंद माइंस को पुनः वैध रूप से चालू किया जाए, ताकि मज़दूरों को वैध रोजगार मिले।
- खनन क्षेत्र में पारदर्शी निगरानी प्रणाली लागू की जाए, जिससे अवैध गतिविधियों पर रोक लगे।
- मज़दूरों को जागरूक और संगठित किया जाए, ताकि वे माफिया के हाथों इस्तेमाल न हों।
विश्लेषणात्मक निष्कर्ष
पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की यह पहल न केवल अवैध खनन माफिया को बेनकाब करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि यदि कोई जनप्रतिनिधि निडर, सक्रिय और जनहित के प्रति प्रतिबद्ध हो, तो वह सिस्टम के मौन और माफिया के षड्यंत्र दोनों को तोड़ सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि झारखंड सरकार इस गंभीर चुनौती के जवाब में क्या ठोस कदम उठाती है — या फिर यह चुप्पी एक नई साजिश को जन्म देगी।