झारखंड
🌾 कुड़मियों की परंपरागत स्वशासन व्यवस्था पर एक दिवसीय कार्यशाला का भव्य आयोजन

📍 सरायकेला (जय कुमार) : ग्राम आसनबनी स्थित सामुदायिक भवन परिसर में रविवार, 20 अप्रैल 2025 को कुड़मि समुदाय की परंपरागत स्वशासन व्यवस्था पर केंद्रित एक दिवसीय कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। इस विशेष कार्यशाला में बड़अ पिड़, कुंचुग पिड़, दुगनी पिड़ और बाकसाई पिड़ के हजारों माहतअ, परगनैत और विद्वान शामिल हुए।
उद्देश्य और विषयवस्तु:
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य कुड़मि समाज की पारंपरिक स्वशासन प्रणाली, सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक मूल्यों को गहराई से समझना और साझा करना था। वक्ताओं ने इतिहास, परंपराएं, न्यायिक प्रणाली, समाज संचालन एवं रीति-नीतियों पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
🎤 प्रमुख वक्ता:
- लखिन्द्र महतो (खूंटी) – कुड़मि स्वशासन व्यवस्था पर शोधकर्ता
- सुभाष चंद्र महतो – कोल्हान विश्वविद्यालय के कुड़मालि सहायक प्रधानाध्यापक
- गुरु प्रसाद महतो – शिक्षक एवं समाजसेवी
- नुनु राम महतो – वरिष्ठ पत्रकार
- रुद्र प्रताप महतो, पटयत महतो, बैद्यनाथ महतो, योगेंद्र महतो, रीना महतो, जोगेन्द्र महतो, महेश्वर महतो, महादेव महतो – विभिन्न पिड़ों के सामाजिक प्रतिनिधि
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बुद्धिजीवियों की विशेष उपस्थिति:
बड़अ पिड़, कुंचुग पिड़, बाकसाई पिड़ और दुगनी पिड़ से आए कई बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों और शिक्षाविदों ने विचार साझा किए:
सत्य प्रकाश महतो, मंगल कुमार महतो, भरत महतो, दशरथ महतो, राजेंद्र महतो, प्रकाश महतो, अनिल कुमार महतो, रीना महतो, आकाश महतो, विजय प्रताप महतो, हीरालाल महतो समेत दर्जनों लोग उपस्थित रहे।
🙌 आयोजन की सफलता के सूत्रधार:
कार्यशाला के सफल संचालन में विजय प्रताप महतो, प्रभात रंजन महतो, मुद्रा महतो, प्रकाश महतो, रतनलाल महतो, आदित्य प्रताप महतो, नरेश महतो, हीरालाल महतो की विशेष भूमिका रही।
📌 निष्कर्ष:
यह कार्यशाला कुड़मि समाज के स्वशासन के प्राचीन ज्ञान और संरचना को पुनः पहचान दिलाने की दिशा में एक सार्थक पहल साबित हुई। ऐसे आयोजन समाज को अपनी जड़ों से जोड़ने, सांस्कृतिक धरोहरों को बचाने और नई पीढ़ी में जागरूकता लाने का सशक्त माध्यम बनते हैं।