जमशेदपुर: राष्ट्रीय जनता दल ने कभी भी सांप्रदायिक शक्तियों से हाथ नहीं मिलाया और सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ पार्टी की लड़ाई जारी है। जबकि भारतीय जनता पार्टी बहुत पहले से राजद के खिलाफ अभियान चला कर रखी है। अटल बिहारी वाजपेई के जमाने से राजद सांप्रदायिकता के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं, यही लालू प्रसाद यादव की पहचान रही है। तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेई ने लालू को टक्कर देने के लिए नीतीश कुमार को मोहरा बनाया था आज वही प्रकरण फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोहरा रहे हैं फिर नीतीश कुमार को मोहरा बनाया जा रहा है और नीतीश कुमार को भी मोहरा बनने में आनंद आ रहा है। भाजपा जानती है वह अकेले लालू प्रसाद यादव का मुकाबला नहीं कर सकती यह ताकत नरेंद्र मोदी में नहीं है फिर एक मोहरे की तलाश भाजपा को है जो बीच-बीच में मिल जाता है।
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नीतीश कुमार को कुर्सी प्यारी है और उनका कोई नीति सिद्धांत नहीं है इसीलिए वे कभी राजद के साथ तो कभी बीजेपी के साथ गले मिल जाते हैं। नीतीश कुमार के राजनीतिक जीवन का यह अंतिम पड़ाव है बिहार की जनता कभी भी सांप्रदायिक शक्तियों को बर्दाश्त नहीं करती है। कर्पूरी ठाकुर से लेकर लालू प्रसाद यादव तक सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करने वाले और भी बहुत से नेता है जिन्हें सांप्रदायिकता पसंद नहीं है। राजद अपने नीति सिद्धांत पर कायम है। केंद्र की सत्ता में आने के बाद भाजपा ने लालू प्रसाद यादव के पीछे हाथ धोकर पड़ गया ताकि लालू को कमजोर किया जा सके लेकिन लालू ने हार नहीं मानी और सांप्रदायिकता के खिलाफ सामाजिक न्याय का झंडा बुलंद करते रहे।
अधिवक्ता व सामाजिक न्याय के चिंतक सुधीर कुमार पप्पू ने उक्त बातें कही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल की भूल थी कि पार्टी ने नीतीश कुमार पर विश्वास किया और नीतीश कुमार विश्वास घाती बन गए। बिहार की जनता सामाजिक न्याय के साथ है इस बार इसका अंदाजा भाजपा और जदयू को लग जाएगा।