TIMES NOW इसकी बात करें तो ‘NOW’ के प्रत्येक शब्द अपनी ईकाई में है। डिजाइन के अन्तर्गत कुछ भी कर सकते है। लेकिन संदर्भ में प्रवेश करेंगे तो इसका तथ्य, अर्थ अनुकूल में नही। हलांकि प्रत्येक इंडियन अंग्रेज दिखना चाहते है। भाषा प्रभाव रखता है। लेकिन सिर्फ भाषा जड़ों को नही सींचती। कैप और लोअर कैप टाईपो का अपनी गति है। आप खड़े हैं या बैठें है।
ABP (आनंद बाज़ार पत्रिका) का लोगो (LOGO) भी पाॅवर शूज का लोगो है। abp लोअर कैप में जाना भी न्यूज़ के परिपेक्ष्य की गति को खत्म करता है। ‘पत्रिका’ के परिवेश को कतई संचालित नही करता। न्यूज़ का संचय नही करता, संचालन को प्रभावित नही करता। हमारे बंगाली भाईयों को 90% डिजाइन की विद्या, साहित्य, लाईफ़ स्टाईल विरासत में अंग्रेजों से मिली है। लेकिन वे आज बहुत कमजोर हैं। वजह है कुएं से नही निकले। आनंद बाज़ार पत्रिका (ABP ) के लगभग सौ वर्षों के अवधि में शीर्ष पदों पर भी लोगों का चयन आज राजनीति से ओत-प्रोत है। वजन ना के बराबर है। खैर भारत के लगभग सभी न्यूज़ संस्थाओं ख्याति का पतन स्वरूप है। ZEE समूह का भी कगार पर होना, शीर्ष पर ग़लत लोगों को चयन है। आज दुनिया का समय, भारत के समय से एक युग का फासला करता है।
TIMES OF INDIA, INDIA TODAY का न्यूज़ पेपर, मैगजीन एक बार ‘THE GUARDIAN’ और TIME के साथ रखकर देखें। आज गूगल की दुनिया में यहां कोई देश-विदेश नही। दुनिया के समस्त बाज़ार में प्रतिस्पर्धा एक है। TIMES OF INDIA के न्यूज़ पेपर के क्वालिटी और एडिटोरियल और डिजाइन 70 वर्ष पीछे ले जाता है। फर्क क्या पड़ता है? बस इन तथ्यों से मैं पाता हूं भारत की दृष्टि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में हमारे पैर रखने की जगह/अनुमति नही देता। वस्तुओं की ब्रांडिंग, भारत का प्रजेंटेशन है, पहचान है।
लेखक – सुरेंद्र सिंह